रीति कालीन काव्य के उद्भव एवं विकास | रीति युगीन काव्य के प्रमुख प्रवृत्तियाँ | रीतिकालीन काव्य की मूलभूत प्रवृत्तियाँ

रीति कालीन काव्य के उद्भव एवं विकास | रीति युगीन काव्य के प्रमुख प्रवृत्तियाँ | रीतिकालीन काव्य की मूलभूत प्रवृत्तियाँ रीति कालीन काव्य के उद्भव एवं विकास नामकरण- रीतिकाल के नामकरण के संबंध में विद्वानों में मतैक्य नहीं। वे इसे विभिन्न नामों से संबोधित करते हैं। यथा- अलंकृत काल, कलाकाल, शृंगारकाल आदि। इस युग रीति…

रहस्यावादी काव्य की विशेषताएँ | रहस्यवाद की परिभाषा | रहस्यवाद के प्रकार | हिंदी के रहस्यवादी कवि और उनका काव्य | आधुनिक युग का रहस्यवादी काव्य | हिंदी रहस्यवादी काव्य की विशेषताएँ

रहस्यावादी काव्य की विशेषताएँ | रहस्यवाद की परिभाषा | रहस्यवाद के प्रकार | हिंदी के रहस्यवादी कवि और उनका काव्य | आधुनिक युग का रहस्यवादी काव्य | हिंदी रहस्यवादी काव्य की विशेषताएँ रहस्यावादी काव्य की विशेषताएँ प्रस्तावना कवि युगों से प्रकृति में व्याप्त रहस्य को समझने के लिए प्रयास करता जा रहा है। उनके इसी…

निर्गुण भक्ति काव्यधारा | निर्गुण काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | निर्गुण काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ

निर्गुण भक्ति काव्यधारा | निर्गुण काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | निर्गुण काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ निर्गुण भक्ति काव्यधारा मिश्रबंधुओं के पश्चात् आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में मध्यकालीन साहित्य का विभाजन दो भागों में किया है- पूर्व मध्य काल (सं, 1375 से 1700) और उत्तर-मध्यकाल सं. 1700 से 1900। पूर्व मध्यकाल…

भक्तिकाली के विभिन्न काव्यधाराओं का नाम | ज्ञानमार्गी संत काव्य की मूल प्रवृत्तियाँ | निर्गुण संत काव्य के सामाजिक चेतना का मूल्यांकन

भक्तिकाली के विभिन्न काव्यधाराओं का नाम | ज्ञानमार्गी संत काव्य की मूल प्रवृत्तियाँ | निर्गुण संत काव्य के सामाजिक चेतना का मूल्यांकन भक्तिकाली के विभिन्न काव्यधाराओं का नाम प्रस्तावना हिंदी साहित्य का भक्तिकाल सं. 1375 से सं. 1700 तक माना जाता है। निःसंदेह इस काल का साहित्य अपने पूर्ववर्ती एवं परवर्ती कालों के साहित्य से…

सगुण भक्ति काव्य की सामान्य विशेषताएँ | सगुणोपासक कवियों की समान्य प्रवृत्तियाँ

सगुण भक्ति काव्य की सामान्य विशेषताएँ | सगुणोपासक कवियों की समान्य प्रवृत्तियाँ सगुण भक्ति काव्य की सामान्य विशेषताएँ सगुण भक्ति के अंतर्गत ब्रह्मा के निराकार स्वरूप को यद्यपि अस्वीकार नहीं किया गया है तथापि व्यावहारिक दृष्टि से उसके साकार-सगुण स्वरूप की प्रतिष्ठा की गई है। सगुण भक्ति की काव्य धारा दो शाखाओं में प्रवाहित हुई-…

आदिकालीन धार्मिक साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | सिद्ध साहित्य, नाथ साहित्य एवं जैन साहित्य की प्रवृत्तियाँ

आदिकालीन धार्मिक साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | सिद्ध साहित्य, नाथ साहित्य एवं जैन साहित्य की प्रवृत्तियाँ आदिकालीन धार्मिक साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ भाषा की दृष्टि से जब आदिकालीन हिंदी साहित्य पर विचार किया जाता है तो यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि इस काल में हिंदी भाषा साहित्यिक अपभ्रंश के साथ-साथ चलती हुई क्रमशः जनभाषा…

आदि कालीन रासो साहित्य की प्रवृत्तियाँ | आदिकाल के प्रमुख रासो काव्य | रासो काव्य परंपरा का सामान्य परिचय

आदि कालीन रासो साहित्य की प्रवृत्तियाँ | आदिकाल के प्रमुख रासो काव्य | रासो काव्य परंपरा का सामान्य परिचय आदि कालीन रासो साहित्य की प्रवृत्तियाँ आदिकाल के रासो का परिचय देने से पूर्व यह समझ लेना वांछनीय होगा कि रासो से तात्पर्य क्या है? रासो शब्द की व्युत्पत्ति के संबंध में भिन्न-भिन्न विद्वानों ने भिन्न…

साहित्य के इतिहास संबंधी कुछ समस्याएँ | हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की समस्याएँ

साहित्य के इतिहास संबंधी कुछ समस्याएँ | हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की समस्याएँ साहित्य के इतिहास संबंधी कुछ समस्याएँ किसी भी भाषा के साहित्य के इतिहास का अध्ययन करते समय कई समस्याएँ उठ खड़ी होती हैं, जैसे यदि किसी साहित्य का सर्वप्रथम और सर्वमान्य ग्रंथ उपलब्ध न हो, तो उस साहित्य का आरंभ कब…

हिन्दी साहित्य के काल विभाजन की समस्या | काल विभाजन के सन्दर्भ में विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए विभिन्न मत

हिन्दी साहित्य के काल विभाजन की समस्या | काल विभाजन के सन्दर्भ में विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए विभिन्न मत हिन्दी साहित्य के काल विभाजन की समस्या किसी भी साहित्य के इतिहास का काल-विभाजन उस साहित्य में प्रवाहित होने वाली विविध साहित्यिक धाराओं एवं अनेकानेक प्रवृत्तियों के आधार पर ही सम्भव हुआ करता है। युगानुकूल…