भूगोल / Geography

पर्यावरण जागरूकता का अर्थ |  पर्यावरण जागरूकता की विशेषताएँ | Meaning of environmental awareness in Hindi | Features of environmental awareness in Hindi

पर्यावरण जागरूकता का अर्थ |  पर्यावरण जागरूकता की विशेषताएँ | Meaning of environmental awareness in Hindi | Features of environmental awareness in Hindi

पर्यावरण जागरूकता का अर्थ

(Environmental Awareness)-

पर्यावरण शिक्षा तथा पर्यावरण जागरूकता को एक ही अर्ध में प्रयुक्त करते हैं। परन्तु इनमें सार्थक अन्तर है। पर्यावरण अध्ययन विषयों भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, भूगोल, कृषि विज्ञान, द्वारा पर्यावरण जागरूकता ही प्रदान की जाती है। इसके लिए व्यक्तियों में कौशल, विश्वास, अभिवृत्ति तथा मूल्यों का विकास नहीं होता है। इसलिए पर्यावरण शिक्षा और पर्यावरण जागरूकता के अन्तर को समझना आवश्यक है।

बेलगार्ड की अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला (197 5) जो प्रत्र पढ़े गये उनसे ‘पर्यावरण शिक्षा’ की स्थिति का बोध होता है। पर्यावरण जागरूकता में विश्व के पर्यावरण सम्बन्धी ज्ञान तथा बोध प्राप्त किया गया है। इस प्रकार पर्यावरण जागरूकता का अर्थ है-

  1. भौतिक पर्यावरण, पौधे, जानवर तथा मनुष्य परिस्परिक सम्बन्ध व निर्भरता को पहचानना और अभिवृद्धि तथा विकास को समझना।
  2. सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक विकास हेतु व्यक्तिगत रूप में या सामूहिक रूप में क्रियाओं को आरम्भ करना।
  3. पर्यावरण के अन्तर्गत मानवीय सामग्री, स्थान तथा समय और स्रोतों को पहचानना।
  4. पर्यावरण के अन्तर्गत मानवीय सामग्री, स्थान तथा समय और स्रोतों को पहचानना जिससे सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक विकास एवं अभिवृद्धि की जा सके।
  5. प्राकृतिक स्रोतों के उपयोग के लिए निर्णय लेना तथा उनके महत्व को समझना और समुदाय प्रयासों में सहायता करना जिससे उनका विशिष्ट उपयोग हो सके।

पर्यावरण जागरूकता की विशेषताएँ (Salient Features of Environmental Awareness)

पर्यावरण जागरूकता पर्यावरण शिक्षा का ही मुख्य अंग है। पर्यावरण शिक्षा का बोध तीन स्तरों पर कराया जाता है-

(1) पर्यावरण के सम्बन्ध में बतलाकर-छात्र सुनते हैं।

(2) पर्यावरण के सम्बन्ध में दिखलाकर- छात्र देखते हैं, तथा

(3) पर्यावरण के सम्बन्ध में करवाकर-छात्र कुछ करते हैं।

इन स्तरों के बोध का प्रभाव एवं गहनता में अधिक भिन्नता होती है। इन स्तरों का बोध मनोवैज्ञानिक अधिनियमों पर आधारित है। प्रथम स्तर पर छात्रों की श्रव्य इन्द्रियाँ क्रियाशील रहती हैं। जिंन तथ्यों को सुनते हैं उन्हें हम शीघ्र भूल जाते हैं। सुनना कभी अधिक अच्छा लगता है फिर भी भूल जाते हैं।

द्वितीय स्तर पर छात्र परिस्थितियों, चित्रों, चलचित्रों आदि देखते हैं उनमें अधिक रुचि लेते हैं क्योंकि देखने के साथ सुनते हैं। इन्हें हम स्मरण रखते हैं अपेक्षाकृत नहीं भूलते हैं। यदि ताजमहल या किसी बाघ को देख लिया है उसे याद रखते हैं।

तृतीय स्तर पर छात्रों को कुछ करना पड़ता है करके तथ्यों तथा प्रत्ययों का बोध होता है। करके सीखने की क्रिया अधिक प्रभावशाली होती है। क्योंकि इसमें ज्ञान इन्द्रियाँ तथा कर्म इन्द्रियाँ क्रियाशील होती हैं। जिससे स्वभाव तथा आचरण बन जाता है। इस स्तर पर वास्तविक ज्ञान प्राप्त होता है क्योंकि छात्रों को वास्तविक अनुभव प्राप्त होता है।

पर्यावरण शिक्षा में वास्तविक ज्ञान की अनुभूति कराई जाती है। भावात्मक पक्ष का विकास अधिक महत्वपूर्ण होता है। जबकि पर्यावरण जागरूकता को प्रथम दो स्तर तक ही सीमित रहते हैं। पर्यावरण के सम्बन्ध में बतलाते हैं तथा स्थानीय परिस्थितियों को दिखलाते हैं। और शैक्षिक पर्यटनों का आयोजन करते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से छात्रों में पर्यावरण के सम्बन्ध में जागरूकता का विकास होता है।

इस विवेचन से. पर्यावरण की जागरूकता की प्रकृति, स्तर तथा विशेषताओं का बोध होता है। निम्नलिखित व्यक्तियों में पर्यावरण जागरूकता विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।

  1. पर्यावरण जागरूकता पर्यावरण सम्बन्धी तथ्यों, प्रत्ययों, प्रक्रियाओं का ज्ञान तथा बोध कराया जाता है।
  2. पर्यावरण के कारकों तथा घटकों की पारस्परिक निर्भरता, समस्याओं तथा समाधान की जानकारी प्रदान की जाती है।
  3. पर्यावरण में प्रदूषणों की जानकारी दी जाती है और प्रदूषकों का भी ज्ञान दिया जाता है।
  4. पर्यावरण प्रदूषणों का मानव तथा जीवों पर पडने वाले कुप्रभावों की जानकारी दी जाती है।
  5. पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं तथा अनेक समाधान की जानकारी दी जाती है।
  6. पर्यावरण के घटकों की पारस्परिक निर्भरता और उनमें निहित सिद्धान्तों की जानकारी दी जाती है।
  7. पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान दिया जाता है और संरक्षण अधिनियमों तथा उपयोग का ज्ञान दिया जाता है।
  8. भारत में पर्यावरण संरक्षण के साधनों एवं अधिनियमों की जानकारी दी जाती है।
  9. परिस्थितिकी एवं पर्यावरण प्रदूषण की जानकारी दी जाती है।
  10. पर्यावरण के विघटन के प्रकार की जानकारी दी जाती है।
  11. पर्यावरण प्रदूषण में मानवीय कार्यकलापों के प्रभाव की जानकारी देना है।
  12. मानवीय जनसंख्या वृद्धि का परिस्थितिकी पर प्रभाव की जानकारी देना है।
  13. पर्यावरण प्रबंधन के सम्बन्ध में जानकारी देना है।
  14. पर्यावरण प्रदूषण के समाधान के माध्यमों का योगदान।
  15. पर्यावरण जागरूकता के लिए अध्ययन विषयों, बी.एड के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है।
  16. पर्यावरण जागरूकता में भौतिक, जैविक पक्षों के साथ सामाजिक, मनोवैज्ञानिक तथा धार्मिक पक्षों की जानकारी देनी है।
भूगोल – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!