भूगोल / Geography

गतिक संतुलन संकल्पना | Dynamic Equilibrium concept in Hindi

गतिक संतुलन संकल्पना Dynamic Equilibrium concept

गतिक संतुलन संकल्पना | Dynamic Equilibrium concept in Hindi

गतिक संतुलन ( Dynamic Equilibrium ) संकल्पना की व्याख्या हैक द्वारा की गयी है | डेविस के अपरदन चक्र के सिद्धांत को सबसे आधुनिक चुनौती जे० डी० हैक ने दी है | उन्होंने 1960 ईस्वी और उसके बाद अपलेशियन तथा निकटवर्ती उच्च प्रदेश के अध्ययन द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि इस क्षेत्र में “चक्रीय अपरदन धरातल” के कोई प्रमाण नहीं मिलते और विभिन्न प्रकार के चट्टानों पर कार्यरत वर्तमान प्रक्रम के संदर्भ में वर्तमान भू आकृति की संतोषजनक व्याख्या हो सकती है |

वह इस बात को नहीं मानते हैं कि भू – आकृति का चक्रीय और क्रमबद्ध विकास होता है या स्थल रूपों के निर्माण में अवस्था और समय का कोई महत्व है |अपरदन चक्र के सिद्धांत को अस्वीकार करते हुए उन्होंने एक नई संकल्पना प्रस्तुत की जिसे गतिक संतुलन संकल्पना कहते हैं | इस संकल्पना के अनुसार स्थलरूप नियंत्रण करने वाली शक्तियों और प्रकरणों के साथ गतिक संतुलन में रहता है और स्थल रूपों में तभी परिवर्तन होता है जब संतुलन की दशाओं में परिवर्तन होता है | इसमें समय के साथ क्रमबद्ध विकास का कोई प्रश्न नहीं होता है | विभिन्न स्थानों के स्थल रूपों के अंतर को चट्टानों की विभिन्नता तथा उन पर कार्यरत प्रक्रम की विभिन्नता के संदर्भ में समझा जा सकता है इसी प्रकार विभिन्न काल में स्थल रूपों में अंतर जलवायु तथा स्थल विरूपण में परिवर्तन के संदर्भ में अथवा अपरदन द्वारा नयी आधार की चट्टानों के धरातल पर आने के संदर्भ में समझा जा सकता है |

शायद हैक की संकल्पना को वैकल्पिक संकल्पना ना मानकर डेविस की पूरक संकल्पना मानना ज्यादा उचित होगा | हैक की संकल्पना वर्तमान प्रक्रम और दशाओं पर बल देती है और यहां तक सही है कि अधिकांश वर्तमान स्थलरूप बहुत हद तक वर्तमान प्रक्रम के परिणाम है | इस अर्थ में गतिक संतुलन संकल्पना के भूतकाल पर ध्यान नहीं होता और इस हद तक यह पूर्ण नहीं है, क्योंकि हम जानते हैं कि अधिकांश स्थल रूपों का एक लंबा और जटिल इतिहास रहा है और इस इतिहास की उन पर छाप है |

अतः शुम्भ और लिटजी द्वारा 1965 में ठीक ही कहा गया है कि डेविस और हैक के विचार परस्पर विरोधी नहीं है | थोड़े काल के संदर्भ में गतिक संतुलन संकल्पना सही है, और लंबे भूतकाल के संदर्भ में अपरदन चक्र की संकल्पना अपनी जगह सही प्रतीत होती है |

हैक ने 1916 में शीनबूब नदी घाटी का निरीक्षण किया तथा यह बताया कि गतिक संतुलन छोटे समय के लिए होता है तथा एक नया सिद्धांत स्थिर दशा का प्राप्त हुआ इसे ही गतिक संतुलन सिधान्त कहा हैक ने |

लियोकोल्ड ने 1962 में अर्द्ध गतिक संतुलन का नियम दिया जहां अपरदन एवं निक्षेपण दोनों नहीं होता है उनके द्वारा |

1965 में शुम्भ तथा लिटजी ने प्रवणित समय की बात को ही यहां कतिक संतुलन संकल्पना बताया तथा नदी के प्रवणित समय को ही गतिक संतुलन बताया |

होम्स द्वारा यह गतिक संतुलन स्थिति एक ऊर्जा की स्थिति है जो हमेशा ऊर्जा में परिवर्तित होती है |

ऐब्राहम 1968 में यह छोटे समय का अपरदन का उतार-चढ़ाव का समायोजन होता है यह स्थिर दशा सिद्धांत की तरह ही स्थल रूप का निर्माण करता है |

केनेडी ने 1985 मे कहा यहां यह अनुमानित रेखा के आगे पीछे भटकता ही रहता है गतिक संतुलन सिद्धांत कहलाता है |

1992 मे विल गोस द्वारा 3 तरह के प्रयोग में ला सकता हैं गतिक संतुलन सिद्धांत को –

  1. नियतात्मक
  2. सांख्यिकीय गतिक संतुलन सिद्धांत
  3. जिनका कोई आयाम नहीं गतिक संतुलन सिद्धांत में |

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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