विद्यापति के पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या | विद्यापत के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या
विद्यापति के पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या | विद्यापति के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या विद्यापति के पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या माधव, बहुत मिनति कर तोय! दए तुलसी तिल देह समर्पित, दया जनि छाड़बि मोय ।। गनइत दोसर गुन लेस न पाओबि, जब तुहुं करबि विचार। तुहू जगत जगनाथ कहाअओसि, जग बाहिर नइ छार।। किए मानुस…