प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन

प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन- स्वामी विवेकानन्द  

प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन – स्वामी विवेकानन्द   प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन– स्वामी विवेकानंद जी भारतीय संस्कृति के एक महान विद्वान थे उनका यह कथन की प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन है भारतीय संस्कृति में पूर्णता परिलक्षित होता है। उनके शब्दों में प्रेम विस्तार है, स्वास्थ्य संकुचन है इसलिए प्रेम…

विज्ञापन क्या है और इसके लाभ एवं हानियाँ

विज्ञापन क्या है और इसके लाभ एवं हानियाँ

विज्ञापन क्या है और इसके लाभ एवं हानियाँ रूपरेखा- (1) विज्ञापन क्या है, (2) विज्ञापन का महत्त्व, (3) विज्ञापन के क्षेत्र में समाचार-पत्रों का योगदान, (4) विज्ञापन के प्रमुख लाभ-(क) उत्पादक व उपभोक्ता में सम्पर्क का साधन, (ख) व्यक्ति अथवा राष्ट्र की समृद्धि में सहायक, ( ग) रेडियो, चलचित्र और दूरदर्शन के महत्त्व में वृद्धि,…

आधुनिक जीवन की समस्याएँ क्या क्या हैं तथा इन समस्याओं पे पूर्ण चिंतन

आधुनिक जीवन की समस्याएँ क्या क्या हैं तथा इन समस्याओं पे पूर्ण चिंतन

आधुनिक जीवन की समस्याएँ क्या क्या हैं तथा इन समस्याओं पे पूर्ण चिंतन रूपरेखा- (1) प्रस्तावना, (2) हमारा समाज और विविध समस्याएँ-(क) जातिगत भेदभाव, (ख) नारी-शोषण, (ग) दहेज-प्रथा, (घ) भ्रष्टाचार, (ङ) बेरोजगारी, (च) महंगाई, (छ) अनुशासनहीनता, (ज) जनसंख्या-वृद्धि, (झ) मद्यपान, (ञ) प्रदूषण की समस्या, (3) उपसंहार। आधुनिक जीवन की समस्याएँ क्या क्या हैं तथा इन…

छात्रों में असन्तोष के कारण क्या हैं और निवारण क्या हैं

छात्रों में असन्तोष के कारण क्या हैं और निवारण क्या हैं

छात्रों में असन्तोष के कारण क्या हैं और निवारण क्या हैं रूपरेखा- (1) प्रस्तावना, (2) छात्र-असन्तोष के कारण- (क) असुरक्षित और लक्ष्यहीन भविष्य, (ख) दोषपूर्ण शिक्षा-प्रणाली, (ग) कक्षा में छात्रों की अधिक संख्या, (घ) पाठ्य-सहगामी क्रियाओं का अभाव, (ङ) घर का दूषित वातावरण, (च) दोषपूर्ण परोक्षा-प्रणाली, (छ) छात्र संघ, (ज) गिरता हुआ सामाजिक स्तर, (झ)…

भारत विभिन्नताओं का देश

भारत विभिन्नताओं का देश

भारत विभिन्नताओं का देश भारत अनेक विषमताओं का देश कहा जा सकता है। यह कथन निम्न तथ्यों द्वारा सत्य प्रतीत होता है : भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 2.4% है, किन्तु यहां विश्व की 17.5% जनसंख्या पायी जाती है। वर्ष 2011 की जनगणनानुसार भारत की जनसंख्या 121.05 करोड़ से अधिक हो चुकी…

आतंकवाद

आतंकवाद पर निबंध | आतंकवाद से तात्पर्य | भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ

आतंकवाद पर निबंध प्रस्तावना मानव-मन में विद्यमान भय प्रायः उसे निष्क्रिय और पलायनवादी बना देता है। इसा भय की सहारा लेकर समाज का व्यवस्था-विरोधी वर्ग अपने दषित और निम्नस्तरीय स्वा्थो की सिद्धि के लिए समाज में आतंक फैलाने की प्रयोस करता है। स्वार्थसिद्धि के लिए यह वर्ग हिंसात्मक साधनों का प्रयोग करने से भी नहीं…