हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास | हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास में प्रेमचन्द के योगदान
हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास | हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास में प्रेमचन्द के योगदान हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास प्रेमचन्द के यथार्थवाद से पूर्व-हिन्दी उपन्यास साहित्य पाठकों के मनोरंजन की वस्तु और उसके मन बहलाने का खिलौना था। प्रेमचन्द के पूर्ववर्ती उपन्यास-साहित्य के सृजन-काल को उपन्यासों का बाल्यकाल कह सकते हैं…