भूगोल / Geography

सौरमंडल (Solar System) | सौरमंडल के ग्रह | सौरमंडल से संबन्धित सम्पूर्ण जानकारी

सौरमंडल (Solar System) | सौरमंडल के ग्रह | सौरमंडल से संबन्धित सम्पूर्ण जानकारी    

  • सूर्य और उसके चारों तरफ घूमने वाले ग्रह, उपग्रह, धूमकेतु, उल्काएँ तथा क्षुद्र ग्रह संयुक्त रूप सो सौरमंडल के रूप में जाने-जाते हैं।

  • “कॉपरनिकस” का सिद्धान्त था कि “पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और ग्रह एवं अन्य पिंड सूर्य के चारों तरफ घूमते हैं।”
  • सूर्य को सौरमंडल का मुखिया भी कहा जाता है ।
  • सूर्य अत्यन्त गर्म प्रज्वलित गैसीय पदार्थ का एक वहुत बड़ा गोलाकार खगोलीय पिण्ड है, जिसका व्यास लगभग 14 लाख किमी० (13,92,520 किमी०) है ।
  • सूर्य का आयतन हमारी पृथ्वी की अपेक्षा लगभग 13 लाख गुना से भी अधिक है।
  • सूर्य एक मध्यम आयु का सितारा है जिसकी आयु लगभग 4.600 करोड़ वर्ष अनुमानित की गई है अर्थात् 5 बिलियन वर्ष है।
  • सूर्य की पृथ्वी से दूरी लगभग 15 करोड़ (14,95,97.900 किमी०) है।
  • सूर्य के केन्द्रीय भाग को “क्रोड” के नाम से जाना जाता है इसका ताप करीब 107K है।
  • सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000°C है।
  • पृथ्वी को सूर्य के ताप का दो अरबवाँ भाग प्राप्त होता है।
  • सुर्य 250 मिलियन वर्षों में केन्द्र का एक पूरा चक्कर लगाता है जिसको “कॉर्मिक वर्ष” के रूप में जाना जाता है।
  • सूर्य अपनी धुरी पर घूमता है।
  • सूर्य अपने अक्ष पर पूरब से पश्चिम की तरफ घूमता है। सूर्य की ऊर्जा का स्रोत “नाभिकीय संलयन” है।
  • सूर्य की दीप्तिमान सतह को “प्रकाश मंडल” कहा जाता है।
  • प्रकाशमंडल के किनारे प्रकाशमान नहीं होते, क्योंकि सूर्य वायुमडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है जिसको ”वर्ण मंडल” के रूप में जाना जाता है।
  • “सूर्य किरीट” सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देने वाले भाग का कहा जाता है। कोरोना X-Ray उत्सर्जित करता है। इसको सूर्य का मुकुट भी कहा जाता है।
  • पूर्ण सूर्य-ग्रहण होने के समय “कोरोना” से प्रकाश की प्राप्ति होती है।
  • इसके (सूर्य) प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड का समय लगता है जबकि प्रकाश 1 सेकेण्ड में लगभग 3 लाख किमी० की दूरी तय करता है अर्थात इसकी गति 3×108 मी०/से० है।
  • सूर्य अपनी धुरी पर 25 दिन 9 घण्टे और 7 मिनट में एक बार परिभ्रमण करता है।
  • सूर्य हमारी पृथ्वी को प्रकाश, गर्मी, शक्ति तथा जीवन प्रदान करता है।
  • सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर “औरोरा बोरियलिस” तथा दक्षिणी ध्रुव पर “औरोरा आस्ट्रेलिस” कहते हैं।
  • तारों की परिक्रमा करने वाले प्रकाश रहित आकाशीय पिण्ड, जो अपने केन्द्रवर्ती तारे के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं और उसके चारों तरफ चक्कर लगाते हैं को “ग्रह” के रूप में जाना जाता है।
  • सूर्य से दूरी के क्रम में उन ग्रहों के नाम हैं। बुद्ध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि. अरुण वरुण और कुबेर (प्लूटो)।
  • बुध. शुक्र. पृथ्वी तथा मंगल ग्रह को पार्थिव ग्रह” के नाम से जाना जाता है।
  • बृहस्पति, शनि, अरुण व वरुण को “बाह्य ग्रह” के नाम से जाना जाता है।
  • सिर्फ पंच ग्रहों को ही हम नंगी आँखों से देख सकते हैं जो निम्नलिखित हैं- बुद्ध, शुक्र. शनि. वृहस्पति तथा मंगल ।
  • बुध की दूरी सूर्य से लगभग 6 करोड किलोमीटर है।
  • प्लूटो की दूरी सूर्य से लगभग 6 अरब किलोमीटर है ।
  • बृहस्पति आकार में सबसे बडा ग्रह है और बुध सबसे छोटा ग्रह है।
  • आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम निम्नवत् है- बृहस्पति, शनि, अरुण वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मगल, बुद्ध ।
  • शुक्र तथा यूरेनस (अरुण) को छोडकर अन्य सभी ग्रहों का घूर्णन तथा परिक्रमण की दिशा एक ही है।
  • “सेरेस” को सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह माना जाता है।

Solar System

बुध (Mercury)

  • बुध” को सूर्य का सबसे निकट वाला ग्रह माना जाता है।
  • यह ग्रह सबसे छोटा ग्रह है।
  • बुध दूसरा सबसे छोटा ग्रह है जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है।
  • बुध का सबसे विशेष गुण, इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना है।
  • सूर्य के निकट होने कि वजह से यह सब से कम समय मे अपनी परिक्रमा को पूरा कर लेता है।
  • इस ग्रह का घनत्व सभी ग्रहों तरह जल से भी कम है।
  • सामान्यतः तापमान यहां का 180°C है।
  • यहां दिन अधिक गर्म तथा रातें बर्फीली होती हैं।
  • बुध ग्रह की सूर्य से दूरी 5,79,09,10 किलोमीटर है।
  • सूर्य के चारों ओर परिक्रमा का समय 88 दिन है।
  • ग्रह की भूमध्य रेखीय व्यास 4,878 किलोमीटर है।
  • अपने अक्ष पर परिभ्रमण का समय 58.6 दिन है।

शुक्र (Venus)

  • “शुक्र” को पृथ्वी का सबसे करीबी ग्रह के रूप में जाना जाता है।
  • शुक्र सबसे चमकीला और सबसे गर्म ग्रह माना जाता है।
  • शुक्र को “भोर का तारा” या ‘’सांझ का तारा” भी कहा जाता है।
  • शुक्र अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त चक्रण करता है।
  • शुक्र को पृथ्वी का “भगिनी ग्रह” भी कहा जाता है।
  • शुक्र को घनत्व, आकार और व्यास मे पृथ्वी के समान माना जाता है।
  • शुक्र के पास कोई भी उपग्रह नहीं है।
  • इसके पास अपना कोई उपग्रह नहीं है।
  • शुक्र की सूर्य से दूरी 10,82,08,900 किलोमीटर है।
  • शुक्र के सूर्य के चारों ओर परिक्रमा का समय 224.7 दिन है।
  • इसका भूमध्य रेखीय व्यास 12,756 किलोमीटर है।
  • अपने अक्ष पर परिभ्रमण का समय 243 दिन है।

बृहस्पति (Jupiter)

  • बृहस्पति को सौरमंडल का सबसे बडा ग्रह माना जाता है।
  • बृहस्पति को अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा और सूर्य की परिक्रमा करने में बारह वर्ष लगते हैं।
  • बृहस्पति के 16 उपग्रह है जिसमें “ग्यानीमीड” सबसे बडा उपग्रह है।
  • बृहस्पति पीले रंग का उपग्रह है।
  • बृहस्पति की सूर्य से दूरी 77,83,33,000 किलोमीटर है।
  • इसका भूमध्य रेखीय व्यास 1,42,880 किलोमीटर है।
  • इसका अक्षय ध्रुवी व्यास 1,33,540 किलोमीटर है।

मंगल (Mars)

  • “मंगल” को “लाल ग्रह” के रूप में भी जाना जाता है। मंगल का लाल रंग आयरन ऑक्साइड के कारण है।
  • मंगल के दिन का मान और अक्ष का झुकाव पृथ्वी के ही समान है।
  • मंगल अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लागाता है ।
  • मंगल के दो उपग्रह हैं। जिनका मान क्रमशः “फोबोस तथा डीमोस” है।
  • मंगल को सूर्य की परिक्रमा करने में 687 दिन का समय लगता है।
  • मंगल ग्रह पर “सौर मंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी” औलिपस मेसी और सौरमडल का सबसे ऊँचा पर्वत NIX Oympia स्थित है।
  • मंगल ग्रह की सूर्य से दूरी 22,79,40,500 किलोमीटर है।
  • मंगल ग्रह का भूमध्य रेखीय व्यास 1,42,880 किलोमीटर है।
  • मंगल ग्रह की अक्ष ध्रुवी व्यास 1,33,540 किलोमीटर है।

शनि (Saturn)

  • “शनि” आकार में दूसरा सबसे बडा ग्रह माना जाता है।
  • शनि आकाश में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है।
  • शनि का सबसे बड़ा उपग्रह “टिटॉन” को कहा जाता है। यह आकार में बुध के समान है।
  • शनि का उपग्रह “फोबे” इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है।
  • शनि ग्रह के पास उपग्रह के रूप में 22 छल्ले प्राप्त है।
  • शनि ग्रह की सूर्य से दूरी 1,42,69,78,000 किलोमीटर है।
  • सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने का समय 29.5 वर्ष है।
  • इसका भूमध्य रेखीय व्यास 1,20,500 किलोमीटर है।
  • इसका अक्ष ध्रुवी व्यास 100000 6900 किलोमीटर है।
  • शनि ग्रह का अपने अक्ष पर परिभ्रमण करने का समय 10.5 घंटे है।
  • शनि ग्रह का एक उपग्रह होबे वह शनि के विपरीत दिशा में शनि की परिक्रमा करता है।

अरुण (Uranus)

  • “अरुण” आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है।
  • इसकी खोज “विलियम हर्सेल” ने 1781 ई० में की थी।
  • अरुण अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की तरफ घूमता है जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की तरफ घूमते हैं।
  • अरुण को “लेटा हुआ ग्रह” भी कहा जाता है क्योंकि यह अपनी धुरी पर सूर्य की तरफ इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ सा दिखाई देता है।
  • अरुण का तापमान 18°C है तथा अरुण का दिन लगभगा 11 घण्टे का होता है।
  • अरुण के सभी उपग्रह पृथ्वी की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते हैं।
  • इसके सबसे बड़े उपग्रह का नाम टाइटेनिया है।
  • अरुण ग्रह की सूर्य से दूरी 287,09,91,000 किलोमीटर है।
  • किस ग्रह को सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने में 84 वर्ष का समय लगता है।
  • इसका इसका भूमध्य रेखीय व्यास 51,400 किलोमीटर है।
  • इसका अक्ष ध्रुवी व्यास 50,300 किलोमीटर है।
  • इसे अपने अक्ष पर परिभ्रमण करने में 16.2 घंटे का समय लगता है।
  • इसके कुल उपग्रहों की संख्या 15 है।

वरुण (Neptune)

  • “वरुण” की खोज जर्मन खगोलज्ञ “जहान गाले” द्वारा 1846 ई० में की गई थी।
  • वरुण हरे रंग का ग्रह होता है।
  • “वरुण” सूर्य की परिक्रमा 166 वर्षो में करता है तथा 127 घंटे में अपनी दैनिक गति को पूरा करता है।
  • वरुण के चारों तरफ अति शीतल मिथेन का बादल छाया हुआ।
  • इसका प्रमुख उपग्रह ट्रिटॉन है।
  • वरुण की सूर्य से दूरी 4,49,70,70,000 किलोमीटर है।
  • इसका सूर्य के चारों ओर परिक्रमण का समय 164.8 वर्ष है।
  • इसका भूमध्य रेखीय व्यास 48,600 किलोमीटर है।
  • इसकी अक्ष ध्रुवी व्यास 47,500 किलोमीटर है।
  • इसका अपने अक्ष पर परिभ्रमण का समय 18.5 घंटे है।
  • इसके कुल उपग्रहों की संख्या 8 है।

यम या कुबेर (Pluto)

  • यम ग्रह सूर्य से सबसे अधिक दूरी पर स्थित है। यह सबसे छोटा, ग्रह है।
  • इस की सूर्य से दूरी 5,91,35,10,000 किलोमीटर है।
  • इसका अपने अक्ष पर परिभ्रमण का समय 6 दिन 9.3 घंटे हैं।

पृथ्वी (Earth)

  • हमारी पृथ्वी सौरमंडल अर्थात सूर्य के गिर्द घूमने वाल 9 मुख्य ग्रहों में से एक है।
  • पृथ्वी लट्टू की तरह घूमता हुआ एक गोलाकार खगोलीय पिण्ड है यह सूर्य के चारों ओर घूमती है।
  • पृथ्वी को आकार में पाँचवा सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है।
  • पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन है
  • पृथ्वी का विषुवतीय व्यास 12756 किमी० और ध्रुवीय व्यास 12.714 किमी० हैं।
  • पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 अंश झुका हुआ है।
  • पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 घंटे 56 मिनट तथा 4 सेकेण्ड में एक पूरा चक्कर लगाती है।
  • पृथ्वी का एक परिक्रमण काल लगभग: 365 दिन में पूरा होता है।
  • पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है।
  • पृथ्वी आकार और बनावट की दृष्टि से शुक्र के समान है।
  • पृथ्वी को जल की उपस्थिति के कारण नीला ग्रह के नाम से भी जाना जाता है।
  • पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह “चन्द्रमा” है।
  • “प्रॉक्सिमा सेन्चुरी” को सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे करीब का तारा माना जाता है।
  • “प्रॉक्सिमा सेन्चुरी” पृथ्वी से 4.5 प्रकाश वर्ष दूर है। यह अल्फा सेन्चुरी समूह का एक तारा है ।
  • पृथ्वी की सूर्य से दूरी 14,95,97,900 किलोमीटर है।
  • पृथ्वी का भूमध्य रेखीय व्यास 12,756 किलोमीटर है।
  • पृथ्वी का अक्ष ध्रुवी व्यास 12,714 किलोमीटर है।

चन्द्रमा (Moon)

  • पृथ्वी और चन्द्रमा दोनों सूर्य से प्रकाश प्राप्त करते हैं।
  • सेलेनोलॉजी चन्द्रमा की सतह और आन्तरिक स्थिति का अध्ययन करने वाले विज्ञान को ही सेलेनोलॉजी कहा जाता है।
  • चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा 27 दिन 8 घण्टे है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर घूर्णन करता है यही कारण है कि चन्द्रमा का हमेशा एक ही भाग दिखाई पडता है।
  • पृथ्वी पर चन्द्रमा का सम्पूर्ण प्रकाशित भाग महीने में सिर्फ एक बार अर्थात “पूर्णिमा” को दिखाई देता है।
  • इसी प्रकार मास में एक दिन ऐसा भी आता है जब चन्द्रमा का सम्पूर्ण अप्रकाशित भाग पृथ्वी के सामने होता है और चन्द्रमा दिखाई नहीं देता, यह दिन “अमावस्या” कहलाता है।
  • चन्द्रमा का दिखाई देने वाला प्रकाशित भाग प्रतिदिन बढ़ता जाता है। पूर्णिमा से अमावस्या तक यह प्रतिदिन घटता जाता है। चन्द्रमा की इन्हीं बदलती हुई आकृतियों को चन्द्र कलाएं कहते हैं।
  • बढ़ते चांद के परखवाडे को “शुक्ल पक्ष” और घटते चांद के परखवाड़े को “कृष्ण पक्ष” कहते हैं।
  • चन्द्रमा को “जीवाश्म ग्रह” के नाम से भी जाना जाता है।
  • ज्वार उठने हेतु अपेक्षित सौर एवं चन्द्रमा की शक्तियों का अनुपात 11 : 5 का है।
  • जब पृथ्वी चाँद और सूर्य के बीच में ठीक सीध में अपनाये तो पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है। और उस पर अंधेरा छा जाता है, इसे चन्द्रग्रहण कहते हैं।
  • चन्द्रग्रहण हमेशा “पूर्णिमा” को होता है परन्तु प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा नहीं होता है।
  • जब चन्द्रमा का पूरा प्रकाशित भाग पृथ्वी की परछाई में आ जाता है तो इसे पूर्ण-चन्द्रग्रहण कहते हैं। 

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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