विक्रय प्रबंधन / Sales Management

विक्रय प्रदेश | विक्रय प्रदेश की परिभाषा | विक्रय प्रदेश की स्थापना के कारण या लाभ

विक्रय प्रदेश | विक्रय प्रदेश की परिभाषा | विक्रय प्रदेश की स्थापना के कारण या लाभ | Sales Region in Hindi | Definition of sales territory in Hindi | Cause or benefit of establishment of sales territory in Hindi

विक्रय प्रदेश या विक्रय क्षेत्र से आशय

विक्रय प्रदेश या विक्रय क्षेत्र विद्यमान तथा सम्भाव्य ग्राहकों का वह समूह है जो किसी भौगोलिक क्षेत्र में निवास करता है तथा जिसकी सेवा का भार किसी विशिष्ट विक्रयकर्त्ता, शाखा कार्यालय, व्यापारी अथवा वितरक को सौंपा जाता है।

विक्रय प्रदेश की परिभाषा-

विक्रय प्रदेश की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. प्रो. केनफील्ड के अनुसार, “विक्रय प्रदेश एक भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें वे विद्यमान तथा सामान्य ग्राहक होते हैं जिनकी सेवा किसी एक विक्रयकर्ता शाखा, व्यापारी अथवा वितरक द्वारा की जा सके।”
  2. प्रो. फ्यूटेल के अनुसार, “एक विक्रय प्रदेश में ग्राहकों का एक समूह या भौगोलिक क्षेत्र सम्मिलित है जो किसी विक्रय व्यक्ति को सौंपा जाता है। प्रदेश की कोई भौगोलिक सीमा हो भी सकती है और नहीं भी।”

विक्रय प्रदेश की स्थापना के कारण या लाभ

विक्रय क्षेत्र या प्रदेश की स्थापना के कारण या लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. ग्राहकों को अधिक सेवाएँ— विक्रय क्षेत्र को सावधानीपूर्वक निर्धारित किये जाने से प्रत्येक ग्राहक को तुरंत सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं तथा उनकी समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है।
  2. संस्था को लाभ- विक्रय क्षेत्र निर्धारित करने का संस्था को प्रमुख लाभ यह है कि इसमें विक्रयकर्त्ताओं का विक्रय क्षेत्र निर्धारित कर दिया जाता है। उस निर्धारित विक्रय क्षेत्र के लिए विक्रयकर्ता को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है जिससे उससे कार्यों की उचित देखभाल की जाती है तथा प्रत्येक विक्रयकर्ता अपने विक्रय क्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।
  3. पप्रतिस्पर्द्ध– व्यावसायिक संस्था की पृथक्-पृथक् विक्रय क्षेत्रों में बांटकर क्षेत्र में अन्य प्रतिस्पर्द्ध संस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा की जा सकती है तथा संस्था को लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
  4. विपणन अनुसंधान- विक्रय क्षेत्र के निश्चित होने पर विपणन अनुसंधान की उचित व्यवस्था सम्भव हो सकती है। विक्रय विश्लेषण के आधार पर किया जा सकता है।
  5. विक्रय वृद्धि- विक्रय क्षेत्रों का निर्धारण करने से संस्था के विक्रय में भी वृद्धि हो जाती है क्योंकि विक्रय क्षेत्र निर्धारित कर विक्रयकर्त्ताओं को सौंप दिया जाता है। विक्रयकर्ता अपने क्षेत्र में विक्रय वृद्धि के प्रयास करते हैं। इस प्रकार विक्रय क्षेत्र से विक्रय में वृद्धि होती है।
  6. लाभों में वृद्धि– विक्रय क्षेत्र को निश्चित किये जाने से विक्रय में वृद्धि होती है। विक्रय में वृद्धि के साथ-साथ लाभों में वृद्धि होती है।
  7. कार्य के दोहरेपन की समाप्ति- विक्रय क्षेत्र के निर्धारित कर दिये जाने से विक्रय क्षेत्र का वितरण करते समय कार्य में दोहरेपन को समाप्त किया जा सकता है और अनावश्यक व्ययों से बचा जा सकता है।
  8. समान ववितर— विक्रय क्षेत्र का विभाजन किये जाने से सभी विक्रयकर्त्ताओं को बाजार का समान ढंग से वितरण सम्भव हो सकता है। इसके साथ ही अपने-अपने विक्रय क्षेत्रों में बिक्री करने के समान अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
  9. मितव्ययिता- विक्रय क्षेत्र का कुशलतापूर्वक निर्धारण किये जाने पर प्रबंध एवं अन्य व्यय कम से कम होते हैं। ग्राहकों से प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है तथा ग्राहकों को अधिक सेवा के अवसर प्रदान किये जा सकते हैं।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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