विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन | Wilhelm Conrad Rontgen in Hindi

विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन | Wilhelm Conrad Rontgen in Hindi

एक्स किरण का जन्म  विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन (Wilhelm Conrad Rontgen) । रोगों के निदान में एक्स-रे ने बहुत महत्वपूर्ण योग दिया है। अनेक बार चतुर चिकित्सक भी रोगों का सही निदान नहीं कर पाते। टूटी हुई हड्डियों का सही स्थान पर स्थित करना भी काफी कठिन काम है परंतु जब से एक्स-रे का आविष्कार हुआ है इस दिशा में काफी सहायता मिली है। युद्ध अथवा दंगों आदि में बंदूक की गोली से घायल व्यक्तियों को भी इससे राहत मिलती है। एक्स-रे की सहायता से फौरन पता चल जाता है कि गोली कहां है। यदि शरीर के किसी भाग में घुसी गोली अथवा धातु के टुकड़े का सही स्थान पता न चले तो चीर फाड़ काफी बड़े स्थान पर करनी पड़ सकती है। इसी प्रकार दांत के किसी भी भाग में विशेष रूप से ऐसे भाग में जो दिखाई नहीं देते, खोड़ आदि हो तो पता लगाने में एक्स-रे बहुत सहायक होता है। अब एक्स-रे का उपयोग कैंसर के इलाज में भी होता है। इस प्रकार आज एक्स-रे मानव के लिए अधिकाधिक उपयोगी सिद्ध हो रहा है ।

एक्स-रे का आविष्कार जर्मन भौतिकशास्त्री  विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन (Wilhelm Conrad Rontgen)  ने किया था। विज्ञान के क्षेत्र में सुप्रसिद्ध अनेक व्यक्तियों ने एक से अधिक महत्वपूर्ण आविष्कार और खोज कार्य किए परंतु इस जर्मन वैज्ञानिक ने ही खोज द्वारा केवल चिकित्सा जगत में ही नहीं वरन सारे संसार में प्रसिद्धि प्राप्त की। इतना ही नहीं अपने इस आविष्कार पर उन्हों सर्वप्रथम नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इस पुरस्कार की स्थापना 1901 में हुई थी और वही पहले व्यक्ति थे जिन्हें भौतिक विज्ञान में पहला पुरस्कार उसी वर्ष प्राप्त हुआ।

विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन (Wilhelm Conrad Rontgen)  का जन्म 27 मार्च, 1845 में हुआ था। भौतिक विज्ञान में उनकी रुचि आरंभ से ही थी। शिक्षा दीक्षा के बाद जर्मनी की एक विश्वविद्यालय में भौतिकी विज्ञान के प्राध्यापक नियुक्त हुए। अतिरिक्त समय में वह कैथोड आवेशयुक्त ट्यूब से परीक्षण करते रहते थे। क्योंकि रोंतजन के प्रिय विषयों में विद्युत, प्रकाश, ताप तथा इलास्टिसिटी यानी लचीलापन आदि थे।

एक बार उन्होंने कैथोड ट्यूब के प्रकाश से प्रभावित होने वाले रसायन युक्त कागज पर प्रकाश डाला। ट्यूब पर एक मोटा गत्ता चढ़ा होने पर भी कागज चमक उठा। इससे व प्रसन्न हुए और उन्होंने अनुमान लगाया कि बत्ती जलने से ट्यूब में कोई ऐसी प्रतिक्रिया होती है जिसके कारण प्रकाश किरणे गत्ते को पार कर कागज पर पड़ती है। उन्होंने ट्यूब के आगे अपना हाथ रखा जिससे कागज पर उसके अंदर की हड्डियों का चित्र उभर आया। उन्होंने ट्यूब से निकलने वाली इन किरणों का नाम एक्स-रे रखा। चिकित्सा क्षेत्र में महान क्रांति करने वाली इस किरण का जन्म 1895 की दिसंबर की ठंडी सांस में हुआ था।

उन्होंने अपने परीक्षणों के परिणाम अन्य वैज्ञानिकों के सामने रखे जिससे उन्हें आश्चर्य होना स्वाभाविक था।  विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन (Wilhelm Conrad Rontgen)  इतने उदार थे कि उन्होंने अपने इस आविष्कार को पेटेंट नहीं करवाया। उनका कहना था कि मैं जन सामान्य के लिए उपयोगी वस्तु पर एकाधिकार करके धनवान नहीं बनना चाहता और वह अंतिम समय धनाभाव में 1923 में चल बसे।

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