घनानन्द के पद्यांशों की व्याख्या | घनानन्द के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

घनानन्द के पद्यांशों की व्याख्या | घनानन्द के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या घनानन्द के पद्यांशों की व्याख्या पहिले घनआनंद सींचि सुजान कहीं बतियाँ अति प्यार पगी। अब लाय वियोग की लाय, बलाय बढ़ाय, बिसास-दगानि दगी। अखियाँ दुखियानि कुबानि परी न कहूँ लगै कौन घरी सु लगी। मति दौरि थकी, न लहै ढिक ठौर, अमोही…