व्यापार शर्त पर प्रभाव डालने वाले घटक | व्यापार-शर्तों का व्यावहारिक महत्त्व | व्यापार शर्तों की गणना के दोष

व्यापार शर्त पर प्रभाव डालने वाले घटक | व्यापार-शर्तों का व्यावहारिक महत्त्व | व्यापार शर्तों की गणना के दोष व्यापार शर्त पर प्रभाव डालने वाले घटक (Factors Affecting Terms of Trade)- व्यापार शर्त पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख घटक इस प्रकार है- (1) विदेशी मांग की लोच (Elasticity of foreign demand)-  व्यापार, शर्त का अनुकूल…

व्यापार की शर्तों से आशय | अनुकूल एवं प्रतिकूल व्यापार शर्ते | व्यापार शर्तों की अवधारणाएँ

व्यापार की शर्तों से आशय | अनुकूल एवं प्रतिकूल व्यापार शर्ते | व्यापार शर्तों की अवधारणाएँ ‘व्यापार की शर्तों से आशय’ (Meaning of ‘Terms of Trade’)- व्यापार की शर्तों से आशय उस अनुपात (ratio) से होता है जिस अनुपात (ratio) पर देशों में उत्पादित वस्तुओं का आपस में लेन-देन होता है। सरल शब्दों में व्यापार…

सामान्य सन्तुलन सिद्धान्त | सामान्य सन्तुलन की व्यावहारिक प्रक्रिया | सामान्य सन्तुलन क्या है?

सामान्य सन्तुलन सिद्धान्त | सामान्य सन्तुलन की व्यावहारिक प्रक्रिया | सामान्य सन्तुलन क्या है? सामान्य सन्तुलन सिद्धान्त (General Equilibrium Theory) सामान्य सन्तुलन सिद्धान्त उन अर्थशास्त्रियों के प्रयत्नों का परिणाम है जो मूल्य-निर्धारण के लिए न तो उत्पादन लागत सम्बन्धी विचार से ही सहमत थे और न ही सीमान्त उपयोगिता सम्बन्धी विचार से। इन अर्थशास्त्रियों में…

स्थिर अवस्था संवृद्धि दशा की समस्या | स्थिर अवस्था संवृद्धि की आवश्यक दशाएँ | नव प्रतिष्ठित विकास मॉडल | प्रौद्योगिक प्रगति के बिना उत्पादन में वृद्धि

स्थिर अवस्था संवृद्धि दशा की समस्या | स्थिर अवस्था संवृद्धि की आवश्यक दशाएँ | नव प्रतिष्ठित विकास मॉडल | प्रौद्योगिक प्रगति के बिना उत्पादन में वृद्धि स्थिर अवस्था संवृद्धि दशा की समस्या हैरोड तथा डोमर के वृद्धि-मॉडल एक उन्नत पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के लिए तैयार किये गये हैं और इन दोनों अर्थशास्त्रियों का उद्देश्य एक अर्थव्यवस्था…

हिक्स का व्यापार चक्र सिद्धान्त | हिक्स के व्यापार चक्र सिद्धान्त का मूल्यांकन

हिक्स का व्यापार चक्र सिद्धान्त | हिक्स के व्यापार चक्र सिद्धान्त का मूल्यांकन हिक्स का व्यापार चक्र सिद्धान्त हिक्स ने अपने व्यापार सिद्धान्त का वर्णन अपनी पुस्तक “A Contribution to the Theory of the Trade Cycle” में किया है। इस पुस्तक का प्रकाशन 1950 में हुआ था। इस सिद्धान्त का आज भी व्यापार चक्रों के…

व्यापार चक्र सिद्धान्त | सैम्युल्सन का व्यापार चक्र सिद्धान्त | सैम्युल्सन के व्यापार चक्र सिद्धान्त की मान्यताएँ

व्यापार चक्र सिद्धान्त | सैम्युल्सन का व्यापार चक्र सिद्धान्त | सैम्युल्सन के व्यापार चक्र सिद्धान्त की मान्यताएँ व्यापार चक्र सिद्धान्त प्रो० पी० ए० सैम्युल्सन ने 1939 में अपने सुप्रसिद्ध लेख “Interaction between the Multiplier Analysis and Principle of Acceleration” में व्यापार-चक्र गुणक-त्वरक अन्तर्प्रक्रिया सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उसके मतानुसार गुणक एवं त्वरक की पारस्परिक क्रियाशीलता…

पूँजी की सीमान्त क्षमता की अवधारणा | पूँजी की सीमान्त क्षमता की परिभाषा | पूँजी की सीमान्त क्षमता का अर्थ | पूँजी की सीमान्त क्षमता का स्वभाव | पूँजी की सीमान्त क्षमता को प्रभावित करने वाले तत्व

पूँजी की सीमान्त क्षमता की अवधारणा | पूँजी की सीमान्त क्षमता की परिभाषा | पूँजी की सीमान्त क्षमता का अर्थ | पूँजी की सीमान्त क्षमता का स्वभाव | पूँजी की सीमान्त क्षमता को प्रभावित करने वाले तत्व पूँजी की सीमान्त क्षमता की अवधारणा प्राक्कथन- विनियोग से कीन्स का अभिप्राय वास्तविक विनियोग से है न कि…

तरलता पसन्दगी फलन | तरलता पसन्दगी के उद्देश्य | ब्याज निर्धारण

तरलता पसन्दगी फलन | तरलता पसन्दगी के उद्देश्य | ब्याज निर्धारण तरलता पसन्दगी फलन (Liquidity Preference Function) प्रो० कीन्स ने 1936 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘The General Theory of Employment, Interest and Money’ में इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है। कीन्स के अनुसार, “ब्याज एक निश्चित अवधि के लिए तरलता के परित्याग का पुरस्कार है।”…

निवेश या विनियोग फलन | निवेश या विनियोग के प्रकार | निवेश के निर्धारक तत्व

निवेश या विनियोग फलन | निवेश या विनियोग के प्रकार | निवेश के निर्धारक तत्व निवेश या विनियोग फलन (Investment Function) केन्ज का विनियोग से अभिप्राय सदैव वास्तविक निवेश (Real Investment) से है जिससे कि रोजगार व राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तथा नये पूंजीगत पदार्थों का सृजन होता है। वास्तविक निवेश से अभिप्राय…