भूगोल / Geography

संज्ञानात्मक नक्शा | मानसिक नक्शा या मानसिक मॉडल | Cognitive Map in Hindi

संज्ञानात्मक नक्शा, मानसिक नक्शा या मानसिक मॉडल Cognitive Map

संज्ञानात्मक नक्शा | मानसिक नक्शा या मानसिक मॉडल | Cognitive Map in Hindi

संज्ञानात्मक नक्शा

यह संज्ञानात्मक नक्शा (Cognitive Map), मानसिक प्रतिनिधित्व का एक प्रकार है जो प्रत्येक व्यक्ति को अधिग्रहण कोड, याददाश्त और सूचना कोड तथा अनिवार्य स्थानिक वातावरण और घटना की विशेषताओं के बारे में जानकारी का कार्य करता है | यह अवधारणा 1948 में एडवर्ड टाल्मन द्वारा पेश किया गया था | संज्ञानात्मक नक्शे में मनोविज्ञान, शिक्षा, पुरातत्व, योजना, भूगोल, मानचित्रकारी, वास्तुकला, परिदृश्य वास्तुकला, शहर योजना, प्रबंधन और इतिहास के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में अध्ययन किया गया है | एक परिणाम के रूप में इन मानसिक मॉडल में अक्सर विभिन्न संज्ञानात्मक नक्शे, मानसिक नक्शे, स्क्रिप्ट और संदर्भ के फ्रेम  के रूप में मापा जाता है | संज्ञानात्मक नक्शे संज्ञानात्मक भार को बढ़ाने के क्रम में छवियों कल्पना करने के लिए “मन की आंखों” की अनुमति के निर्माण और स्थानिक ज्ञान का संचय सेवा करते हैं | इस प्रकार के खुले सोच स्मृति और इमैजिनेशन से जुड़े गैर – स्थानिक कार्यों का प्रदर्शन लोगों के कार्य प्रसंस्करण में सहायता करने के लिए स्थानिक ज्ञान का उपयोग कर गैर – स्थानिक कार्यों के लिए एक रूपक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है | एक संज्ञानात्मक नक्शे के तंत्रिका संबंध हिप्पोंकैम्पस और एनटोरहिनल प्रान्तस्था में हाल ही में पता चला ग्रिड कोशिकाओं की जगह सेल प्रणाली होने का अनुमान लगाया गया है |

संज्ञानात्मक नक्शा सृजन –

संज्ञानात्मक नक्शा अनेक स्रोतों दोनों दृश्य प्रणाली और अदृश्य प्रणाली से उत्पन्न होता है | संज्ञानात्मक मानचित्र का अधिकांश स्वयं उत्पन्न होने वाली आंदोलन संकेतों के माध्यम से बनाई गई है | दृष्टि, महक और सुनाई की तरह होश से प्राप्त जानकारी अपने पर्यावरण के भीतर एक व्यक्ति के स्थान परिणाम निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है | यह विशेष रूप से पहले के एक संदर्भ बिंदु की तुलना में पथ एकीकरण, एक पर्यावरण के भीतर एक ही स्थिति और दिशा का प्रतिनिधित्व करता है तथा एक वेक्टर के निर्माण के लिए अनुमति देता है | इस परिणाम स्वरूप वेक्टर यह पर्यावरण और संज्ञानात्मक नक्शे के संदर्भ में अधिक जानकारी प्रदान करने के लिए व्याख्या करता है जहां हिप्पोकैम्पस कोशिकाओं के साथ वो पारित हो सकता है | दिशात्मक संकेतों और स्थितीय स्थल भी संज्ञानात्मक नक्शा बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं | दिशात्मक संकेतों के भीतर छायांकन या चुंबकीय क्षेत्र की तरफ एक कंपास पर चिन्हों, साथ ही ढाल जैसे दोनों स्पष्ट संकेत, संज्ञानात्मक नक्शा बनाने के लिए सामग्री के रूप में इस्तेमाल होता है यह पूर्ण मस्तिष्क के अंदर संपादित होने वाली क्रिया है |

इतिहास

 इस नक्शे का विचार सबसे पहले एडवर्ड सी० टाल्मन द्वारा विकसित किया गया था | इस विचार की शुरुआत टाल्मन नामक एक संज्ञानात्मक मनोवैज्ञानिक ने उस समय की जब वो चूहों पर एक प्रकार का प्रयोग कर रहे थे | टाल्मन के प्रयोग में एक चूहे को एक क्रॉस आकार के भूल भुलैया में रखा गया और अपनी जानकारी हासिल करने के लिए उस चूहे को उसमें छोड़ दिया गया | इस प्रारंभिक अन्वेषण के बाद चूहे को एक हाथ की दूरी में रखा गया था और उसे खाने हेतु खाद्य पदार्थ दिया जाने लगा गया उसी भूल भुलैया के अंदर ही | इस प्रकार चूहा प्रथम समय अपने भोजन को प्राप्त करने हेतु जो जो क्रिया की उसने अपने संज्ञान मे डाल ली वो चीजें अर्थात हम कह सकते हैं की उसने अपने लिए भोजन को प्राप्त करने हेतु एक मानसिक नक्शा निर्मित कर लिया था | अब भोजन करने के लिए अगले माह मे भोजन को दूसरी जगह अर्थात दाहिने तरफ पर रखा गया था | यहाँ यह जानने की कोशिश की गयी की क्या चूहे का मानसिक नक्शा सच मे निर्मित हुआ है भोजन को प्राप्त करने हेतु  | परन्तु चूहा इस लेआउट में भी भोजन प्राप्त करने के के क्रम में चौराहे पर दाहिने मुड़ना सीख चुका था | हालांकि दूसरी भूलभुलैया पर रखने के बावजूद भी चूहा प्रारंभिक संज्ञानात्मक नक्शे की मदद से भोजन प्राप्त करने के लिए सही दिशा में चला गया | स्थान बदलने से चूहे को कोई फर्क नहीं पड़ा और भोजन करने के लिए सही रास्ता निर्धारित करने में सक्षम हो गया |

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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