व्यूहरचनात्मक प्रबंधन / Strategic Management

सेवी वर्गीय नीतियों के महत्व में सहायक बिन्दु | कर्मचारियों में निराशा के कारण | कर्मचारियों में निराशा न्यूनतम करने हेतु सुझाव

सेवी वर्गीय नीतियों के महत्व में सहायक बिन्दु | कर्मचारियों में निराशा के कारण | कर्मचारियों में निराशा न्यूनतम करने हेतु सुझाव | Helpful points in the importance of service class policies in Hindi | Reasons for Disappointment in Employees in Hindi | Tips to Minimize Employee Frustration in Hindi

सेवी वर्गीय नीतियों के महत्व में सहायक बिन्दु

सेविवर्गीय नीतियों के महत्व में निम्नलिखित बिन्दु सहायक होते हैं-

(i) संगठन के उद्देश्य को सरल बनाना- प्रबन्ध का उद्देश्य जिस प्रकार संगठन के उद्देश्यों की सरलतापूर्वक प्राप्ति है, ठीक उसी प्रकार सेविवर्गीय नीतियों का उद्देश्य संगठन के उद्देश्यों को सरल बनाना है।

(ii) निर्णयों का आधार- कर्मचारियों से सम्बन्धित विभिन्न मामलों में सेविवर्गीय नीतियाँ निर्णयों के आधार पर कार्य करती है, इसीलिये प्रबन्धक उचित निर्णयों को समय पर लेकर संगठन को गति प्रदान कर सकता है।

(iii) पक्षपात की कम सम्भावनाएँ- सेविवर्गीय नीतियों के कारण पक्षपात समाप्त हो जाता है। निष्पक्ष कार्य संचालन से कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि होती है और संगठन के लक्ष्य आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।

(iv) कार्य संतुष्टि- कार्य संतुष्टि के अन्तर्गत सेविवर्गीय नीतियों में संगठन में कार्यरत कर्मचारियों को कार्य से संतुष्टि भी प्राप्त होती है जिससे वे प्रसन्न मन से संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त करने में जुट जाते हैं।

(v) औद्योगिक अशान्ति- इसके अन्तर्गत विभिन्न सेविवर्गीय नीतियों से पहले निर्धारण एवं उसके अनुरूप आचरण से संगठन में पूर्णतः शान्ति का वातावरण बना होता है। श्रम तथा पूँजी के मध्य अच्छे सम्बन्ध होने के कारण संगठन के लक्ष्यों को सरलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है।

कर्मचारियों में निराशा के कारण-

किसी भी कर्मचारी में निराशा के कई कारण हो सकते हैं। सामान्यतः किसी भी व्यक्ति को तब निराशा प्राप्त होती है जब वह वांछित परिणाम पाने में असफल रहता है। कभी-कभी कर्मचारी अपने किसी व्यक्तिगत कमी के कारण भी निराश हो जाता है। संक्षेप में निराशा के प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं।

  1. इच्छाओं के बीच संघर्ष- कभी-कभी कर्मचारी के मन में दो प्रकार की इच्छाएँ एक साथ उत्पन्न होती है। वह दोनों ही इच्छाओं की पूर्ति का प्रयास करता है, परन्तु किसी एक इच्छा के पूर्ण और दूसरी इच्छा की अपूर्णता पर उसे निराशा हाथ लगती है। इसी प्रकार यदि दो इच्छाओं के प्रति टकराव हो जाता है तब भी कर्मचारी निराशा का अनुभव करता है।
  2. व्यक्तिगत कमियाँ- कभी-कभी कुछ व्यक्तिगत कमियों के कारण कर्मचारी वांछित परिणाम प्राप्त करने से वंचित रह जाता है। अतः यह व्यक्तिगत कमी उसमें निराशा पैदा कर देती है। उदाहरण के लिए यदि कर्मचारी शिक्षा की कमी के कारण पदोन्नति से वंचित रह जाता है तो यह स्वभाविक ही है कि वह अपनी इस व्यक्तिगत कमी के कारण निराशा का अनुभव करेगा।
  3. पर्यावरणीय समस्याएँ- पर्यावरणीय कारण भी निराश को जन्म देते हैं। कभी-कभी अनूकुल वातावरण के अभाव में वांछित परिणाम नहीं प्राप्त होते हैं और कर्मचारी निराशा का शिकार हो जाता है। इसी प्रकार यदि कर्मचारी को अपने विचार तथा मेलजोल के साथी नहीं मिलते तो भी वह निराश होने लगता है।
  4. प्रबन्ध तथा सहयोगियों का व्यवहार- प्रबन्धकों तथा सहयोगियों का व्यवहार भी कर्मचारियों के मनोबल को प्रभावित करता है। यदि प्रबन्धकों द्वारा अक्सर किसी कर्मचारी पर दमनात्मक कार्यवाही की जाए और सहयोगियों का व्यवहार अच्छा न हो तो कर्मचारी के मन में निराशा का भाव उत्पन्न हो जायेगा।

कर्मचारियों में निराशा न्यूनतम करने हेतु सुझाव-

कर्मचारियों के मन में निराशा अत्यन्त घातक है। इससे उनकी कार्यक्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इन्हें दूर करने के लिए सही कदम उठाया जाना चाहिए। कर्मचारियों में निराशा के न्यूनतम करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं-

  1. निराशा के कारणों की जानकारी- प्रबन्ध तंत्र को कर्मचारियों में निराशा के कारणों का सावधानीपूर्ण विश्लेषण करना चाहिए तथा इस बात का सही-सही पता लगाना चाहिए। वे कौन-कौन से कारण हैं जो कर्मचारियों में निराशा से सीधे सम्बन्धित हैं।
  2. सुझाव- निराशा के कारणों का ज्ञान हो जाने के पश्चात् इन कारणों को दूर करने हेतु कर्मचारी को सुझाव दिये जाने चाहिए। सुझाव औपचारिक या अनौपचारिक रूप से हो सकता हैं।
  3. प्रेरणा- यदि कोई कर्मचारी अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में असफल रहा है तथा उसे पुनः प्रयास करने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए। उसे पुनः वांछित उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अधिक लगन तथा मेहनत से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाय तो उसकी निराशा किसी हद तक कम हो सकती है।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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