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वालीबॉल खेल के नियम (Volley Ball)- इतिहास, खेल का मैदान, खेल के महत्वपूर्ण तथ्य तथा प्रतियोगिताएं

वालीबॉल खेल के नियम (Volley Ball)- इतिहास, खेल का मैदान, खेल के महत्वपूर्ण तथ्य तथा प्रतियोगिताएं

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इतिहास

 इस खेल का जन्मदाता विलियम मोरगन था, जिसने सन् 1894 में अमरीका में इस खेल का प्रचलन किया था। प्रारम्भ में इस खेल को ‘मिण्टो बेण्ट’ के नाम से जाना जाता था। सन् 1896 में वालीबाल के नियम बने और सन् 1900 में ‘यंगमैन एसोसियेशन’ ने इन नियमों में संशोधन किए सन् 1917 में पहला बालोबॉल क्लब खुला और सन् 1922 में वालीबॉल खेल की पहली प्रतियोगिता सम्पन्न हुई सन् 1940 में ‘अमेरिकन वालीबॉल संघ’ की स्थापना हुई। सन् 1948 में ‘अन्तर्राष्ट्रीय वालीबॉल संघ’ की स्थापना हुई। सन् 1952 से इस खेल की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ होने लगीं। सन् 1964 में वालीबॉल खेल ओलम्पिक खेलों का अग बन गया।

भारत में सर्वप्रथम सन् 1951 में लुधियाना (पंजाब) में ‘भारतीय वालीबॉल संघ’ की स्थापना हुई । सन् 1952 से देश में वालीबॉल की राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ प्रारम्भ हो गई| सन् 1953 से महिलाएँ भी वालीबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने लगीं।

वालीबॉल का मैदान

 वालीबॉल के मैदान की माप 18 मीटर x 9 मीटर होती है। मैदान को एक मध्य रेखा द्वारा दो पालों में विभाजित कर देते हैं। मैदान की सीमा-रेखाएँ 5 सेमी चौड़ी रखी जाती हैं। प्रत्येक पाले में, मध्य रेखा से तीन मीटर दूर एक समान्तर रेखा खिंची होती है, जिसे ‘आक्रमण रेखा’ कहते हैं। प्रत्येक पाले में सर्विस का क्षेत्रफल पिछली लाइन के दाहिने कोने से 20 सेमी पीछे तथा लम्बा बनाते हुए 15 सेमी की दो रेखाओं से चिह्नित किया जाता है। मध्य भाग में पड़ा हुआ जाल पुरुषों के लिए 9-50 मीटर लम्बा, 1 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर ऊँचा होता है। महिलाओं के लिए जाल की लम्बाई 9-5 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर और ऊँचाई 2:24 मीटर होती है।

वालीबॉल खेल के महत्त्वपूर्ण तथ्य

 इस खेल के महत्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं-

(1) वालीबॉल में प्रयुक्त गेंद की परिधि 65 सेमी होती है और इसका भार 270 प्राम होता है।

(2) इस खेल में दो टीमें खेलती हैं और प्रत्येक टीम में 6 खिलाड़ी होते हैं।

(3) इस खेल का मैच तीन अथवा पाँच सेटों का होता है। हर सेट के बाद दूसरी टीम को क्रम से सर्विस करने का अवसर मिलता है।

(4) किसी टीम का स्कोर अपनी ही सर्विस पर अंक बनाने पर बढ़ता है। जो टीम 15 अंक पहले बना लेती है, वही विजयी घोषित की जाती है।

(5) इस खेल की शब्दावली में स्मैश, डबल फाल्ट, एरियल, डब हिट, फोरआर्म पास, ब्लॉकिंग, वॉलीपास, वॉली, पावर सर्व, हुक सर्व, टेनिस सर्व, लाइन्समैन, डिंग पास स्विच, ओवरलेपिंग, बूस्टर, लव, डिंग, नेट फाल्ट, नेट बाल, डबल हिट, फ्लोटर, सर्विस आदि शब्द महत्त्वपूर्ण हैं।

(6) इस खेल में सर्विस ठीक न देना, मध्य रेखा छूना, जाल छूना, बाधा डालना, डबलिंग, होल्डिग आदि ‘फाउल’ माने जाते हैं।

का संचालन अम्पायर अथवा रेफरी, निर्णायक, रेखा निरीक्षक और स्कोरर, चार अधिकारी

(7) इस खेल का संचालन अंपायर तथा रेफरी, निर्णायक, रेखा निरीक्षक और स्कोरर, चार अधिकारी करते हैं।

खेल के नियम

 इस खेल के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-

(1) यह खेल ‘सर्विस’ देने के साथ ही आरम्भ होता है। अंक बनाने पर वही टीम सर्विस करती है। विपक्षी टीम की ‘सर्विस’ तोड्ने पर पहली टीम को सर्विस का अवसर मिलता है ।

(2) फाउल खेल एवं सर्विस बदलने का अन्तिम निर्णय अम्पायर देता है।

(3) एक मैच में 6 खिलाड़ी तक बदले जा सकते हैं।

(4) प्रत्येक बॉल को अधिक-से-अधिक तीन खिलाड़ी छूकर जाल के ऊपर से विपक्षी टीम के पाले में भेज सकते हैं।

(5) यदि जाल पर दो विरोधी एक साथ बॉल छूते हैं तो उस स्थिति में जिस पाले में बॉल गिरेगी उसकी विरोधी टीम को अंक मिलेगा।

प्रमुख प्रतियोगिताएँ

  1. फैडरेशन कप
  2. शिवाजी गोल्ड कप
  3. एशिया कप
  4. इन्दिरा एस० प्रधान ट्रॉफी
  5. विश्व कप
  6. ग्राण्ड चैम्पियन्स कप
  7. इण्डिया स्वर्ण कप
  8. पूर्णिमा ट्रॉफी।

प्रमुख खिलाड़ी

भारत– जे० एस० बावा, बलवन्त सिंह, शियोराज सिंह, जगदीश सिंह, टी० गोपालन, कुलदीप चोपड़ा, सत्यप्रकाश, महेन्द्र सिंह, दलेल सिंह, सुखपाल सिंह, अमीर सिंह, पी० वी० रमन आदि ।

रूस– अलैक्जेण्डर, पिननोव आदि।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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