विकास का पूँजीवादी मार्ग

विकास का पूँजीवादी मार्ग | विकास का समाजवादी मार्ग | Capitalist path of development in Hindi | Socialist path of development in Hindi

विकास का पूँजीवादी मार्ग | विकास का समाजवादी मार्ग | Capitalist path of development in Hindi | Socialist path of development in Hindi

विकास का पूँजीवादी मार्ग 

विकास के पूंजीवाद मार्ग का अनुसरण करने वाले देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी रुचि के अनुसार आर्थिक गतिविधि के चयन की स्ववता होती है। यह एक हस्तक्षेपरहित अर्थव्यवस्था है। इसमें पूंजी पूर्णतया उद्यमियों के नियंत्रण में होती हैं। उद्यमियों का व्यक्तिगत स्वामित्व होता है। इसे बाजार अर्थव्यवस्था भी कहते हैं, क्योंकि कौन-सी वस्तुएं एवं सेवाएं, किस मूल्य एंव मात्रा में, बेनी एवं खरीदी जानी चाहिए, यह मात्र बेचने और खरीदेने वालों द्वारा ही तय होता है। बाजार अर्मिक गतिविधियों के नियमों पर नियंत्रण रखता है तथा अर्थव्यवस्था की प्रकृति एवं दिशा के निर्धारण करता है। यह तुलनात्मक रूप से राज्य के हस्तक्षेप से मुक्त होता है। मजदूरी उत्पादन की एवं प्रकृति का निर्धारण पुरूष रूप से बाजार की शक्तियों द्वारा होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोप के देशों तथा जापान और श्रीलंका जैसे एशियाई देशों की राजनीतिक व्यवस्था लोकतांत्रिक हैं। इन देशों में विकास में पूजीवादी मॉडल का अनुसरण किया जाता है।

फिर भी, नागरिकों की अपने आर्थिक क्रिया-कलापों के सम्बन्ध में निर्णय लेने की स्वायत्तता तथा पूँजी के संरक्षण के प्रति राज्य की तटस्थता अनन्तिम नहीं हैं। कोई भी राज्य अपने नागरिकों की जरूरतों और कल्याण के प्रति उदासीन नहीं रह सकता। पूंजीवाद और बाजार की शक्तियों के अनियन्त्रित शासन के अपने कुछ दोष भी है, उदाहरण के लिए आर्थिक शक्तियों का केन्द्रीकरण, कामगारों और छोटे पूँजीपतियों में अलगाव, सम्पन्न और विपन्न की बीच खाई, तथा कामगारों एवं उपभोक्ताओं की नाजुक स्थिति। इसलिए राज्य सामान्य जनता के हितों की सुरक्षा के लिए एक चौकीदार की भूमिका अदा करता है। वह लोगों के जनतान्त्रिक और संवैधानिक अधिकारों में कटौती किए बगैर ज्यादातर आर्थिक क्रिया-कलापों में हस्तक्षेप करता है। राज्य वस्तुओं के मूल्यों पर नजर रखता है, कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करता है तथा उत्पादों का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित करता है तथा इसी तरह के अन्य कार्य करता है। यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका तथा पश्चिमी यूरोप जैसी सर्वाधिक विकसित लोकतान्त्रिक और पूँजीवादी अर्धव्यवस्थाएं भी राज्य के हस्तक्षेप से पूरी तरह मुक्त नहीं हैं।

विकास का समाजवादी मार्ग

साम्यवादी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से राज्य नियन्त्रित अर्थव्यवस्था है। इसमें पूंजी राज्य के अधीन होती है। यह पूरी तरह से एक नियोजित अर्थव्यवस्था है, जिसमें उत्पादन और वितरण राज्य के दिशा- निर्देशों के अनुसार सम्पत्र होते हैं। समाजवादी मॉडल एक कल्याणोन्मुखी मॉडल माना जाता है। यह अमीर-गरीब के बीच की खाई को कम करने के दृष्टिकोण से अपने नागरिकों के मध्य आर्थिक अवसरों एवं लाभों के समान वितरण का प्रयास करता है। समाजवादी के अर्थव्यवस्था मार्क्सवादी विचारधारा पर आधारित है। यह लोगों से उनकी क्षमता के अनुसार लेने एवं उन्हें उनकी आवश्यकता के अनुसार बने में विश्वास रखती है। तत्कालीन सोवियत संघ (USSR), चीन एवं पूर्वी यूरोपीय देश, साम्यवादी रहे हैं। इन देशों ने विकास के समाजवादी मार्ग का अनुसरण किया जाता है।

पूँजीवादी और समाजवादी अर्थव्यवस्थाएं, विशिष्ट आदर्श प्रणालियां हैं। ये अपने विशुद्ध अर्थो तथा एक-दूसरे से पूरी तरह भित्र रूप में कभी मौजूद नहीं रहीं। राज्य द्वारा अर्थव्यवस्था के नियन्त्रण की प्रकृति और मात्रा के अनुरूप इन दोनों के मध्य अन्तर स्थापित किया जा सकता है। 1930 की विश्वव्यापी मन्दी तथा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की स्थितियों पर गौर करना बहुत ही दिलचस्प है। इस समय शायद ही ऐसी कोई सरकार रही हो, जिसने देश में आर्थिक शक्तियों को राज्य के नियन्त्रण से पूरी तरह मुक्त स्वतन्त्र परिचालन के लिए खुला छोड़ा हो। लोकतांत्रिक देश नियमों एवं कानूनों की संस्थाओं तथा वित्तीय उपायों द्वारा अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करते हैं। अन्यथा इस स्थिति में लोग आर्थिक उपक्रमों में शामिल होने को स्वतन्त्र होते हैं। समाजवादी देश लोगों को आर्थिक फैसले लेने की बहुत कम छूट देते हुए, पूँजी तथा निवेश सम्बन्धी निर्णयों पर पूरा नियन्त्रण रखते हैं।

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