भूगोल / Geography

बाई लुंड का सिद्धांत | Bylund (Sweden) settlement diffusion theory in Hindi

बाई लुंड का सिद्धांत | Bylund (Sweden) settlement diffusion theory in Hindi

बाई लुंड का सिद्धांत

जब हम खोज करते हैं किसी वितरण प्रतिरूप अधिवासों के प्रभाव करने वाले कारकों का तो हम उपनिवेशवाद को ध्यान मे रखते हैं। हमने देखा है कि अधिवास के लिए सबसे उपयुक्त स्थान आकर्षक होना चाहिए भौतिक दृष्टिकोण से। किसी स्थान की आंतरिक गुणों का नहीं बल्कि उस स्थान के बेहतर वातावण एवं परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है। जैसे कि अच्छी मिट्टी, अनुकूल जलवायु या खनिज संसाधनों को भी लेते हैं। हम यह भी पते हैं कि लोग केवल परिस्थिरियों द्वारा ही अधिवास निर्धारण नहीं करते हैं।

बाई लुंड ने अपने सिद्धांत मे चार सैद्धांतिक प्रतिरूप के द्वारा अधिवास के विकास को समझाया है जिसे हम कुछ इस प्रकार से समझ सकते हैं –

यहा सर्वप्रथम एक मूल आधार रखा गया जो यह बताता है कि जिस भी स्थान पर अधिवास विकसित या निर्मित होंगे वहाँ  पर भौतिक परिस्थितियाँ एक ही समान पायी जाएंगी फिर वह पर बसाव प्रारम्भ हुआ हो या नहीं, यहा सिद्धांत का एक मूल तथा बहुमूल्य कारक या आधार माना गया। यह सिद्धांत उत्तरी स्वीडन के शोध के बाद बाई लुंड द्वारा प्रतिपादित किया गया था। यहाँ जीतने भी अधिवास हैं उनमें 14 15 पीढ़ी की बात काही गयी है। यहाँ जो भी इस सिद्धांत के अंतर्गत माडल बताए गए हैं सभी अधिवास का विकास मुखी रूप से तीन ही चरणों मे प्राप्त किया गया है।

माडल A 

उदभव – यहाँ पर सर्वप्रथम स्थान जो अधिवास के विकास के लिए स्थान बताया गया है वह है समुद्र के किनारे अर्थात समुद्र तटीय क्षेत्र। यहाँ पर लोग किनारों मे अपने अधिवास जो कि उनमे मूल अधिवास है उनका निर्माण करते हैं तथा उनके परिवार मे वृद्धि होती है कुछ समय के पश्चात या फिर वे और भी लोगो से मिलना जुलना प्रारम्भ करते हैं जिससे कि और भी परिवार वहाँ आके बसने लगते हैं और फिर बाकी के अधिवासों का निर्माण होने लगता  है तथा ये अधिवास समुद्र से आगे की तरफ होने लगते हैं परंतु जो भी लोग यहा पर दूर अधिवास निर्मित करते हैं वो अपने मूल अधिवास मेन जुड़े रहते हैं तथा वे कभी उनसे दूर नहीं होते हैं।

यहाँ पर अधिवासों का निर्माण तीन चरण मे पूर्ण होता है –

प्रथम चरण (उद्धव या मातृ अधिवास) –यहाँ से ही लोग आगे बढ़ते हैं अधिवासों का निर्माण करते हैं तथा इसके भरने के बाद ही वे दूसरे चरण के लिए प्रस्थान करते हैं।

द्वितीय चरण – यहाँ पर मातृ अधिवास मे रह रहे लोगो के संतानों द्वारा दूसरे चरण मे अधिवासों का निर्माण किया जाता है क्योकि प्रथम चरण मे निर्माण हेतु कोई स्थान अतिरिक्त नहीं रेह जाता है।

तृतीय चरण – यहाँ भी द्वितीय चरण जैसा ही होता है परंतु यहाँ पर भी यही ध्यान दिया है कि कोई अतिरिक स्थान न हो द्वितीय चरण के अंतर्गत।

यहाँ पर जितने भी अधिवास निर्मित होते हैं वह रेखीय अवस्था मे प्रारम्भ होते हुये आयताकार आकृति लेलेते हैं तृतीय चरण मे आते आते।

माडल B

यहाँ भी मूल आधार अधिवास विकसित होने का है कि भौतिक परिस्थितियाँ एक समान प्रकार की ही होंगी। यहाँ पर भी तीन चरणों मे ही अधिवास का विकास होता है यहाँ पर माडल A से ये अंतर है कि ये अधिवास वृत्ताकार रूप मे आए जाते है।

माडल B तथा A मे भिन्नता – यहाँ पर एक नया अधिवास विकसित होता है जो कि सामंजस्यपूर्ण रूप से फैलता है तथा वृत्ताकार रूप मे मूल अधिवास जो पहले से बसा होता है उसके द्वारा। यहाँ मूल स्थान एक अधिवास द्वारा दर्शाया जाता है यहाँ एक ही परिवार के लोग बाहर निकाल कर बस्ते हैं यही कारण है कि यह केंद्र की संख्या मेन एक तथा बाद मे बढ़ता है अर्थात लोग यानी की परिवार के लोग बाहर की तरफ बस्ते जाते हैं तथा ये वृत्ताकार रूप लेलेता है।

माडल C

यहाँ पर मातृ बस्तियों या अधिवासों A, B, C, D को एक मूल अधिवास मे शुरुआती बिन्दु के साथ स्थापिता किया ये अधिवास उस स्थान के प्रथम समय के अधिवास थे। द्वितीय चरण मे इन अधिवासों के बेटों या भागो मे भी अधिवास का विकास हुआ अर्थात प्रत्येक अधिवास के सदस्यों द्वारा स्थान कम होने पर और एक या दो अधिवास निर्मित किए गए जो निम्नलिखित आदेश मे हैं A1, B1, C1, D1 तथा बाद मे तृतीय चरण मे यहाँ और भी अग्रदूत अधिवास निर्मित हुए हैं जो कि इस प्रकार हैं तथा ये तृतीय चरण से संबन्धित हैं A2, B2, C2, D2, A4, B4, C4, D4 इत्यादि। जितना संभव हो सके मातृ अधिवास के पास जमीन से जुड़े रहना चाहते थे लोग, लेकिन दूसरी तरफ से आए बस्तियों से लोग अन्य स्वतंत्र स्थल पर स्थान हासिल किया। लोग यहाँ आके भी रहने लगे थे तहा बहुत समय बाद यहा लोग मातृ अधिवास के लूग जो थे वो कम हो गए या काही चले गए जिससे की स्थान खाली भी हुए इसी कारण से इस सिद्धांत को बिखरा हुआ सिद्धांत कहा जाता है।

माडल D

यह भी तृतीय माडल को लेकर बना है परंतु यह लम्बवत होता है। यहाँ कोई भी अन्य कारक या व्यक्ति अंदर की तरफ आके नहीं बस सकता बल्कि बाहर की तरफ बसाव होता है यहाँ एक आधार तल बन के तैयार हो जाता है अधिवास विकास के समय। यहा स्थिरी मुख्यता समुद्र के किनारे की होती है।

बाई लुंड का सिद्धांत

इस सिद्धांत की जनसंख्या घनत्व से संबन्धित कुछ मान्यताएं है –

  • अधिवास के आकर्षण का कारण उसकी सड़क की स्थिती भी है जैसे लम्बवत इत्यादि।

  • चर्च तथा बाजार को अधिवास पर एक निश्चित आकर्षण का केंद्र माना गया है।
  • मातृ अधिवास के लोग जो बाहर भी चले जाते हैं उनके द्वारा मातृ अधिवास पर उपनिवेश किया जाता है।
  • मातृ अधिवास से कम दूरी पर धीरे धीरे कब्जा किया जाता है प्राथमिक स्थान से फिर पुन: आगे की ओर बढ़ते जाते हैं।
  • जीतने माडल हैं सब मे पहले के अधिवास की बात बताई गयी न की इन माडल ले आने के बाद की।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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