अमेरिकी क्रान्ति के प्रमुख कारण | अमेरिका की क्रान्ति के परिणाम | अमेरिकी क्रान्ति की प्रमुख घटनाएँ
अमेरिकी क्रान्ति के प्रमुख कारण | अमेरिका की क्रान्ति के परिणाम | अमेरिकी क्रान्ति की प्रमुख घटनाएँ
17वीं शताब्दी तक अंग्रेजों ने अमेरिका में 13 उपनिवेशों की स्थापना कर उनका राजनीतिक और आर्थिक शोषण करना आरम्भ कर दिया। अंग्रेजों ने अमेरिकावासियों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार आरम्भ कर दिया। 18वीं शताब्दी तक अंग्रेजों के इस व्यवहार से क्षुब्य अमेरिकी जन-मानस आन्दोलित हो ठठा।
अमेरिकी क्रान्ति के निम्न कारण थे-
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धार्मिक मतभेद
इंग्लैण्ड छोड़कर अमेरिका में आकर बसने वाले अंग्रेज इंग्लैण्ड में होने वाले अत्याचारों से दुःखी होकर यहाँ आये थे। उनके साथ ही कुछ लोग आर्थिक लाभ के लिए भी यहाँ आ बसे। परन्तु इनमें से अधिकांश ऐसे लोग थे, जो आंग्ल चर्च को मानने वाले न थे, जबकि इंग्लैण्ड में आंग्ल चर्च को ही मान्यता दी गयी थी। अतएव इंग्लैण्ड तथा उपनिवेशों में रहनेवालों में धर्म सम्बन्धी गहरा मतभेद उत्पन्न हो गया।
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स्वतन्त्रता की भावना
उपनिवेशों में बसने वाले अधिकांश लोगों में प्रारम्भ से ही स्वतन्त्रता की भावना विद्यमान थी। इंग्लैण्ड के शासन व नियन्त्रण से मुक्त रहने के विचार से अमेरिका के उपनिवेशों में स्वाधीनता की भावना तेजी से बढ़ती जा रही थी। ऐसे समय में स्वतन्त्रता के समर्थक जैफरसन, टॉमस पेन, मिल्टन और लॉक जैसे लेखकों के विचारों ने अमेरिका के निवासियों को बहुत प्रभावित किया। अमेरिका की यह क्रान्ति लॉक के विचारों से विशेष रूप से प्रभावित हुई।
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इंग्लैण्ड की स्वार्थपूर्ण व्यापार नीति
ब्रिटिश सरकार उपनिवेशों को इंग्लैण्ड के लिए लाभ का एक अच्छा साधन मानती थी, इसीलिए उपनिवेशों से होने वाले व्यापार के सम्बन्ध में उसने एक विशेष नीति अपनायी। इंग्लैण्ड की इस व्यापार नीति से उपनिवेशों के लोग बहुत असन्तुष्ट थे। यह असन्तोष उस समय और भी अधिक बढ़ गया, जब ब्रिटिश सरकार ने उन पर मनमाने कर लगाने आरम्भ कर दिये।
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उपनिवेशों की सुरक्षा की समस्या
उपनिवेशों की सुरक्षा का प्रश्न भी अत्यन्त गम्भीर था। उपनिवेश अपनी सुरक्षा के लिए आपस में सहयोग करने में असमर्थ थे। इसीलिए इंग्लैण्ड के मन्त्रिमण्डल ने यह निश्चय किया कि उपनिवेशों के लिए 10,000 सेनिकों की टुकड़ी स्थायी तौर पर रखी जानी चाहिए तथा इस सेना पर होने वाले व्यय का कुछ भाग उपनिवेशों से लिया जाना चाहिए । इस धन की प्राप्ति के लिए उपनिवेशों पर कुछ अतिरिक्त कर लगाये गये। उपनिवेशों ने इन करों का प्रबल विरोध किया। फलतः इन करों में एक कर की दर तो कम कर दी गयी लेकिन उनकी वसूली बहुत कठोरता से की गयी। इससे उपनिवेश के लोग बहुत रुष्ट हो गये।
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आत्मनिर्भरता का बोध
लगभग 150 वर्षों से अमेरिका में उपनिवेश बसाने वाले रहते आ रहे थे। प्रारम्भ में उन्हें बहुत कठिनाइयाँ उठानी पड़ी थीं, परन्तु अब वे अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में आत्मनिर्भर हो गये थे फिर भी उनका इंग्लैण्ड के ऊपर निर्भर रहना या उसके संरक्षण में रहना, उनके लिए किसी भी प्रकार लाभदायक नहीं था, वरन् हानिकारक ही था, अतः वे इंग्लैण्ड के साथ अपने सम्बन्ध-विच्छेद करने के लिए प्रयत्नशील हो गये।
- फ्रांसासी आक्रमण का भय समाप्त होना
अमेरिका तथा कनाडा में फ्रांसीसी और अन्य उपनिवेशों में अंग्रेज बसे थे। फ्रांसीसी रोमन कैथोलिक धर्म को मानने वाले थे और अमेरिका में बसे अंग्रेज प्रोटेस्टेण्ट धर्म को मानने वाले थे। फलतः दोनों के मध्य मधुर सम्बन्ध नहीं थे और दोनों एक-दूसरे को सन्देह की दष्टि से देखते थे। आरम्भ में तो अमेरिकावासी अंग्रेजों को भय था कि यदि उन्होंने इंग्लैण्ड से झगड़ा किया तो उस अवसर का लाभ उठाकर कनाडा के फ्रांसीसी उन पर आक्रमण कर सकते हैं, लेकिन जब सातवर्षीय युद्ध के बाद कनाडा भी अंग्रेजों के हाथ में आ गया तब उपनिवेशवासी अंग्रेजों में कनाडा के फ्रांसीसियों के आक्रमण का भय समाप्त हो गया। अतः उन्होंने निर्भय होकर अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए तैयारी करना आरम्भ कर दिया।
उपर्युक्त कारणों के फलस्वरूप अमेरिकनों ने जॉर्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध स्वाधीनता युद्ध छेड़ दिया।
अमेरिका की क्रांति (American Revolution)
अमेरिकी क्रान्ति की प्रमुख घटनाओं का वर्णन
अमेरिकी क्रान्ति या अमेरिका के स्वाधीनता ‘युद्ध की प्रमुख घटनाएँ निम्न थीं-
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मुद्रांक अधिनियम (स्टाम्प एक्ट)
अमेरिका के लोग इंग्लैण्ड की सरकार के बढ़ते हुए अन्यायों के कारण बहुत असन्तुष्ट थे। 1765 ई० में ब्रिटेन की सरकार ने उपनिवेशों के लिए एक कानून बनाया, जो ‘मुद्रांक अधिनियम’ कहलाता था। उसके अनुसार उपनिवेशों में कानूनी दस्तावेजों पर टिकट (स्टाम्प) लगाना अनिवार्य कर दिया गया। अमेरिका के लोगों ने इसका विरोध करते हुए स्टाम्प का प्रयोग नहीं किया। उनका यह भी कहना था कि ब्रिटेन की संसद में इन उपनिवेशों को अपने प्रतिनिधि भेजने का अधिकार नहीं है, इसलिए संसद को उन पर कोई कर लगाने का भी कोई अधिकार नहीं है। उनका नारा था ‘यदि प्रतिनिधित्व नहीं तो कर भी नहीं।’
अन्त में 1766 ई० में उपनिवेशवासियों के विरोध के कारण ब्रिटेन की सरकार ने मुद्रांक अधिनियम रद्द कर दिया।
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आयात कर (1767 ई0)
1767 ई0 में ब्रिटेन की सरकार ने अमेरिका में बाहर से आने वाले सीसा, चाय, कागज और रंग पर आयात कर लगा दिया। उपनिवेशवासियों ने इसका घोर विरोध किया। तब ब्रिटेन की सरकार ने रंग, कागज और सीसा से आयात कर हटा दिया, किन्तु चाय पर से कर नहीं हटाया। उपनिवेशवासियों को इससे भी सन्तोष नहीं हुआ।
- बोस्टन हत्याकाण्ड
1770-73 ई0 के काल में कुछ ऐसी उत्तेजक घटनाएँ घटीं, जिन्होंने युद्ध को अनिवार्य कर दिया। इन घटनाओं में बोस्टन हत्याकाण्ड का विशेष महत्त्व है। बोस्टन नगर में नागरिकों तथा त्रिटिश सैनिकों के बीच संघर्ष हो गया। सैनिक्रों ने रोष में आकर गोलियाँ चला दीं, जिससे कुछ नागरिकों की मृत्यु हो गयी। इस बोस्टन हत्याकाण्ड का उपनिवेश ओं की जनता पर गहरा प्रभाव पड़ा और वह उत्तेजित होकर भड़क उठी।
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बोस्टन टी पार्टी
ऐसी ही एक घटना और हो गयी, जिसने दोनों पक्षों में भारी उत्तेजना फैला दी। ब्रिटिश सरकार ने अपने व्यापारियों को भारत से सीधे अमेरिका को चाय भेजने की आज्ञा दे दी। उसे आशा थी कि इससे अमेरिका में चाय सस्ती बिकेगी, जिससे उपनिवेश वालों का रोष कुछ कम होगा; किन्तु हुआ इसके विपरीत ही। जब चाय के जहाज बोस्टन के बन्दरगाह पर पहुँचे तो कुछ अमेरिकावासी जहाजों में घूस गये और उन्होंने चाय के बक्से समुद्र में फेंक दिये। यह घटना अमेरिकी इतिहास में ‘बोस्टन टी-पार्टी’ के नाम से प्रसिद्ध है।
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अमेरिकी स्वतन्त्रता की घोषणा और युद्ध का प्रारम्भ
इन घटनाओं ने युद्ध को अनिवार्य बना दिया। ब्रिटिश सरकार ने उपनिवेशों में उत्पनत्र विद्रोहों के विरुद्ध कठोर दमनचक्र चलाया। उधर उपनिवेशों ने मिलकर 4 जुलाई, 1776 ई0 को अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी। उन्होंने इंग्लैण्ड से अपना सम्बन्ध-विच्छेद कर लिया और संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रभुत्वसम्पन्न राज्य घोधित कर दिया। इसी के साथ स्वतन्त्रता का युद्ध आरम्भ हो गया।
यह युद्ध 1783 ईo तक चला। उपनिवेशवासियों की ओर से जॉर्ज वाशिंगटन ने प्रधान सेनापति का नेतृत्व ग्रहण किया। अन्त में उपनिवेशवासियों की विजय हुई और 1783 ई0 की पेरिस की सन्धि के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका का जन्म हुआ। 1789 ईo में स्वतन्त्र संयुक्त राज्य अमेरिका के लिखित संविधान का निर्माण भी हो गया।
अमेरिका की क्रान्ति के परिणाम
अमेरिका की क्रान्ति विश्व-इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इस क्रान्ति की उपलब्धियों अथवा परिणामों का उल्लेख निम्नवत् है-
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जॉर्ज तृतीय के निजी शासन का अन्त
इस युद्ध में भारी पराजय के कारण इंग्लैण्ड के सम्राट जॉर्ज तृतीय के निजी शासन का अन्त हो गया और इंग्लैण्ड के प्रधानमन्त्री छोटे पिट (Pitt the Younger) के नेतृत्व में कैबिनेट प्रणाली की पुनः उन्नति होने लगी।
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प्रथम ब्रिटिश साम्राज्य की समाप्ति
अमेरिकी उपनिवेशों के स्वतन्त्र हो जाने से प्रथम ब्रिटिश साम्राज्य एवं व्यापार-प्रणाली का अन्त हो गया।
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द्वितीय अंग्रेजी साम्राज्य की नींव का पड़ना
पहले साम्राज्य के नष्ट होने पर द्वितीय ब्रिटिश साम्राज्य की नींव पड़ी। अमेरिकी उपनिवेशों से 45,000 लोग कनाडा में जाकर बस गये। ये लोग इंग्लैण्ड के कट्टर समर्थक थे। ऑस्ट्रेलिया में भी अंग्रेजों का बसना प्रारम्भ हुआ और न्यूजीलैण्ड पर भी उनका अधिकार हो गया। इस प्रकार दूसरे अंग्रेजी साम्राज्य की नींव पड़नी प्रारम्भ हो गयी। यह साम्राज्य पहले साम्राज्य से भी बड़ा था।
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संयुक्त राज्य अमेरिका का जन्म
इस युद्ध के फलस्वरूप एक नवीन, शक्तिशाली तथा उन्नतिशील राज्य का जन्म हुआ, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) के नाम से जाना गया।
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स्येनिश शक्ति का पतन
संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थापना और उन्नति से स्पेन की शक्ति का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पतन हो गया।
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स्वतन्त्रता की भावना का प्रसार
अमेरिका की यह क्रान्ति स्वतन्त्रता की विजय का प्रतीक थी। फलस्वरूप इसका सम्पूर्ण विश्व के इतिहास पर प्रभाव पड़ा। इस क्रान्ति के सफल हो जाने पर दूसरों की अधीनता में रह रहे अन्य राज्यों ने भी अपनी स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करने का साहस किया।
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गणतन्त्र की स्थापना
अमेरिकी क्रान्ति के परिणामस्वरूप अमेरिका में राजतन्त्र का अन्त हो गया और वहाँ गणतन्त्र की स्थापना हुई। कालान्तर में अन्य देशों ने भी गणतन्त्र पर आधारित शासन-पद्धति को अपनाया।
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लिखित संविधान
क्रान्ति के पश्चात् अमेरिका में प्रथम बार लिखित संविधान तैयार किया गया। अन्य देशों ने भी अमेरिका का अनुकरण करके ही लिखित संविधान की परम्परा प्रारम्भ की।
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समानता एवं स्वतन्त्रता का अधिकार
अमेरिका में क्रान्ति के पश्चात् लोकतन्तर की स्थापना हुई और वहाँ के संविधान में नागरिकों को स्वतन्त्रता और समानता के अधिकार प्रदान किये गये।
महत्वपूर्ण लिंक
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