बिहारीलाल के पद्यांशों की व्याख्या | बिहारीलाल के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या
बिहारीलाल के पद्यांशों की व्याख्या | बिहारीलाल के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या बिहारीलाल के पद्यांशों की व्याख्या मेरी भव बाध हरौ राधा नागरि सोय। जा तन की झाई परें स्याम हरित दुति होय।। 1।। सन्दर्भ- ग्रन्थ रचना के आरम्भ में कवि बिहारी की प्रस्तावित उक्ति है। राधा की वन्दना है। व्याख्या- (1) वे चतुर…