शिक्षक शिक्षण / Teacher Education

बालकों को अभिप्रेरित करने वाली प्रमुख विधियाँ | बालकों को अभिप्रेरित करने वाली प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिये।

बालकों को अभिप्रेरित करने वाली प्रमुख विधियाँ
बालकों को अभिप्रेरित करने वाली प्रमुख विधियाँ

बालकों को अभिप्रेरित करने वाली प्रमुख विधियाँ | बालकों को अभिप्रेरित करने वाली प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिये। | Major methods to motivate children in Hindi

बालकों को अभिप्रेरित करने वाली प्रमुख विधियाँ

बालकों की अभिप्रेरणा में वृद्धि करने हेतु अभिप्रेरणा की निम्न विधियों का प्रयोग किया जा सकता है-

  1. पुरस्कार एवं दण्ड

(Reward and Punishment)

शिक्षण प्रक्रिया में छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए पुरस्कार एवं दण्ड प्रदान करना एक महत्वपूर्ण प्रविधि है। छात्रों द्वारा सही एवं अच्छा कार्य करने पर उन्हें किसी कार का पुरस्कार प्रदान करने आअथवा सम्मानजनक स्थिति प्रदान करने से उन्हे प्रोत्साहन मिलता है तथा वे पुनः क्रियाशील होने के प्रति अभिप्रेरित होते हैं।

इसके विपरीत छात्रों द्वारा गलत या अवांछनीय कार्य करने पर यदि उन्हें प्रताड़ित किया जाता है या किसी अन्य प्रकार का दण्ड दिया जाता है तब वे वैसा कार्य करने से कतसने लगते हैं तथा भविष्य में गलत कार्य न करने का मन बना लेते हैं। इस प्रकार वे सही कार्य करने के प्रति अभिप्रेरित होते हैं। पुरस्कार एवं दण्ड दोनों वाह्य अभिप्रेरणा प्रविधि के अंतर्गत आते हैं। पुरस्कार एवं दण्ड के प्रयोग से शिक्षार्थी की अभिप्रेरणा में संवृद्धि की जा सकती है।

  1. प्रशंसा एवं निन्दा

(Praise and Censure)

पुरस्कार एवं दण्ड की ही भांति प्रशंसा एवं निन्दा भी छात्रों को अभिप्रेरित करने की एक महत्वपूर्ण प्रविधि है। प्रशंसा पुरस्कार का ही एक रूप है तथा निन्दा दण्ड के समान होती है। यदि अच्छे कार्य हेतु छात्रों की प्रशंसा की जाती है तब उन्हें प्रोत्साहन मिलता है। इसी प्रकार गलत या अवांछनीय कार्य के लिए यदि उनकी भत्त्सना अर्थात् निन्दा की जाती है तब वे पुनः वैसा कार्य नहीं करते है। अतः यदि इस प्रविधि का प्रयोग आवश्यकता एवं परिस्थिति के अनुसार किया जाये तो इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। तथा शिक्षार्थी की अभिप्रेरणा में वृद्धि होती है। इस प्रविधि का रूप शाब्दिक होता है। ये भी वाह़ा अभिप्रेरणा में ही सम्मिलित किये जाते हैं।

प्रतिभाशाली छात्रों के लिए प्रशंसा एवं निन्दा दीनों का प्रभाव अनुकूल होता है जबकि कमजोर विद्यार्थियों के लिए अधिक निन्दा का प्रयोग नकारात्मक प्रभाव वाला भी हो सकता है। अतः शिक्षक को सोच समझकर इस प्रविधि का प्रयोग करना चाहिए।

  1. सफलता एवं असफलता

(Success and Failure)

सफलता की प्राप्ति पुनर्बलन का कार्य करती है जिससे व्यक्ति अधिक उत्साह एवं आत्मविश्वास के साथ पुनः कार्य करने को अभिप्रेरित होता है। सफलता सभी को अभिप्रेरणा प्रदान करती है तथा इससे व्यक्ति अपनी योग्यता और क्षमता का आकलन करके आगे के लिए लक्ष्य निर्धारित करता है।

यद्यपि असफलता सफलता के विपरीत होती है किन्तु कभी-कभी यह भी अभिप्रेरक का कार्य करती है। प्रतिभाशाली छात्र असफलता को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं तथा अधिक परिश्रम एवं उत्साह से सफलता प्राप्ति के प्रति अभिप्रेरित होते हैं। इसी प्रकार असफलता का भय भी अभिप्रेरक का कार्य करती है तथा व्यक्ति कार्य करने को अधिक प्रोत्साहित होता है। इस प्रकार सफलता एवं असफलता दोनों ही अलग-अलग रूपों में अभिप्रेरणा प्रदान करते हैं। इन्हें आन्तरिक एवं वाह्य अभिप्रेरणा वर्ग में रखा जा सकता है।

  1. प्रतियोगिता एवं सहयोग

(Competition and Cooperation)

मनुष्य में अपने को एक दूसरे से श्रेष्ठ दिखलाने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। इसीलिए कक्षा में छात्र अपने सहपाठी छात्रों से अधिक अंक प्राप्त करना चाहते हैं। छात्रों की यह भावना उसे अधिक परिश्रम करने की अभिप्रेरणा प्रदान करती है। अतः शिक्षक प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों को अधिक सीखने एवं परिश्रम करने के प्रति अभिप्रेरित कर सकता है।

सामूहिक प्रतियोगिता से छात्रों में उच्च या उच्चतम स्थान प्राप्त करने के साथ-साथ सहयोग की भावना भी जागृत होती है जिससे उन्हें मिलजुलकर कार्य करने को प्रोत्साहन मिलता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से सहयोग सम्बन्धी अभिप्रेरणा अधिक महत्व रखती है। यह सामाजिक कौशल एवं लोकतांत्रिक भावना के विकास को प्रोत्साहन प्रदान करती है। अतः शिक्षक प्रतियोगिता एवं सहयोग को अभिप्रेरणा की प्रविधि के रूप में प्रयुक्त करके छात्रों में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भावात्मक विकास कर सकते हैं।

  1. प्रगति का ज्ञान

(Knowledge of Progress)

प्रगति का ज्ञान अभिप्रेरणा की एक महत्वपूर्ण प्रविधि है। छात्रों को अपनी प्रगति के बारे में जानकारी हो जाने पर उनक कार्य की गति में तीव्रता एवं उसे करने के ढंग में दृढ़ता आ जाती है तथा उनके आत्मविश्वास में वृद्ध होती है। छात्रों को उनकी प्रगति की जानकारी प्रदान करने के विभिन्न तरीके होते हैं। जैसे-शिक्षक द्वारा उनकी प्रगति की निरन्तर जानकारी प्रदान करते रहना, मासिक परीक्षाओं का आयाजन तथा उनके परिणामों से छात्रों को अवगत कराना, प्रदत्त कार्यों (Assignments) के लिए ग्रेड प्रदान करना, मौखिक एवं लिखित परीक्षाओं के प्राप्तांक प्रदान करना, अन्य शैक्षणिक क्रियाकलापों जैसे-निबन्ध प्रतियोगिता, बुद्धि परीक्षण, पहेली आदि का आयोजन तथा उनके परिणामों या प्राप्तांकों को बतलाना इत्यादि। अभिक्रमित अनुदेशन (Programmed Instruction) में भी बालकों को स्वयं अपनी प्रगति का बोध होता रहता है जिससे उन्हें पुनर्बलन मिलता रहता है। अतः शिक्षक आवश्यकतानुसार उपय्युक्त तरीकों को अपनाकर छात्रों को उनकी प्रगति का ज्ञान करा सकता है तथा उन्हें अभिप्रेरणा प्रदान कर सकता है।

  1. नवीनता

(Novelty)

व्यक्ति नवीन वस्तुओं एवं कार्यों में अधिक रुचि लेता है किन्तु अपकी रुचि नवीन कार्यों एवं वस्तुओं में तभी होती है यदि वे उसके जीवन या पूर्व ज्ञान से किसी-न-किसी रूप में सम्बन्ध रखने वाली होती है। पूर्णतया नवीन या अपरिचित वस्तुओं के प्रति व्यक्ति बहुत कम रुचि रखता है। अंतः यहां पर नवीनता से तात्पर्य ऐसे परिवर्तन या विविधता से है जिसका सम्बन्ध व्यक्ति के जीवन से होता है।

छात्रों को अपने वातावरण के साथ समायोजन की आवश्यकता होती है। वातावरण की तवीनता उन्हें समायोजन की अभिप्रेरणा प्रदान करती है। इस प्रकार शिक्षक भी शिक्षण विधि, पाठ्यवस्तु, शैक्षिक तकनीकों आदि में नवीनता का समावेश करके छात्रों को अभिप्रेरणा प्रदान कर सकता है। नवीनता व्यक्ति की इच्छाओं, जिज्ञासाओं एवं अन्य अनेक आवश्यकताओं की सन्तुष्टि में सहायक होती है। अतः इसके प्रयोग से छात्रों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

  1. आकांक्षा स्तर

(Level of Aspiration)

व्यक्ति अपने जीवन में कुछ निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की लालसा रखता है तथा उन तक पहुंचने के लिए विभिन्न उपाय एवं प्रयास करता है। ये व्यक्ति की आकांक्षाएं होती हैं तथा उनका उच्चतम स्वरूप ही व्यक्ति का आकाक्षा-स्तर कहलाता है। व्यक्ति का आकांक्षा-स्तर जितना उच्च होता है, जीवन में वह उतनी ही अधिक सफलता प्राप्त करता है। किन्तु यह सफलता उन्हीं व्यक्तियों को प्राप्त हो पाती है जो वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए आकांक्षा-स्तर का निर्धारण करते हैं क्योंकि इसे प्राप्त कर पाना व्यक्ति की योग्यताओं, क्षमताओं एवं वातावरण पर निर्भर करता है। अनेक व्यक्तियों की आकांक्षाएं बहुत उच्च स्तर की होती हैं किन्तु तदनुकूल योग्यता एवं वातावरण के अभाव में वे उन तक पहुंच नहीं पाते हैं तथा जीवन में असफल रहते हैं। इसके विपरीत कुछ लोग अपने को पहले से ही दीन-हीन समझकर उच्च आकांक्षाओं की तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं जबकि वे जीवन में कुछ कर सकते हैं। ऐसे लोगों की संख्या बहुत अधिक होती है। यदि इन लोगों को किसी तरह अपने आकांक्षा-स्तर को ऊंचा रखने की प्रेरणा मिल जाती है तब वे अपने जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगते हैं। इसी प्रकार यदि शिक्षक भी छात्रों को अपना आकांक्षा-स्तर ऊंचा बनाये रखने की प्रेरणा देता है, तब वे अधिक प्रोत्साहित एवं क्रियाशील रहते हैं।

अतः आकांक्षा-स्तर को उच्च बनाये रखना भी अभिप्रेरणा की एक महत्वपूर्ण प्रविधि है।

  1. अन्य सहायक प्रविधियां

(Other Techniques)

उपर्युक्त अभिफ्रेरणात्मक प्रविधियों के अतिरिक्त कुछ अन्य सहायक प्रविधियां भी बालको को अभिप्रेरणा प्रदान करने एवं उनके व्यवहारों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इनमें से कुछ प्रविधियां निम्नलिखित हैं-

  • (क) दृश्य-श्रव्य सामग्री (Audio-visual Aids)
  • (ख) अभिवृत्यात्मक परिवर्तन (Attitudinal change)
  • (ग) अभिरुचि विकास (Development of Interest)
  • (घ) प्रश्नोत्तर विधि (Question-Answer Method)।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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