Ernest Rutherford

अर्नेस्ट रदरफोर्ड | Ernest Rutherford in Hindi | परमाणु का भीतरी ढांचा

अर्नेस्ट रदरफोर्ड | Ernest Rutherford in Hindi  (Ernest Rutherford)

परमाणु का भीतरी ढांचा अर्नेस्ट रदरफोर्ड। रदरफोर्ड न्यूजीलेंड के रहने वाले थे। उनका जन्म 1871 में नेल्सन नामक स्थान पर हुआ था। रदरफोर्ड बचपन से ही बहुत प्रतिभाशली थे। छात्र जीवन में वह अपने पिता के साथ फार्म पर काम भी करते थे। उन्हें आरंभ से ही विज्ञान में रुचि थी। न्यूजीलेंड ब्रिटेन का उपनिवेश था । इसलिए उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त हुई और वह वहां आकर विज्ञान का अध्ययन करने लगे।

उस समय तक तत्वों के संबंध में काफी अनुसंधान हो चुका था। मेरी क्यरी ने रेडियो-सक्रिय तत्वों का पता लगा लिया था। परंतु इस बात का पता न चला था कि रेडियो सक्रियता का कारण क्या है। रदरफोर्ड ने भौतिक शास्त्र के इस नए क्षेत्र में अध्ययन अनुसंधान आरम्भ किया ।

अपने अनुसंधान से उन्हें यह ज्ञात हुआ कि रेडियो सक्रियता अनेक प्रकार की है। रेडियो-सक्रिय तत्व से बहुत सूक्ष्म अदृश्य कण निकलते हैं। वे अस्थिर रहते हैं। उन्होंने पता लगाया कि विभिन्न तत्वों में कण अथवा इलेक्ट्रान भी भिन्न संख्या में रहते हैं। परमाणु में एक केंद्र होता है और इलेक्ट्रान उस कंद्र के गिर्द गतिशील रहते हैं। रदरफोर्ड ने इन अदृश्य इलेक्ट्रानों को ‘अल्फा’ और ‘बीटा’ नाम दिया। डाल्टन ने परमाणु सिद्धांत के संबंध में काफी खोज की थी परंतु उस समय तक परमाणु के संबंध में इतना ही ज्ञान था कि उसका निर्माण अनेक छोटे कणों से मिलकर होता है। इस प्रकार रदरफोर्ड पहले व्यक्ति थे जिन्होंने परमाणु के अंदरूनी ढांचे के निर्माण के संबंध में पता लगाया।

1911 में उन्होंने अपने अनुसंधान को प्रकाशित किया और परमाणु की रचना के संबंध में उनके विचार प्रमाण बन गए। इन परिणामों से भौतिक शास्त्र में नाभिकीय परमाणु का एक नया क्षेत्र खुल गया। इसके बाद ही परमाणु बम का निर्माण और नाभिकीय ऊर्जा का विकास हुआ। रदरफोर्ड ने अपने अनुसंधान कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की केवेडिश प्रयोगशाला में किए। बाद में वह कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर हो गए। 1908 में उन्हें भौतिक विज्ञान में अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया 1914 में उन्हें ब्रिटिश सरकार ने भी ‘सर’ के खिताब से सम्मानित किया।

1933 में जब हिटलर ने द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ किया तो उसने जर्मनी के यहूदियों को मौत के घाट उतारना प्रारंभ किया। उस समय आइन्स्टाइन आदि वैज्ञानिक वहां से भाग निकले। लार्ड रदरफोर्ड ने उनकी सहायता की। रदरफोर्ड ने अपने जीवन में हो महान यश प्राप्त किया। 1937 में उनका देहावसान हो गया।

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