हॉकी के नियम (Hockey)- इतिहास, खेल का मैदान, महत्वपूर्ण तथ्य एवं प्रमुख प्रतियोगिताएं
हॉकी के नियम (Hockey)- इतिहास, खेल का मैदान, महत्वपूर्ण तथ्य एवं प्रमुख प्रतियोगिताएं
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इतिहास
वर्तमान समय में हॉकी एक प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय खेल है। इस खेल का इतिहास बहुत प्राचीन है। सन् 1277 में इंग्लैण्ड में यह खेल प्रचलित था। बाद में हॉकी का खेल फ्रांस में ‘होकेट’, इंग्लैंड में ‘होकियो’, कनाडा में ‘वैष्टी’, आयरलैण्ड में ‘हरली’ एवं वेल्स में ‘विण्टो’ के नाम से विकसित हुआ।
आधुनिक हॉकी खेल का जन्मदाता इंग्लैण्ड माना जाता है। सन् 1871 में इंग्लैण्ड में पहला हॉकी क्लब ‘रीडिगटन क्लब’ स्थापित हुआ। इस क्लब ने 24 अक्टूबर, 1874 को ‘रिंचमण्ड क्लब’ के साथ पहला हॉकी मैच खेला। 16 अप्रैल, 1875 को लन्दन में ‘इंगलिश हॉकी एसोसियेशन’ की स्थापना हुई । 26 फरवरी, 1895 को हॉकी का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच राइल में वेल्स एवं आयरलैण्ड के मध्य हुआ। इस मैच में आयरलैण्ड को विजय प्राप्त हुई। सन् 1908 से हॉकी का ओलम्पिक में प्रवेश हुआ।
हॉकी खेल के नियम पहली बार सन् 1886 में बनाए गए। सन् 1890 में ‘इंग्लैण्ड हॉकी संघ ने हाँकी के नियमों का निर्माण किया। सन् 1887 में इंग्लैण्ड में महिलाओं का पहला हॉकी क्लब स्थापित हुआ जिसका नाम ‘ईस्ट मोलसी क्लब’ रखा गया।
भारत में हॉकी खेल का आरम्भ अँग्रेजों ने किया। सर्वप्रथम सन् 1885 में कलकत्ता (कोलकाता) में ‘हॉकी संघ’ स्थापित हुआ। बाद में दिल्ली एवं पंजाब में हॉकी संघ और क्लरबों की स्थापना हुई। सन् 1908 में ‘बंगाल हॉकी एसोसियेशन’ की स्थापना हुई। सन् 1920 में कराची में ‘सिन्ध हॉकी एसोसियेशन’ की स्थापना हुई।
भारत में हॉकी प्रतियोगिताओं का आरम्भ सन् 1895 से हुआ। इन प्रतियोगिताओं में ‘वेटन कप’ एवं ‘आगा खाँ कप’ प्रतियोगिताएँ विशेष प्रसिद्ध थीं। सन् 1928 से ओलम्पिक हॉकी में भारत ने भाग लेना आरम्भ कर दिया।
भारत में महिला हॉकी का आरम्भ सन् 1967 से हुआ। सन् 1968 में महिला हॉकी की पहली एशियाई प्रतियोगिता सम्पन्न हुई। सन् 1974 में महिलाओं की विश्वकप हॉकी प्रतियोगिता आरम्भ हुई। सन् 1975 में भारत में ‘महिला हॉकी क्लब’ स्थापित हुआ।
हॉकी का मैदान
हॉकी खेल के मैदान की माप 91.40 x 54.24 मीटर रखी जाती है। मैदान की सभी रेखाएँ 8 सेमी मोटी रखी जाती हैं। मैदान की लम्बी लाइन को ‘साइड लाइन’ और चौड़ी लाइन को ‘कोगो लाइन’ कहा जाता है। मैदान के चारों कोनों पर एक मीटर की ऊँचाई वाली झण्डियाँ एक मीटर की दूरी पर लगाई जाती हैं। साइड लाइन की केन्द्र रेखा तथा 22:5 मीटर की दोनों रेखाओं पर भी एक गज की दूरी पर झण्डियाँ लगाई जाती हैं। गोल लाइन से 6:3 मीटर अन्दर की सीधी रेखा बिन्दुओं से चिह्नित की जाती है और साइड लाइन में 6:3 मीटर अन्दर समान्तर सांकेतिक चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। मैदान के दौनों ओर लाइन के बीचोंबीच ‘गोल’ बनाया जाता है। गोल के दोनों खम्भों के बीच की दूरी 3-60 मीटर रखी जाती है। दोनों गोलों के बीच गोलाई में 14-40 मीटर व्यास का ‘डी’ क्षेत्र बनाया जाता है । गोलों के पीछे गेंद को रोकने के लिए एक जाल डाला जाता है। महिला हॉकी के मैदान की माप इस मैदान की माप से कुछ कम होती है।
हॉकी खेल के प्रमुख तथ्य
हॉकी खेल के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं-
(1) हॉकी खेल में दो टीमों के मध्य मुकाबला होता है। प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं।
(2) खेल की अवधि 75 मिनट होती है, जिसमें 5 मिनट का मध्यान्तर होता है।
(3) हॉकी की बॉल सफेद रंग की होती है, इसका वजन 156 ग्राम से लेकर 163 ग्राम तक होता है तथा बॉल की परिधि 22-4 सेमी से लेकर 23.5 सेमी तक होती है।
(4) खेल में प्रयुक्त होने वाली हॉकी का भार 28 औंस तथा 23 औंस होता है।
(5) हॉकी की शब्दावली में पेनाल्टी स्ट्रोक, फ्लिक, रिवर्स फ्लिक, स्कूप, स्टिक, अम्पायर, लाइन्समन, हाफबॉली, इनफ्रिजमेण्ट, साइड लाइन, टाई ब्रेकर, सडेन डेथ, हैटट्रिक, अण्डरकटिंग, सर्किल, बुली, रोल आन, पुश इन, शूटिंग सर्किल आदि का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
(6) हॉकी में खेल के प्रारम्भ के समय बॉल को स्टिक से मारना ‘बुली’ कहलाता है।
(7) जब विपक्षी टीम गेंद को स्वतन्त्रता से मारती है तो उसे ‘फ्री हिट’ कहते हैं।
(8) ‘पेनाल्टी कॉर्नर’ एवं ‘पेनाल्टी स्ट्रोक’, गोल करने के अच्छे अवसर हैं।
(9) स्टिक को कन्धे से ऊपर उठाना, गलत ढंग से शॉट लगाना. विपक्षी खिलाडी के खेल में बाधा डालना आदि ‘फाउल’ माना जाता है।
(10) खेल का संचालन दो ‘अम्पायर’ करते हैं, जिनका निर्णय दोनों टीमों को मानना पड़ता है।
(11) खेल में जो टीम अधिक गोल करती है, वही ‘विजेता’ घोषित की जाती है।
हॉकी खेल के नियम
हॉकी खेल के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-
(1) खेल के दौरान कोई भी टीम तीन से अथिक खिलाड़ी नहीं बदल सकती है।
(2) एक बार बदला गया खिलाड़ी फिर से मैच में भाग नहीं ले सकता है।
(3) यदि हॉकी की बॉल गोल-कीपर के क्षेत्र में हो, तो वह इसे किक मार सकता है या अपने शरीर के किसी भी भाग से बॉल को रोक सकता है।
(4) अपनी टीम के लाभ के लिए कोई खिलाड़ी बॉल को जमीन अथवा हवा में अपने शरीर के किसी भाग से नहीं रोक सकता है।
(5) हॉकी के अलावा किसी भी रूप अथवा दशा में बाल को लुड़काया अथवा फेंका नहीं जा सकता है।
(6) जब अम्पायर को ऐसा लगे कि रक्षात्मक खिलाड़ी ने जानबूझकर बॉल गोल-पोस्ट के अतिरिक्त गोल रेखा में डाल दी है, तो गोल न होने की दशा में वह विपक्षी टीम को पेनाल्टी कॉर्नर देगा।
(7) पेनाल्टी स्ट्रोक आक्रामक टीम को उस दशा में दिया जाता है जब रक्षात्मक टीम का खिलाड़ी ‘डी (अर्धवृत्त) के अन्दर से जानबूझकर गलती करता है अथवा अनजाने में फाउल से बाल रुक जाती है।
(৪) पेनाल्टी स्ट्रोक आक्रामक टीम का कोई भी खिलाड़ी 6.40 मीटर की दूरी से मार सकता है, जिसे केवल रक्षक टीम का गोल-कीपर ही रोक सकता है।
(9) पेनाल्टी स्ट्रोक की बाल यदि कन्धे से ऊँची है तो गोल-कीपर उसे स्टिक से रोक सकता है।
(10) यदि बाल अर्द्धवृत के अन्दर स्थिर हो जाए अथवा बाहर चली जाए तो पेनाल्टी स्ट्रोक समाप्त हो जाता है।
(11) यदि पेनाल्टी के समय गोल-कीपर द्वारा हॉकी-नियमों का उल्लंघन करने पर बाल रुक भी जाए, तो भी गोल हुआ मान लिया जाता है।
(12) हॉकी खेल में तौन काडों का प्रयोग होता है- हरा काई मिलने पर खिलाड़ी को चेतावनी दी जाती है, पीला कार्ड मिलने पर खिलाड़ी 5 मिनट के लिए खेल से बाहर कर दिया जाता है और लाल कार्ड मिलने पर खिलाड़ी पूरे समय के लिए खेल से निकाल दिया जाता है।
प्रमुख प्रतियोगिताएँ
- ओलम्पिक हॉकी
- विश्व कप (पुरुष एवं महिला)।
- एशिया कप
- बेटन कप
- लेडी रतन टाटा कप (महिला)
- महाराजा रंजीतरसिंह गोल्ड कप
- एम० सी० सी० कप
- अन्तरमहाद्वीपीय हॉकी कप (महिला)
- सिन्धिया गोल्ड कप
- गुरुनानक कप
- ध्यान चंद्र ट्रॉफी
- सीनियर नेहरू हॉकी ट्रॉफी
- दयावती देवी ट्रॉफी ।
- एशियाई हॉकी
- रंगास्वामी कप
- इन्दिरा गोल्ड कप
- आगा खा कप
- अजलानशाह कप
- विलिंगटन कप
- मुरुगप्पा गोल्ड कप
- आल्पस कप
- मुंबई गोल्ड कप
- ओबेदुल्ला गोल्ड कप
- गुरमीत ट्रॉफी
- रेने फ्रांक ट्रॉफी
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