विक्रय प्रबंधन / Sales Management

विक्रय पूर्वानुमान से आशय | विक्रय पूर्वानुमान की परिभाषा | विक्रय पूर्वानुमान का महत्त्व | विक्रय पूर्वानुमान के उद्देश्य | विक्रय पूर्वानुमान को प्रभावित करने वाले तत्त्व | विक्रय पूर्वानुमान को प्रभावित करने वाले कारक

विक्रय पूर्वानुमान से आशय | विक्रय पूर्वानुमान की परिभाषा | विक्रय पूर्वानुमान का महत्त्व | विक्रय पूर्वानुमान के उद्देश्य | विक्रय पूर्वानुमान को प्रभावित करने वाले तत्त्व | विक्रय पूर्वानुमान को प्रभावित करने वाले कारक | Meaning of sales forecast in Hindi | Definition of Sales Forecasting in Hindi | Importance of Sales Forecasting in Hindi | Objectives of Sales Forecasting in Hindi | Factors affecting sales forecast in Hindi | Factors Influencing Sales Forecasting in Hindi

विक्रय पूर्वानुमान से आशय एवं परिभाषा

साधारण शब्दों में, भविष्य के लिए सम्भावित बिक्री (मात्रा अथवा मूल्य) का अनुमान लगाना ही विक्रय अनुमान कहलाता है। किसी फार्म या कम्पनी की दृष्टि से विक्रय पूर्वानुमान से आशय वस्तु के भावी बाजार में अपनी कम्पनी या फर्म के भाग को पहले से निश्चित करने से है। दूसरे शब्दों में, एक संस्था या कम्पनी के विपणन कार्यक्रम के अन्तर्गत अनियंत्रित एवं नियंत्रित तत्वों को ध्यान में रखते हुए किसी निश्चित भावी अवधि के लिए बिक्री का अनुमान लगाना ही विक्रय पूर्वानुमान कहलाता है। विक्रय पूर्वानुमान की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं—

(1) अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार, “विक्रय पूर्वानुमान से आशय एक विशिष्ट भावी अवधि के लिये डॉलरों या भौतिक इकाइयों में एक प्रस्तावित विपणन योजना या कार्यक्रम के अन्तर्गत और जिस (इकाई) संस्था के लिए पूर्वानुमान लगाया जा रहा है, उसके बाहर के आर्थिक एवं अन्य घटकों की कल्पित स्थिति के अन्तर्गत विक्रय अनुमान लगाने से है। यह पूर्वानुमान किसी विशिष्ट मद के लिए हो सकता है अथवा सम्पूर्ण पंक्ति के लिए।”

(2) फिलिप कोटलर के अनुसार, “कम्पनी के पूर्वानुमान का आशय एक चुनी हुई विपणन योजना के आधार पर और वातावरण सम्बन्धी कल्पित दशाओं के अन्तर्गत कम्पनी का बिक्री के अनुमानित स्तर से है।”

विक्रय पूर्वानुमान का महत्त्व एवं उद्देश्य

विक्रय पूर्वानुमान व्यावसायिक कार्य संचालन का अनिवार्य अंग है। किसी भी विपणन नियोजन तथा विपणन कार्यक्रम की सफलता पूर्वानुमान की अच्छाई एवं उसके ठीक होने पर ही निर्भर करती है। विक्रय पूर्वानुमान विपणन नियोजन का आधार है। कोई भी विपणन तब तक सुदृढ़ नहीं हो सकती, जब तक कि उस योजना के मूल में जो स्थापित धारणाएँ हैं, वे सुदृढ़ पूर्वानुमानों पर आधारित न हों। विक्रय पूर्वानुमान प्रबंधक की भावी विपणन योजना नियोजित करने को विवश कर देते हैं। साथ ही साथ भविष्य के विपणन सम्बन्धी जोखिमों को अधिक स्पष्ट करके व्यावसायिक संस्थाओं को इन खातों के प्रति सजग कर देते हैं। विक्रय पूर्वानुमान की सहायता से प्रबंधकों को उन विपणन क्षेत्रों की जानकारी हो जाती हैं, जहाँ अधिक विपणन नियंत्रण की आवश्यकता है। वास्तविक बात तो यह है कि व्यावसायिक सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसके प्रबंधक अपने निर्णय में कितनी दूरदर्शिता का परिचय देते हैं। वे दूरदर्शिता तभी अपना सकते हैं, जबकि उनके निर्णय विक्रय पूर्वानुमान पर आधारित हो इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विपणन नियोजन में विक्रय पूर्वानुमान का व्यापक महत्व है। विक्रय पूर्वानुमान से प्राप्त निष्कर्ष ही वे आधार हैं, जिन पर विपणन नियोजनरूपी भवन आधारित हैं।

विक्रय पूर्वानुमान को प्रभावित करने वाले तत्त्व एवं कारक

विक्रय पूर्वानुमान को प्रभावित करने वाले घटक निम्नलिखित हैं-

  1. व्यापार सम्बन्धी सामान्य दशाएँ- विपणन प्रबंधक को विक्रय पूर्वानुमान करते समय भावी व्यवसाय सम्बन्धी गतिविधियों तथा दशाओं का अध्ययन करना चाहिए। व्यवसाय सम्बन्धी सामान्य दशाओं में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर जनसंख्या, धन का वितरण, सामान्य रीति-रिवाज, फैशन, मौसम आदि बातों का पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। इन सब बातों पर विचार करके विक्रय पूर्वानुमान लगाये जाने चाहिए।
  2. उद्योग सम्बन्धी विशेष दशाएँ- किसी भी संस्था या फर्म का विक्रय उस समय उद्योग की माँग का ही एक भाग होता है। अतः विक्रय पूर्वानुमान लगाते समय भविष्य में उस उद्योग की माँग में होने वाले परिवर्तनों को ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि उद्योग की माँग में परिवर्तन के अनुरूप ही किसी फर्म की माँग में परिवर्तन होते हैं। अतः उस उद्योग विशेष से सम्भावित उत्पादक फर्मों की संख्या, उनकी वार्षिक बिक्री, प्रतिस्पर्द्धा, कुल माँग के क्षेत्र, सम्भावित विस्तार या संकुचन, उत्पादकों में होने वाले सम्भावित सुधार आदि तत्त्वों को ध्यान में रखते हुए विक्रय पूर्वानुमान तैयार किये जाने चाहिए।
  3. फर्म के आन्तरिक घटक- ये ऐसे घटक होते हैं जिन पर संस्था के विपणन प्रबंधक द्वारा नियंत्रण सम्भव होता है। फर्म की तांत्रिक क्षमता, उत्पाद किस्म, कीमत, प्रेरणाएँ विज्ञापन एवं वितरण में होने वाले परिवर्तन आदि बातें विक्रय पूर्वानुमान को प्रभावित करती हैं। अतः विपणनकर्ता को विक्रय पूर्वानुमान लगाते समय इन तत्वों का भली-भाँति अध्ययन कर लेना चाहिए।
  4. निर्यात व्यापार को प्रभावित करने वाले घटक- यदि संस्था अपनी वस्तुओं का निर्यात भी करती है तो उसे निर्यात व्यापार को प्रभावित करने वाले घटकों का अध्ययन करना चाहिए, उसमें आयात-निर्यात नियंत्रण, निर्यात-नीति, आन्तरिक व्यवहार आदि प्रमुख तत्त्व है।
  5. बाजार व्यवहार- विपणन प्रबंधक को इस बात को देख लेना चाहिए कि बाजार में कम्पनी की वस्तु की माँग के सम्बन्ध में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन तो नहीं आया है। इस बात की जानकारी के लिए उसे माँग के नियम और उसे प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्त्वों का विश्लेषण करना होगा।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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