राजनीति विज्ञान / Political Science

प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना | Criticism of Plato’s Theory of Education in Hindi

प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना | Criticism of Plato’s Theory of Education in Hindi

प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की विद्वानों ने विभिन्न रूप से आलोचना की है। उसकी शिक्षा सिद्धांत की आलोचना निम्नलिखित आधारों पर की जाती है-

प्लेटो के शिक्षा सिद्धांत के विरुद्ध यह दोषारोपण किया जाता है कि राज्य नियन्त्रित शिक्षा के द्वारा राज्य की सर्वाधिकार प्रवृत्ति का जन्म होता है। राज्य नियन्त्रित शिक्षा, कला, कविता, संगीत एवं विज्ञान के स्वतन्त्र विकास में रुकावट पैदा करती है। प्लेटो की शिक्षा-व्यवस्था में राज्य किस प्रकार की शिक्षा की अनुमति दे वैसी ही शिक्षा नागरिकों को दी जायेगी । परिणाम यह होगा कि नागरिकों में स्वतन्त्र विचार एवं मनन तथा उनकी प्रतिभा का स्वाभाविक रूप से विकास नहीं हो सकेगा।

  • शिक्षा सैद्धान्तिक अधिक एवं व्यावहारिक कम है-

प्लेटो के शिक्षा-सिद्धांत का यह भी एक दोष है कि उसकी शिक्षा-योजना सैद्धांतिक अधिक है एवं व्यावहारिक कम । वह शासक वर्ग को जिस प्रकार प्रशिक्षण देना चाहता है उसके द्वारा व्यावहारिक शासकों के निर्माण की बहुत कम सम्भावना प्रतीत होती है।

  • उत्पादक वर्ग के लिए शिक्षा की व्यवस्था नहीं है-

लेटो की शिक्षा योजना पर एक आरोप यह भी लगाया जाता है कि उसका उद्देश्य केवल संरक्षक वर्ग को ही प्रशिक्षण देना हैं। प्लेटो अपनी रिपब्लिक में उत्पादक वर्ग के लिए किसी भी प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था नही करता। प्लेटो उत्पादक वर्ग के प्रति उपेक्षा का व्यवहार अपनाता है जो अनुचित है। प्रो० सेवाइन लिखते हैं कि “यह बड़ी असाधारण बात है कि राज्य में शिक्षा का इतना महत्त्वपूर्ण स्थान होते हुए भी प्लेटो शिल्पियों की शिक्षा के विषय में मौन है तथा इस बात को स्पष्ट नहीं करता है कि उन्हें प्रारम्भिक शिक्षा में सम्मिलित किया जायेगा अथवा नहीं।” इसी कारण जेलर ने कहा है कि “प्लेटो ने श्रमिकों की उपेक्षा करके सामन्तवाद का समर्थन किया है।”

  • शिक्षा में नाटक, कानून, कला एवं साहित्य को स्थान नहीं दिया गया है-

प्लेटो ने अपनी शिक्षा-योजना के अन्तर्गत केवल व्यायाम एवं संगीत को स्थान दिया है तथा नाटक, चिकित्सा एवं कानून की शिक्षा की उपेक्षा कर दी है। रिपब्लिक में व्यक्त उसके विचारों से स्पष्ट होता है कि प्लेटो इनका विरोधी है । प्लेटो ने अपनी शिक्षा की योजना में साहित्य को कोई स्थान नहीं दिया है; अत: यह कहना उचित है कि आदर्श राज्य में उसने जिस शिक्षा-योजना की व्यवस्था की है उसमें साहित्य एवं कला की उन्नति सम्भव नहीं है।

  • शिक्षा दीर्घकालीन तथा महँगी है-

प्लेटो की शिक्षा-योजना का यह भी एक दोष है कि उसकी उच्च शिक्षा दीर्घकाल तक चलती है तथा महँगी भी है; अतः इतने लम्बे समय तक शासक वर्ग में शिक्षा के प्रति आकर्षण बने रहने की कम सम्भावना है। वे इसे बोझ समझने लगेंगे जिससे प्लेटो के उद्देश्य के पूरा होने में शंका पैदा हो जाती है।

निष्कर्ष-

इस प्रकार प्लेटो की शिक्षा का सिद्धांत उतना ही अव्यावहारिक है जितना कि उसका साम्यवाद का सिद्धांत। वास्तव में प्लेटो की आदर्श शिक्षा की योजना आदर्श राज्य के लिए ही उपयुक्त है न कि वास्तविक राज्य के लिए |

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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