Albert Einstein

अलबर्ट आइन्स्टाइन | Albert Einstein in Hindi | सापेक्षिकता सिद्धांत के जनक

अलबर्ट आइन्स्टाइन | Albert Einstein in Hindi (Albert Einstein)

सापेक्षिकता सिद्धांत के जनक अलबर्ट आइन्स्टाइन। अलबर्ट आइन्स्टाइन का सापेक्षिकता सिद्धांत भयंकर रूप से संहारक परमाणु बम के आविष्कार में सहायक हुआ। इसमें आइन्स्टाइन का कोई दोष नहीं। उन्होंने तो भौतिक विज्ञान की एक सूक्षम शाखा का अध्ययन किया और बताया कि द्रव्य और ऊर्जा का परस्पर संबंध है, अर्थात द्रव्य को ऊर्जा में और ऊर्जा की द्रव्य में परिवर्तित किया जा सकता है। द्रव्य और ऊर्जा के इसी आपसी संबंध को ‘आइन्स्टाइन सिद्धांत’ अथवा ‘सापेक्षिता सिद्धात’ कहा जाता है। उन्होंने बताया कि द्रव्य और ऊर्जा एक दूसरे के दो पृथक रूप है। भारी नाभिकी अर्थात् परमाणु के केंद्र के विखण्डन से नाभिकीय ऊर्जा उत्पन्न होती है। ऊर्जा प्राप्त करने का दूसरा तरीका है हल्के नाभिकी कणों को आपस में जोड़ना। इसे थर्मोन्यूकलीयर प्रतिक्रिया कहते हैं। इस सिद्धांत में प्रकाश और गुरुत्वाकर्षण का भी योग है। उदाहरण के लिए, सूर्य के मध्य के हाइड्रोजन परमाणु उसके मध्य भाग का गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण संघटित होते हैं और उनसे भयंकर ऊर्जा उत्पन्न होती है।

एटमबम का आभास देते हुए आइन्स्टाइन ने अमरीकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट को लिखा था कि यूरेनियम को नए शक्ति स्रोत के रूप में प्रयुक्त करने पर एक ही बम से एक पूरा बन्दरगाह और उसके आसपास का इलाका नष्ट हो जाएगा।

जब अमेरिका ने पहला एटमबम जापान के हीरोशिमा पर गिराया था तो 6 हजार लोग मरे, एक लाख घायल हुए और दो लाख बेघर हो गए थे।

आइन्स्टाइन का जन्म ज्मनी में 14 मार्च 1879 को हुआ था। जब वह स्कूल में पढ़ते थे तो अध्यापक उनके अटपटे सवालों से तंग आ जाते। वह बचपन से ही ऐसे प्रश्नों के संबंध में सोचते रहते थे जो असंभव प्रतीत होते हैं।

यह आश्चर्य की बात है कि आइन्स्टाइन ने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन किसी प्रयोगशाला में न बैठकर अपने चितन से ही किया। वह स्विस पेटेण्ट कार्यालय में क्लर्क थे और वहां बैठे भौतिक विज्ञान के गुढ़ प्रश्नों पर सोचा करते थे। न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत वस्तुओं की सामान्य स्थिति से संबंधित था। आइन्स्टाइन सोचा करते थे कि यदि कोई वस्तु प्रकाश की गति से चल रही हो तो उसकी क्या स्थिति होगी। यदि आप किसी अचल खड़े व्यक्ति की अपेक्षा अधिक तेजी से गतिशील हैं तो क्या समय की गति मंद पड़ जाएगी ? क्या गुरुत्वाकर्षण के कारण प्रकाश मुड़ता है ? आदि प्रश्नों का उत्तर उन्होंने अपने ‘सापेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धांत’ के प्रकाशन द्वारा 1905 में दिया। वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत का बहुत उत्साह से स्वागत किया और उनकी गिनती विश्व के महान वैज्ञानिकों में होने लगी ।

आइन्स्टाइन यहूदी थे। अतः हिटल र ने जब यहदियों पर अत्याचार किए तो वह अमेरिका भाग गए और वहां प्रिन्सटन विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान पढ़ाने लगे । उनका धर्म से बहुत लगाव था । उन्हें वायलिन बजाने और नौका यात्रा का बहुत शौक था। उन्हें इस बात का दूख था कि उनके सिद्धांत के कारण परमाणु बम बनाने में सफलता मिली। इसी लिए उन्होंने अपने अन्तिम दिन परमाणु शस्त्रों पर नियंत्रण लगाने के लिए प्रचार में बिताए। उनका देहा वसान 1955 में अमेरिका में हुआ ।

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