आर्थिक विकास में शिक्षा की भूमिका | Role of education in economic development in Hindi

आर्थिक विकास में शिक्षा की भूमिका | Role of education in economic development in Hindi
शिक्षा और आर्थिक विकास
आर्थिक विकास के प्रत्येक अंग उत्पादन, वितरण, संगठन, प्रशासन एवं अनुसंधान से मनुष्य का घनिष्ठ सम्बन्ध है। वही विभिन्न प्रक्रियाओं को संचालित करता तथा विकास को गति एवं दिशा देता है। इसलिए इसमें मानवीय साधनों का उतना महत्व प्राप्त है। मनुष्य की क्षमता, योग्यता तथा निपुणता, को जितना अधिक बढ़ाया जायेगा उतना ही उत्तम प्रभाव आर्थिक विकास पर होगा। मनुष्य की इन शक्तियों को उन्नत बनाने का कार्य शिक्षा का है। अतएव शिक्षा और आर्थिक विकास में निकट का संम्बन्ध है। आर्थिक विकास श्रमिकों की कार्यकुशलता पर निर्भर करता है और कार्यकुशलता उनकी शिक्षा-दीक्षा पर निर्भर करती है। गतिशील आर्थिक विकास की प्राप्ति संरक्षण और विस्तार के लिए गतिशील शैक्षिक कार्यक्रम की व्यवस्था आवश्यक होती है। अतएव शिक्षा हमारे आर्थिक भविष्य का अभिन्न अंग बन गई है।
शिक्षा लोगों की तकनीकी ज्ञान, विवेक एवं साहस में वृद्धि करती है, जिससे आर्थिक क्रियाओं का विस्तार होता है, साधनों का विवेकपूर्ण उपयोग संभव बनता है तथा बचत का उत्पादक निवेश किया जाता है। विज्ञान तथा अनुसंधान द्वारा उत्पादन तकनीकों और नये परिवर्तनों का विकास होता है जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है और देश की आर्थिक वृद्धि की दर बढ़ती हैं।
शिक्षा के योगदान को किसी भी देश की इस आर्थिक वृद्धि दर से मापा जाता है कुछ विकासशील देशों के संदर्भ में शिक्षा के आर्थिक विकास के योगदान को मापने के लिए कई अध्ययन हुए है।
शिक्षा के विभिन्न स्तरों की आर्थिक विकास में अपनी भूमिका है। प्राथमिक शिक्षा का महत्व यह है कि उससे शिक्षा का आधार तैयार होता है तथा बालकों में साक्षरता का प्रभाव प्रारम्भिक कुशलता तथा उत्पादन के लिए उचित आवश्यक मनोवृत्तियों के रूप में आता है जिसका आर्थिक वृद्धि पर निश्चित प्रभाव पड़ता है। माध्यमिक शिक्षा ऐसे श्रमिकों की पूर्ति करती है जिसमें मध्यवर्ग के कर्मचारी आते हैं, इनका व्यापार और सार्वजनिक प्रशासन में महत्वपूर्ण स्थान है। विश्वविद्यालय शिक्षा उच्च वर्ग के कर्मचारियों का निर्माण करती है। ये लोग व्यापार, उद्योग तथा प्रशासन में उच्च स्तर पर कार्य करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक शिक्षा स्तर आर्थिक विकास के विभिन्न स्तरों के कार्यकर्ताओं और कर्मिकों को तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
शिक्षा के इस महत्व के कारण ही भारतवर्ष की प्रथम फंचवर्षीय योजना में स्पष्ट कहा गया था कि “कोई भी योजना तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक वह मानव सामग्री के लिए विनियोग नहीं करती।”
विकासशील देशों में आर्थिक विकास करने के लिए शिक्षा का विकास पहले करना पड़ता। शिक्षा एक उत्प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करती है और आर्थिक तथा सामाजिक विकास की गति को बढ़ाती है। ऐसे देशों की परम्परागत अर्थव्यवस्था के विकास के अवरोधक अनेक, धार्मिक, सांस्कृतिक समाजशास्त्रीय और मनोवैज्ञानिक कारक होते हैं। अज्ञान और निरक्षरता इन अवरोधकों के मूल में होती है। अतएव शिक्षा परिवर्तन के अभिकर्ता की भूमिका निभानी पड़ती शिक्षा जनता के पिछड़ेपन को कम करके, उसकी गतिशीलता और उत्पादकता बढ़ाकर तथा नवाचारों की सूझ पैदा कर विकास के अवरोधकों को कमजोर कर देती है।
शिक्षाशस्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- आर्थिक विकास में शिक्षा की भूमिका | आर्थिक विकास में शिक्षा का योगदान
- शिक्षा में जनांकिकीय के कार्य | शिक्षा में आर्थिक कारकों का प्रभाव
- जनशक्ति का विकास शिक्षा के विकास पर निर्भर है? | Development of manpower is dependent on development of education in Hindi
- अनुदान प्रणाली के प्रमुख आधारभूत सिद्धान्त | अच्छी अनुदान प्रणाली के गुण
- शैक्षिक नियोजन क्या है? | नियोजन के तत्व | शैक्षिक नियोजन में प्रमुख विशेषतायें
- आर्थिक विकास में मानव पूँजी की भूमिका | आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक
- आर्थिक विकास क्या है? | आर्थिक विकास की अवधारणा | What is Economic Development in Hindi | Concept of economic development in Hindi
- ‘लागत’ का अर्थ क्या है? | लागत के प्रकार | शिक्षा के लागत लाभ के वर्गीकरण
Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- [email protected]