मेरी क्यूरी | Marie Curie in Hindi

मेरी क्यूरी | Marie Curie in Hindi (Marie Curie)

रेडियम की खोज मेरी क्यूरी। मानिया प्रेम में असफल होकर आत्यहत्या करना चाहती थी परन्तु समझाने-बुझाने पर उसका रुझान विज्ञान की ओर गया। विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाली सम्भवतः वह पहली महिला थी। आज महिलाएं प्रत्येक कार्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योग दे रही हैं। शायद कोई ही क्षेत्र बचा हो जिसमें वे कार्य न कर रही हों- विज्ञान भी उनके क्षत्र में आता है। परन्तु रेडियो सक्रिय तत्व रेडियम की खोज करने वाली मेरी क्यूरी से पूर्व विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का प्रवेश नहीं था। श्रीमती क्यूरी ने सिद्ध कर दिया कि महिलाएं विज्ञान के क्षेत्र में भी पुरुषों से किसी प्रकार कम नहीं। इसका एक बड़ा प्रमाण यह भी है कि उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में कार्यों के लिए एक नहीं, दो बार नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मेरी पौलेंड की रहने वाली थीं। उनका जन्म पौलैंड की राजधानी बारसा में 7 नवम्बर, 1867 को हुआ था। उसका पोलिश नाम मानिया था। परिवार निर्धन था परन्तु मेरी बहुत बुद्धिमती थी और शिक्षा में रुचि भी थी। परिवार के लोगों ने उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए पौलेंड छोड़ने को कहा। मेरी फ्रांस चली गई। वहां उच्च शिक्षा के बाद उन्होंने 1895 में एक फ्रेंच वैज्ञानिक पियरे क्यूरी से विवाह कर लिया, मानिया से मेरी हो गई, पियरे को रुचि भी भौतिक और रसायन विज्ञान में थी। उसके बाद दोनों रेडियम की खोज में जुट गए ।

विज्ञान के क्षेत्र में शायद ही कुछ सौभाग्यशाली व्यक्ति होंगे जिन्हें अधिक कठिनाइयां न उठानी पड़ी हों। क्यूरी दम्पति के पास न तो अच्छा घर था और न परीक्षण करने के लिए बढिया प्रयोगशाला। छत टपकती रहती थी और भयंकर सर्दी और रात रात भर काम करने के कारण वे प्रायः बीमार भी हो जाते थे। परन्त अनेक प्रकार के कष्ट सहकर भी वे निश्चित घ्येय रेडियम की खोज में जुटे रहे ।

उन्हीं दिनों बेकरल नामक एक अन्य फ्रेंच वैज्ञानिक ने यूरेनियम पर प्रयोगों से यह परिणाम निकाला था कि उससे उत्पन्न ऊर्जा में भी एक्स-रे के समान घातु को लांघ जाने की शक्ति है और उसके द्वारा भी फोटो प्लेट पर चित्र उभरता है। मेरी क्यूरी ने इस ऊर्जा को ‘रेडियो-सक्रियता’ नाम दिया। यूरेनियम पिचब्लेंड अयस्क से प्राप्त होता है। मेरी ने यह पिचब्लैंड अयस्क आस्ट्रिया से मंगवाया था। मेरी क्युरी का विचार था कि इस अयस्क में अत्यन्त अल्पमात्रा में अन्य रेडियो धर्मी तत्व होने की सम्भावना है। पति-पत्नी दोनों इस कष्ट-साध्य कार्य में लग गए। निरन्तर आठ वर्ष पिचब्लेंड को उबाल-उबाल कर श्रम करने के बाद उन्हें सफलता मिली। अन्त में उन्होंने एक नहीं, वरन दो रेडियो-सक्रिय तत्वों को प्राप्त कर लिया। ये थे रेडियम और पोलोनियम। रेडियम यूरेनियम की अपेक्षा लाखों गुणा अधिक शक्तिशाली तत्व है, इसीलिए शरीर के अन्दर विद्यमान केंसर के कीटाणुओं को नष्ट करने में समर्थ है। उनकी बिटिया और दामाद ने रेडियो आइसोटोप्स की खोज की-इनका प्रयोग भी चिकित्सा क्षेत्र में होता है ।

1906 में मेरी के पति की एक सड़क दुर्घटना में मूत्यु हो गई। उन दिनों वह पेरिस के सोरबोन विश्वविद्यालय में प्राध्यापक थे। पति की मृत्यु के बाद उस स्थान पर मेरी की नियुक्ति कर दी गई । 4 जुलाई, 1934 में इस प्रतिभावान् महिला की मृत्यु हो गई और इस मृत्यु का कारण रेडियो सक्रिय वातावरण ही था जिसमें उसने अनेक कष्ट सह कर वर्षों कार्य किया था ।

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