उदारवादी राष्ट्रीयता

उदारवादी राष्ट्रीयता | अरविन्द घोष | 1885 से 1905 तक कांग्रेस के कार्य

उदारवादी राष्ट्रीयता | अरविन्द घोष | 1885 से 1905 तक कांग्रेस के कार्य उदारवादी राष्ट्रीयता “एक पराधीन राष्ट्र स्वतंत्रता के द्वारा ही उन्नति के द्वार खोल सकता है, और स्वतंत्रता के लिये बलिदान की आवश्यकता है। राजनीति की आरामकुर्सी पर बैठ कर विदेशी सत्ता नहीं हिलाई जा सकती। भारत अपने पराक्रम और शक्ति से ही…