उत्तर वैदिक काल का सामाजिक जीवन | उत्तर वैदिक काल की सामाजिक दशा
उत्तर वैदिक काल का सामाजिक जीवन | उत्तर वैदिक काल की सामाजिक दशा उत्तर वैदिक काल का सामाजिक जीवन प्रस्तावना- उत्तर वैदिक काल से हमारा तात्पर्य उस काल से है जिसमें अन्य तीन वेदों-यजुर्वेद, सामवेद, तथा अथर्ववेद और ब्राह्मणों, आरण्यकों, उपनिषदों की रचना हुई थी। यह एक दीर्घकाल था, जिसमें आर्य-सभ्यता का विस्तार व विकास…