निबंध / Essay

विज्ञापन क्या है और इसके लाभ एवं हानियाँ

विज्ञापन क्या है और इसके लाभ एवं हानियाँ

रूपरेखा-

(1) विज्ञापन क्या है,

(2) विज्ञापन का महत्त्व,

(3) विज्ञापन के क्षेत्र में समाचार-पत्रों का योगदान,

(4) विज्ञापन के प्रमुख लाभ-(क) उत्पादक व उपभोक्ता में सम्पर्क का साधन, (ख) व्यक्ति अथवा राष्ट्र की समृद्धि में सहायक, ( ग) रेडियो, चलचित्र और दूरदर्शन के महत्त्व में वृद्धि, (घ) समाचार-पत्रों की आय में वृद्धि,

(5) विज्ञापन सम्बन्धी हानियाँ,

(6) उपसंहार।

विज्ञापन क्या है और इसके लाभ एवं हानियाँ इत्यादि के बारे मे यहाँ पर सम्पूर्ण रूप से चर्चा की गयी है-

विज्ञापन क्या है

विज्ञापन व्यापार की आत्मा एवं आधारशिला है। विज्ञापन द्वारा हम उत्पादक एवं उपभोक्ता के बीच सम्पर्क स्थापित करते हैं। विज्ञापन द्वारा किसी वस्तु की माँग बढ़ती है एवं रहन-सहन के स्तर पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। उत्पादक अपने द्वारा निर्मित वस्तुओं को बेचने के लिए सदैव उत्सुक रहते हैं और इन वस्तुओं का क्रय करके उपभोक्ता अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करके सन्तोष प्राप्त करते हैं। विज्ञापन बहुत कुछ अंश तक माँग एवं पूर्ति में सन्तुलन स्थापित करने में सहायक होता है।

विज्ञापन का महत्त्व

कुछ लोग विज्ञापन को अनावश्यक समझते हैं। उनके मतानुसार यदि कोई वस्तु वास्तव में अच्छी है तो वह बिना किसी विज्ञापन के ही अपने गुणों के कारण जनता में प्रचलित हो जाएगी। इसी प्रकार अवांछनीय वस्तुएँ विज्ञापन के सहारे अधिक दिनों तक नहीं टिक पाएगी। आज के युग में जब हमारे सम्बन्धों का क्षेत्र अत्यन्त विशाल एवं व्यापक हो गया है; विज्ञापन जीवन के लिए अनिवार्यता बन गया है। आज के विस्तीर्ण संसार में विज्ञापन के अभाव में वस्तुओं के वास्तविक गुणों का परिचय पाना नितान्त कठिन है।

विज्ञापन के क्षेत्र में समाचार-पत्रों का योगदान

जब समाचार-पत्रों का अभाव था, उस समय विज्ञापन के महत्त्व से जनता भी अपरिचित थी। जैसे-जैसे समाचार-पत्रों का प्रचार एवं प्रसार हुआ, लोगों ने विज्ञापन को भी स्वीकार किया। आज विज्ञान के नवीन आविष्कारों से हमारी आवश्यकताओं की सीमा में निरन्तर वृद्धि हो रही है एवं हमारे रहन-सहन का स्तर ऊँचा होता जा रहा है। ऐसी अवस्था में हमें अपनी आवश्यकता की वस्तुओं का चयन करने में विज्ञापन का आश्रय लेना पड़ता है।

विज्ञापन के प्रमुख लाभ

वर्तमान समय में जीवन का सम्भवत: कोई क्षेत्र ही ऐसा बचा हो, जिसमें विज्ञापन का प्रभावपूर्ण प्रयोग न किया जा रहा हो। विज्ञापन के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

(क) उत्पादक व उपभोक्ता में सम्पर्क का साधन

आज किसी भी देश के राष्ट्रीय जीवन के निर्माण में विज्ञापन एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विज्ञापन के माध्यम से ही विभिन्न वस्तुओं के निर्माता उपभोक्ताओं से सम्पर्क स्थापित करते हैं तथा उपभोक्ता सुविधा के साथ अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ प्राप्त कर लेते हैं।

(ख) व्यक्ति अथवा राष्ट्र की समृद्धि में सहायक

आधुनिक संसार विज्ञापन का संसार है। जिस प्रकार विज्ञापन द्वारा कोई भी व्यक्ति अपने व्यापार एवं व्यवसाय में उन्नति कर सकता है, उसी प्रकार किसी भी राष्ट्र की समृद्धि; व्यापार, वाणिज्य, कृषि एवं उद्योग के क्षेत्र पर ही आश्रित रहती है। आज व्यापार-जगत् में विज्ञापन का महत्त्व उत्तरोत्तर बढ़ता ही जा रहा. हे। विज्ञापन द्वारा व्यापार में निरन्तर वृद्धि हो रही है एवं इसके साथ-साथ जीवन-स्तर भी निरन्तर ऊँचा उठ रहा है ।

(ग) रेडियो, चलचित्र और दूरदर्शन के महत्त्व में वृद्धि

आज विज्ञापन केवल समाचार-पत्रों एवं पोस्टरों तक ही सीमित नहीं हैं। रेडियो, चलचित्र और दूरदर्शन भी विज्ञापन के महत्त्वपूर्ण साघन बन गए हैं। दूरदर्शन पर प्रसारित ‘कौन बनेगा करोड़पति’ और ‘जीतो छप्पर फाड़ के जैसे कार्यक्रम पूर्णतः विज्ञापन द्वारा सृजित आय के सहारे ही जीवित रहे हैं। प्रत्येक चलचित्र पर लाखों रुपये की धनराशि केवल उसके विज्ञापन एवं प्रचार पर ही व्यय की जाती है। बिना विज्ञापन या प्रचार के अच्छी-से-अच्छी वस्तुएँ भी मिट्टी के मोल हो जाती हैं।

(घ) समाचार-पत्रों की आय में वृद्धि

समाचार-पत्र भी एक बड़े अंश तक अपनी आय के लिए विज्ञापनों पर ही निर्भर रहते हैं। बिना विज्ञापन के समाचार-पत्र का प्रकाशन एक घाटे का व्यापार है। समाचार-पत्रों के प्रकाशन में जितनी धनराशि व्यय होती है, वह उसके विक्रय मूल्य से प्राप्त नहीं होती। इस क्षतिपूर्ति के लिए समाचार-पत्रों का विज्ञापनों पर आश्रित रहना एक अनिवार्यता ही होती है। इन विज्ञापनों को प्राप्त करने के लिए समाचार-पत्रों को बड़े औद्योगिक संस्थानों एवं सरकार के साथ अपने सम्बन्ध बनाने पड़ते हैं।

विज्ञापन सम्बन्धी हानियाँ

जहाँ विज्ञापन से अनेक लाभ हैं, वहीं उसमें कुछ हानियां भी निहित हैं। सच्चाई के अभाव में विज्ञापन कभी-कभी जन-साधारण एवं देश की समृद्धि में बाधक सिद्ध होते हैं। इनके द्वारा प्रदर्शित वस्तुओं की गुणवत्ता अथवा विश्वसनीयता के सम्बन्ध में प्रायः शंका उत्पन्न हो जाती है। लॉटरी एवं चिट-फण्ड के विज्ञापन जनहित के विपरीत हैं। इनके द्वारा अबोध जनता एवं बालकों में लालच की भावना एवं अनैतिक ढंग से धनोपा्जन करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। अत: यह आवश्यक है कि विज्ञापनों का प्रकाशन जनहित को ध्यान में रखकर ही किया जाए।

उपसंहार

यद्यपि विज्ञापनों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है, तथापि यह आवश्यक है कि विज्ञापन सच्चे और जनहित में हो। विज्ञापन का उद्देश्य समाज के साथ छल-कपट का सहारा लेकर लाभ अरजित करना नहीं है, वरन् लोगों को विभिन्न वस्तुओं, व्यवसायों आदि के सम्बन्ध में परिचित कराना भी है। इस दृष्टि से यह आवश्यक है कि विज्ञापनों को प्रदर्शित करने के सन्दर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर कुछ ऐसे कानूनों का निर्माण किया जाए, जो विज्ञापन देने वालों को, जहाँ भी आवश्यक हो, सचेत और प्रतिबन्धित कर सकें।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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