खेल / Sports

बैडमिण्टन के नियम (Badminton)- खेल, कोर्ट, सर्विस क्षेत्र, रैकेट, शटल तथा रैफरी

बैडमिण्टन के नियम (Badminton)- खेल, कोर्ट, सर्विस क्षेत्र, रैकेट, शटल तथा रैफरी

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बैडमिण्टन का खेल रैकेट एवं शटल के साथ खेले जाने वाला खेल है। यह खेल दूसरे देशों के साथ-साथ भारत में भी काफी लोकप्रिय है। कहा जाता है कि यह खेल एक अंग्रेज फोजी अफसर द्वारा आरम्भ किया गया था, तब इसे चिड़िया-बल्ले के नाम से जाना जाता था बाद में इसे ‘बेडमिण्टन’ नाम से पुकारा जाने लगा। भारत में यह खेल नवम् एशियाई खेलों के पश्चात् से काफी विकसित हुआ तथा इसकी राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में काफी उन्नति हुई।

इसे दो अथवा चार खिलाड़ियों के बीच आसानी से खेला जा सकता है। यहाँ तक कि परिवार के बच्चे, माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी आदि भी इस खेल को बड़े चाव से खेलना पसन्द करते हैं। इसे पुरुष एवं महिलाएँ दोनों ही खेल सकते हैं।

खेल

बैडमिण्टन का खेल एक खुले मैदान में खेला जाता है। वैसे आवश्यक नहीं कि इसे खुले मैदान में ही खेला जाए। क्योंकि यह इनडोर एवं आऊटडोर दोनों ही स्थानों पर खेला जा सकता है। खेले जाने वाले मैदान को ‘बैडमिण्टन कोर्ट’ कहा जाता है । यह मैदान एक जाल द्वारा दो भागों में विभाजित होता है। तथा दोनों अथवा चारों खिलाड़ी अपनी-अपनी दिशा लेकर शटल को रैकेट से मार कर विरोधी खिलाड़ी तक पहुँचाते हैं तथा विरोधी खिलाड़ी शटल को वापिस रैंकेट से मार कर पुनः पहले खिलाड़ी तक पहुँचाता है। इस प्रकार यह खेल चलता रहता है।

बैडमिण्टन कोर्ट

बैडमिण्टन कोर्ट आमतौर पर लकड़ी का बनाया जाता है जो चिकना नहीं होता। प्रयोग में लाई जाने वाली शटल सफेद रंग की होती है । अत: कोर्ट का धरातल गहरे रंग का होता है। कोर्ट का आकार एकल खिलाड़ियों के लिए 44 फुट लम्बा एवं 17 फुट चौड़ा होता है। युगल के लिए इसका आकार 44 फुट लम्बा एवं 20 फुट चौड़ा होता है। कोर्ट को चारों तरफ से 14 इंच अथवा 4 सेमी मोटी रेखाओं द्वारा स्पष्ट किया जाता है। ये रेखाएँ सफेद रंग की होती हैं।

जाल

जाल कोर्ट के बीचो-बीच खम्बों की सहायता से बाँधा जाता है । ये खम्बे फर्श से पाँच फुट एक इंच से ऊपर नहीं होने चाहिए। जाल मजबूत एवं रंगीन डोरियों से बना होता है तथा चारों कोनों से खम्बों के साथ इसे मजबूती से बाँधा जाता हैं। जाल का प्रत्येक खाना 2 / 8 x 3/ 4 इंच का होता है। जाल को चौड़ाई 2 फुट 6 इंच होती है।

सर्विस क्षेत्र

खेल प्रारम्भ करते समय खिलाड़ी सर्विस देकर खेल की शुरूआत करता है। वह जिस स्थान से सविस देता है, वह स्थान सर्विस क्षेत्र कहलाता है। सर्विस क्षेत्र दायाों एवं बायाँ क्षेत्र मिला कर बनता है। कोई भी खिलाड़ी दायें अथवा बायें किसी भी क्षेत्र से सर्विस कर सकता है। दो भाग बनाने का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण होता है उस पर युगल खेल का खेलना । प्रत्येक टीम के खिलाड़ी एक-एक भाग में खड़े होकर खेलते हैं।

सर्विस क्षेत्र

सर्विस क्षेत्र

रैकेट

यह हत्की लकड़ी या स्टोल का बना होता है। इसे मजबूत तारों से बुना जाता है। यह वजन में काफी हल्का होता है। इसकी पकड़ विशेष স्रकार से बनाई जाती है जिससे खिलाड़ी को उससे खेलने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े । अतः रैकेट का चुनाव करते समय देख लेना बहुत आवश्यक होता है कि वह कलाई से ठीक तरह चलेगा या नहीं। इसका भार पाँच ओंस के लगभग होता है।

शटल

एक गोलाकार कार्क को आघार बना कर उस पर 14 अथवा 16 पंख लगाकर शटल बनाई जाती है। यह बहुत हो नाजुक एवं हल्की होती है। इतनी हल्की कि रेकेट से इसका भार प्रायः दस गुना कम होता है अर्थात् 5.73 ग्राम से 5.50 श्राम तक। शटल काफी सँभालकर प्रयोग में लाई जानी चाहिए। एक बार पंख टूट जाने पर यह खेल को प्रभावित करती है।

पोशाक

बैडमिण्टन खेल के लिए पुरुष खिलाड़ी प्राय: नेकर, हाफ शर्ट, हाफ जर्सी पहनते हैं। पैरों में सफेद जुराबों के साथ हल्के जूते पहने जाते हैं। वैसे कभी-कभी ट्रैक सूट पहन कर भी खेला जा सकता है, लेकिन वह निर्णायक एवं आयोजक पर निर्भर करता है।

रैफरी

खेल का निर्णायक एक रैफरी होता है जो सम्पूर्ण खेल पर नियन्त्रण रखता है। वह चाहे तो एक सर्विस जज और दो लाईन मैन रख सकता है।

सर्विस

खेल प्रारम्भ होने से पहले दोनों टीमों में टॉस होता है। टॉस जीतने वाला खिलाड़ी सर्विस तथा दिशा का चुनाव करता है। सर्विस उसी समय की जानी चाहिए जब सर्विस पाने वाला खिलाड़ी पूरी तरह से तैयार हो । इस खेल में सर्विस करने वाले खिलाड़ी को ‘इन साईड’ तथा सर्विस पाने वाले खिलाड़ी को आऊट साईड’ के नाम से जाना जाता है। सर्विस खेल के मैदान के दायें भाग से की जाती है तथा शटल जाल को पार करती हुई दूसरे भाग के बायें हिस्से में जानी चाहिए सर्विस करते समय यह आवश्यक होता है कि सर्विस ‘अंडर आर्म’ ही की जाए, यानी रैकेट पैरों की तरफ से ऊँचा आना चाहिए। जब तक सर्विस पूरी न हो जाए खिलाड़ी को अपने दोनों पैरों पर स्थिर खड़ा रहना चाहिए।

सर्विस दोष

कुछ ऐसी परिस्थितियाँ होती हैं, जिनके अन्तर्गत सर्विस करते समय सर्विस दोष हो जाते हैं; जैसे-

(1) जब शटल को कमर की ऊँचाई से हिट किया जाए ।

(2) रैकेट का ऊपर वाला हिस्सा खिलाड़ी के हाथ से ऊपर उठ जाए।

(3) सर्विस करने वाले खिलाड़ी के पाँव सर्विस कोर्ट में न हों

(4) उसका एक या दोनों पाँव हवा में हो, अर्थात् वह उछल कर सर्विस दे रहा हो ।

(5) शटल सही सर्विस कोर्ट से बाहर चली जाती है।

सर्विस प्राप्त करना

सर्विस करने वाला खिलाड़ी सर्विस करके शटल को दूसरे खिलाड़ी के सर्विस क्षेत्र में फेंकता है तथा दूसरा खिलाड़ी शटल को बिना जमीन पर गिरे खेलता है। इस प्रकार वह सर्विस प्राप्त करने वाला खिलाड़ी कहलाता है। सर्विस प्राप्त करने वाला खिलाड़ी अपने कोर्ट की सीमा के अन्दर खड़े होकर सर्विप्त प्राप्त करता है। उसे शार्ट सर्विस एवं लम्बी सर्विस लेने की पूरी तैयारी से खड़ा होना चाहिए। सर्विस प्राप्त करने वाला खिलाड़ी कई बार शटल को नहीं खेलता क्योंकि उसे अंदाजा होता है कि सर्विस की गई शटल ठसके कोर्ट में नहीं गिरेगी। यदि ऐसा होता है तो सर्विस गलत समझी जाती है और फाउल हो जाता है।

फाउल

निम्नलिखित दशाओं में फाउल होता है –

(1) यदि शटल कोर्ट से बाहर जा गिरती है।

(2) सर्विस के दौरान शटल जाल के दूसरी तरफ नहीं गिरती।

(3) दोनों साथी खिलाड़ी एक के बाद एक करके शटल को शाट लगाते हैं।

(4) खिलाड़ी अपने विरोधी खिलाड़ी के मार्ग में खेलते समय कोई रुकावट डालता है।

(5) किसी खिलाड़ी को शटल छू जाती है।

(6) खिलाड़ी के हाथ से रेकेट छूट कर जाल के पार चला जाता है।

(7) शटल के खेल में न होने पर भी खिलाड़ी का हाथ जाल को छू जाता है।

लेट

सर्विस करते समय कई बार शटल जाल को छू कर जाल के पार चली जाती है तो ‘लेट’ दिया जाता है। ऐसी दशा मैं उससे बनने वाला अंक गिना नहीं जाता। फिर दोबारा उसी कोर्ट से सर्विस करके खेल को प्रारम्भ किया जाता है। युगल खेल के दौरान जब सर्विस करने वाला खिलाड़ी दूसरी टीम के गलत खिलाड़ी को सर्विस देता है अथवा फिर सर्विस पाने वाला खिलाड़ी अपने कोर्ट में खड़ा होकर सर्विस नहीं प्राप्त करता, तो इस दशा में ‘लेट’ दिया जाता है। सर्विस करते समय यदि शटल जाल में फॅस जाए तो भी ‘लेट’ दिया जाता है।

स्कोरिंग एवं सेटिंग

पुरुषों की एकल एवं युगल प्रतियोगिताओं में गेम 15 या 21 अंकों की होती है। महिलाओं की एकल प्रतियोगिता प्रायः 11 अंकों की होती है। तीन गेम खेलने के पश्चात् ही किसी मैच का फैसला होता है। खेल के अन्तिम क्षणों में जब कभी मैच बराबरी पर रहता है तो निर्णायक गेम को बढ़ाकर सेट कर देता है।

गेम पाइंट

खेल के दौरान जब कोई टीम 12 अंकों का स्कोर बना लेती है अथवा महिलाओं के खेल में 10 अंकों का स्कोर बन जाता है तो पहले अवसर पर इसे ‘गेय पाइंट’ कहा जाता है। इसे मैच पाइंट के नाम से भी पुकारा जाता है।

बैडमिण्टन के लिए खेले जाने वाले कुछ प्रमुख टूर्नामेन्ट

  • थॉमस कप
  • राष्ट्रीय चैम्पियनशिप
  • सोफिया किटी आकारा कप
  • उबेर कप
  • अमृत दौवान कप
  • इब्राहिम रेहमतुल्ला कप
  • चैलेंज कप

अर्जुन पुरस्कार विजेता

  1. 1961 नन्दू नाटेकर
  2. 1965 दिनेश खन्ना
  3. 1969 दीपू घोष
  4. 1971 शोभा मुरली
  5. 1972 प्रकाश पादुकोन
  6. 1974 रमा घोष
  7. 1980 सैय्यद मोदी
  8. 2000 पी० गोपीचन्द
  9. 2003 मदसु श्रीनिवास राय

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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