मलिक मुहम्मद जायसी के पद्यांशों की व्याख्या | मलिक मुहम्मद जायसी के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

मलिक मुहम्मद जायसी के पद्यांशों की व्याख्या | मलिक मुहम्मद जायसी के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या मलिक मुहम्मद जायसी के पद्यांशों की व्याख्या चैत बसन्ता होइ धमारी। मोहि लेखे संसार उजारी।। पंचम बिरह पंचसर मारै। रकत रोइ सगरौ बन ढारै।। बूड़ि उठे सब तरिवर पाता। भीज मंजीठ टेहु बन राता।। बौरे आम फरै अब…