कृष्ण भक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषतायें

कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ / कृष्ण भक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषतायें (Krishan Kavay Ki Pravritiitiyan / Krishan Kavay Ki Visheshatayen) 

कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ / कृष्ण काव्य की विशेषताएँ (Krishan Kavay Ki Pravritiitiyan / Krishan Kavay Ki Visheshatayen)  कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ कृष्ण काव्य की रचना प्राय: उन भक्त कवियों के द्वारा की गई है, जो किसी-न-किसी संप्रदाय से जुड़े हुए थे, अत: कृष्णकाव्य में एकरूपता दिखाई नहीं पड़ती। कृष्णलीला का गान तो प्राय: इन सभी…

कृष्णभक्ति काव्यधारा के प्रमुख कवि

कृष्णभक्ति काव्यधारा के प्रमुख कवि (Krishnbhakti Kavay Dhara Ke Pramukh Kavi)

कृष्णभक्ति काव्यधारा के प्रमुख कवि (Krishnbhakti Kavay Dhara Ke Pramukh Kavi) कृष्णभक्ति काव्यधारा के प्रमुख कवि सूरदास (1478-1583) सूरदास के जीवन-वृत्त के लिए बहिस्साक्ष्य के रूप में भक्तमाल ( नाभादास), चौरासी वैष्णवन की वार्ता (गोकुल नाथ) और बल्लभ दिग्विजय (यदुनाथ) का आधार लिया गया है। चौरासी वैष्णवन की वार्ता के अनुसार, वे दिल्ली के निकट…

हिंदी के प्रमुख इतिहासकारों द्वारा किए गए काल विभाजन

हिंदी के प्रमुख इतिहासकारों द्वारा किए गए काल विभाजन

हिंदी साहित्य का इतिहास : काल विभाजन, सीमा निर्धारण एवं नामकरण (हिंदी के प्रमुख इतिहासकारों द्वारा किए गए काल विभाजन) प्रस्तावना (Introduction) काल विभाजन के कई आधार हो सकते हैं। यथा- कर्ता के आधार पर- प्रसाद युग, भारतेंदु युग, द्विवेदी युग। प्रवृत्ति के आधार पर- भक्तिकाल, संतकाव्य, सूफीकाव्य, रीतिकाल, छायावाद प्रगतिवाद। विकासवादिता के आधार पर-…

आदिकालीन साहित्य की परिस्थितियाँ

आदिकालीन साहित्य की परिस्थितियाँ- राजनीतिक तथा धार्मिक परिस्थितियाँ, सामाजिक, साहित्यिक तथा सांस्कृतिक परिस्थितियाँ

आदिकालीन साहित्य की परिस्थितियाँ- राजनीतिक तथा धार्मिक परिस्थितियाँ, सामाजिक, साहित्यिक तथा सांस्कृतिक परिस्थितियाँ आदिकालीन साहित्य की परिस्थितियाँ – प्रस्तावना (Introduction) साहित्य मानव-समाज के विविध भावों एवं नित नवीन रहने वाली चेतना की अभिव्यक्ति है। किसी काल विशेष के साहित्य की जानकारी से तद्युगीन मानव – समाज को समग्रत: जाना जा सकता है। दूसरे शब्दों में,…

प्रमुख हिन्दी गद्य-विधाओं की परिभाषाएँ

प्रमुख हिन्दी गद्य-विधाओं की परिभाषाएँ

प्रमुख हिन्दी गद्य-विधाओं की परिभाषाएँ (1) नाटक- रंगमंच पर अभिनय द्वारा प्रस्तुत करने की दृष्टि से लिखी गई एक से अधिक अंकोंबाली वह गद्य-रचना ‘नाटक‘ कहलाती है, जिसमें अभिनय और संवाद पर विशेष बल दिया जाता है। (2) एकांकी- एक अंक के नाटक को ‘एकांकी‘ कहा जाता है। इसमें किसी घटना-विशेष की प्रस्तुति की जाती…

नाटक

नाटक- परिभाषा, प्रथम नाटक, नाटक के तत्त्व, प्रमुख नाटककारों के नाम, प्रसिद्ध नाटकों के नाम

नाटक- परिभाषा, प्रथम नाटक, नाटक के तत्त्व, प्रमुख नाटककारों के नाम, प्रसिद्ध नाटकों के नाम परिभाषा- अभिनय की दृष्टि से संवादों एवं दृश्यों पर आधारित विभिन्न पात्रों द्वारा रंगर्मच पर प्रस्तुत करने के लिए लिखी गई साहित्यिक रचना ‘नाटक’ कहलाती है। हिन्दी के प्रथम नाटक एवं उसके रचयिता का नाम- हिन्दी का प्रथम नाटक गोपालचन्द्र…

आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ- प्रवृत्तियों की विशेषताएँ, आदिकालीन साहित्य का महत्त्व

आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ- प्रवृत्तियों की विशेषताएँ, आदिकालीन साहित्य का महत्त्व इस पोस्ट की PDF को नीचे दिये लिंक्स से download किया जा सकता है।  आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ – प्रस्तावना हिन्दी साहित्य में आदिकाल की समय सीमा दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक मानी जाती है। यह साहित्यिक परम्पराओं के निर्माण का काल है। इस…