उद्यमिता और लघु व्यवसाय / Entrepreneurship And Small Business

सरकार द्वारा लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाली प्रेरणायें | सरकार द्वारा लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाली रियायतें | सरकार द्वारा लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाले अनुदान

सरकार द्वारा लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाली प्रेरणायें | सरकार द्वारा लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाली रियायतें | सरकार द्वारा लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाले अनुदान | Incentives provided by the government to small scale industries in Hindi | Concessions provided by the government to small scale industries in Hindi | Grants provided by the government to small scale industries in Hindi

सरकार द्वारा लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाली प्रेरणार्य, रियायते एवं अनुदान

Incentives, Concessions and Subsidy

लघु उद्योगों का विकास करने का दायित्व राज्य सरकारों तथा केन्द्र सरकार द्वारा प्रशासित राज्यों को सौंपा गया है। ये अपने क्षेत्र में स्थित लघु उद्योगों को विभिन्न प्रकार की प्रेरणायें, रियायतें एवं अनुदान प्रदान करते हैं। इन सुविधाओं को पाने के लिये राज्य उद्योग निदेशालय के अधीन लघु इकाई का पंजीयन होना अनिवार्य है। अब तक उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाली प्रमुख प्रेरणायें, रियायतें एवं अनुदान निम्नलिखित हैं-

(i) राज्य पूँजी विनियोजन अनुदान (State Capital Investment Subsidy) – राज्य में लघु उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य सरकारें प्राथमिकता के क्षेत्र में आने वाले लघु उद्योगों के लिये राज्य पूंजी विनियोजन अनुदान प्रदान करती हैं। वर्तमान में ये सुविधायें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, आन्ध्र प्रदेश, केरल, त्रिपुरा, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू एवं कश्मीर, मेघालय तथा अण्डमान एवं निकोबार में उपलब्ध हैं।

(ii) भूमि, विकसित औद्योगिक प्लॉट, शेड एवं औद्योगिक बस्तियाँ (Land, Development Industrial Plots, Sheds and Industrial Estates)- राज्य सरकारें नवीन लघु इकाइयों की स्थापना के लिये अपने यहाँ भूमि का अधिग्रहण करती हैं। उनमें नवीन लघु इकाइयों के लिये विकसित औद्योगिक प्लॉट, शेड तथा औद्योगिक बस्तियों की स्थापना करती है। इन्हें नवीन लघु इकाइयों की स्थापना के लिये रियायती दरों पर देती हैं। ये सुविधायें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, केरल, मणिपुर, कर्नाटक, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, दमन तथा अण्डमान एवं निकोबार में दी जा रही हैं।

(iii) अवस्थानिक सुविधाओं को विकसित किया जाना (Infrastructural Facilities Developed)- राज्य सरकारें लघु उद्योगों के विकास के लिये स्थापित औद्योगिक वस्तियों में अवस्थानिक सुविधाओं का विकास करती हैं। जैसे-सड़क परिवहन, स्कूल, बिजली, जल-पूर्ति, चिकित्सा आदि। ये सुविधायें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुंजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, केरल, हरियाणा, मणिपुर, नागालैण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, दमन, अण्डमान एवं निकोबार आदि में उपलब्ध हैं।

(iv) अनुदान (Subsidy)- विभिन्न राज्य सरकारें एवं केन्द्र द्वारा प्रशासित प्रदेश सरकारें लघु उद्योगों के विकास के लिये विभिन्न प्रकार के अनुदान देती हैं, जैसे-

(1) ब्याज अनुदान (Interest Subsidy),

(2) परिवहन अनुदान (Transport Subsidy),

(3) तकनीकी ज्ञान अनुदान (Technical Know-how Subsidy),

(4) शक्ति रेखा एवं जनरेटिंग सैट अनुदान (Power Line and Generating Sets Subsidy)-

(5) व्यवहार्यता अध्ययन परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में लागत अनुदान (Feasibility Study and Project Report Preparation Cost Subsidy),

(6) आधुनिकीकरण/विस्तार अनुदान (Modernisation Expansion Subsidy),

(7) मार्जिन धन/बीज पूँजी अनुदान (Margin Money / Seed Capital Subsidy),

(8) वायुयान किराया अनुदान (Air freight Subsidy), एवं

(9) पंजीयन शुल्क अनुदान (Registration Fee Subsidy) आदि,

(v) विपणन समर्थन (Marketing Support)- राज्य सरकारों के विभिन्न विभाग, अर्द्ध-सरकारी संगठन, स्वायत्त सरकारी संगठन, अनुदान प्राप्त संस्थान, विभागीय उपक्रम आदि अपने लिये वस्तुओं का क्रय करते समय लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं के क्रय को प्राथमिकता देते हैं। ये सुविधायें विशेषतः मणिपुर, दिल्ली, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, नागालैण्ड, केरल आदि राज्यों द्वारा प्रदान की गई हैं।

(vi) निर्यात अभिमुखी इकाइयों के लिये विशेष सुविधायें (Special Facilities for Export Oriented Units)- राज्य सरकारें निर्यात-अभिमुखी लघु औद्योगिक इकाइयों को प्रेरणा देने के लिये समय-समय पर विशिष्ट पैकेजों की घोषणायें करती हैं। वर्तमान में ये सुविधायें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, त्रिपुरा आदि राज्यों द्वारा प्रदान की गई हैं।

(vii) मूल्य प्राथमिकता (Price Preference)- राज्य सरकारों द्वारा अपने लिये माल का क्रय करते समय लघु इकाइयों में निर्मित माल पर 15% तक की कीमत प्राथमिकता दी जाती है। राज्य सरकारों के अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र में उपक्रमों/मण्डलों द्वारा भी अपने लिये माल का क्रय करते समय लघु इकाइयों को 15% तक की कीमत प्राथमिकता प्रदान की जाती है। वर्तमान में ये सुविधायें त्रिपुरा, सिक्किम, केरल, मणिपुर आदि राज्यों में उपलब्ध हैं।

(viii) भारतीय अनिवासियों को प्रेरणायें (Incentives to Non-Resident Indians, NRI’s)- राज्य सरकारें भारतीय अनिवासियों को अपने-अपने राज्यों में नवीन लघु इकाइयों की स्थापना के लिये विभिन्न प्रकार की प्रेरणायें प्रदान करती हैं। ये प्रेरणायें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में दी जाती है।

(ix) महिला उद्यमियों के लिये विशेष प्रेरणायें (Special Incentives to Women Entrepreneurs)- राज्य सरकारें महिला उद्यमियों में साहसिक प्रवृत्ति जाग्रत करने के लिये उनके द्वारा प्रबन्धित उनके उपक्रमों में जहाँ पर 80% या इससे अधिक महिला श्रमिक कार्यरत हैं विशेष प्रेरणायें प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिये, भवन एवं यन्त्रों पर 50% अनुदान, किराया अनुदान, प्रबन्धकीय अनुदान, प्रशिक्षण अनुदान आदि वर्तमान में ये प्रेरणायें केरल तथा त्रिपुरा राज्यों तक ही समिति हैं।

उपयुक्त प्रेरणायें, रियायतें एवं अनुदान सभी राज्यों एवं केन्द्र द्वारा प्रशासित प्रदेशों में एक समान नहीं है। सहायता की प्रकृति, मात्रा एवं उनमें सम्मिलित बातें अलग-अलग राज्यों एवं प्रदेशों में अलग-अलग हैं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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