विलय | विलय के प्रकार | विलयन करने के कारण
विलय | विलय के प्रकार | विलयन करने के कारण | Merge in Hindi | Type of merger in Hindi
विलय
जब कोई एक कम्पनी दूसरी कम्पनी में मिलकर अपना अस्तित्व खो देती है तो उसे विलय कहते हैं। विलय में दो कम्पनियाँ परस्पर मिलती हैं। परन्तु केवल एक ही अस्तित्व में रहती है। विलय में एक कम्पनी दूसरी कम्पनी की सम्पत्तियाँ एवं दायित्वों को प्राप्त कर लेती है। इसके बदले में वह दूसरी कम्पनी के अंशधारियों को अंश या नकद या दोनों प्रतिफल के रूप में देती है या दोनों कम्पनियाँ सम्पत्तियों एवं दायित्वों को मिलाकर दोनों कम्पनियों के अंशधारियों को नये अंश निर्गमित करती है। जब दोनों कम्पनियाँ अपने अस्तित्व को समाप्त करके नयी कम्पनी बनाती हैं तो इसे एकीकरण (Consolidation) कहा जाता है। यह विलय की ही एक विधि है।
इसका ताजा उदाहरण है। मित्तल स्टील कम्पनी ने आर्सेलर कम्पनी के साथ मिलकर कम्पनी का नाम आर्सेलर एण्ड मित्तल कम्पनी रखा है। अब कम्पनी इसी नाम से जानी जाएगी। विलय राष्ट्रीय सीमा के अन्दर या बाहर किया जा सकता है, इसके लिए किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं है।
विलय के प्रकार
(Types of Merger) –
विलय के चार प्रकार होते हैं-
(a) ऊर्ध्वाकार विलय (Vertical Meger)- जब अलग-अलग व्यवसाय करने वाली दो या दो से अधिक कम्पनियाँ आपस में मिलकर एक हो जाती है तो उसे ऊर्ध्वाकार विलय कहा जाता है। इसमें यह आवश्यक नहीं है कि विलय करने वाली कम्पनियाँ सामान्य व्यवसाय ही करती हों। जैसे- एक बिजली बनाने वाली कम्पनी तेल कम्पनी के साथ मिल जाती है।
(b) क्षैतिज विलय (Horizontal Merger)- जब समान तरह के व्यवसाय करने वाली दो या दो से अधिक कम्पनियाँ आपस में मिलकर एक हो जाती हैं तो इसे क्षैतिज विलय कहा जाता है। इसमें यह प्रमुख शर्त होती है कि विलय करने वाली कम्पनियों द्वारा समान व्यवसाय किया जाता है। जैसे- एक स्टील कम्पनी द्वारा दूसरी स्टील कम्पनी को स्वयं में मिला लिया जाना, एक आइसक्रीम बनाने वाली कम्पनी को दूसरी आइसक्रीम बनाने वाली कम्पनी के साथ विलय।
(c) सम्बद्ध विलय (Concentric Merger)- जब दो या दो से अधिक आपस में मिलने वाली कम्पनियाँ ग्राहक समूह (Customer group), ग्राहक कार्य (Customer function) एवं वैकल्पिक प्रौद्योगिकी (Alternative technology) के दृष्टिकोण से एक-दूसरे से सम्बन्धित होती हैं तो इसे सम्बद्ध विलय कहा जाता है।
(d) असम्बद्ध विलय (Conglomerate Merger)- जब दो या दो से अधिक आपस में मिलने वाली कम्पनियाँ ग्राहक समूह (Customer group), ग्राहक कार्य (Customer function) एवं वैकल्पिक प्रौद्योगिकी (Alternative Technology) के दृष्टिकोण से एक-दूसरे से सम्बन्धित नहीं होती हैं तो इसे असम्बद्ध विलय कहा जाता है।
विलयन करने के कारण
(Reasons for Mergers)-
जब दो कम्पनियों का विलय होता है तो एक कम्पनी क्रेता कम्पनी कहलाती है तथा दूसरी कम्पनी विक्रेता कम्पनी कहलाती है। क्रेता कम्पनी एवं विक्रेता कम्पनी द्वारा विलय करने के अलग-अलग तरह के कारण होते हैं जिनके चलते कम्पनियाँ आपस में विलय करने का निर्णय लेती हैं।
क्रेता कम्पनी निम्न कारणों से विलय करना चाहती है-
(i) कम्पनी के अंश मूल्य को बढ़ाने के लिए या प्रति अंश आय को बढ़ाने के लिए।
(ii) कम्पनी की कार्यक्षमता एवं लाभदायकता में सुधार करने के लिए।
(iii) ब्रिकी एवं विकास दर में वृद्धि करने के लिए।
(iv) कम्पनी की आय एवं ब्रिकी की स्थिरता में सुधार करने के लिए।
(v) उत्पाद रेखा को सन्तुलित एवं पूर्ण करने के लिए।
(vi) प्रतिस्पर्द्धा को कम करने के लिए।
(vii) आवश्यक संसाधनों को जल्द प्राप्त करने के लिए।
(viii) आन्तरिक विनियोग की अपेक्षा अच्छे व्यवसाय में निवेश करने के लिए
(ix) कर का लाभ उठाने के लिए।
(x) आपसी सहयोग का लाभ उठाने के लिए।
विक्रता कम्पनी निम्न कारणों से विलय करना चाहती है-
(i) कम्पनी के अंशों के मूल्य को बढ़ाने के लिए।
(ii) विकास दर में वृद्धि करने के लिए।
(iii) क्रियाओं को स्थायित्व देने के लिए तथा संसाधनों की प्राप्ति के लिए।
(iv) कर विधान से लाभ प्राप्त करने के लिए।
(v) उच्च प्रबन्ध की कमी को समाप्त करने के लिए।
(vi) बाजार में स्वयं को बनाए रखने के लिए।
विलय निम्न परिस्थितियों में असफल रहता है (Mergers fails when) –
(i) जब विलय करके कम्पनी इतनी बड़ी हो जाती है कि उसको ठीक ढंग से नियन्त्रित करना मुश्किल हो जाता है।
(ii) जब विवादास्पद जवाबदेही कम्पनी के ध्यान भटका देती है।
(iii) जब विलय करने वाली कम्पनियों की सभ्यता एवं संस्कृति अलग-अलग होती है। तो सामंजस्य स्थापित करना बहुत कठिन हो जाता है।
(iv) जब अलग-अलग व्यवसाय करने वाली कम्पनियाँ वित्तीय लाभ के लिए विलय करती हैं तो विलय असफल हो जाता है।
(v) विलय करने वाली कम्पनियों का उत्पादकता स्तर जब बहुत असमान होता है।
(vi) जब एक कम्पनी के श्रमिक दूसरी विलय कम्पनी के लाभों में भी हिस्से की मांग करने लगते हैं।
(vii) जब एक विलय कम्पनी के लाभ को दूसरी विलय कम्पनी की हानि को कम करने में उपयोग किया जाता है तब विलय असफल माना जाता है, क्योंकि ऐसा विलय में नहीं किया जाता है बल्कि अधिग्रहण में किया जाता है।
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