उद्यमिता और लघु व्यवसाय / Entrepreneurship And Small Business

सृजनात्मकता के सिद्धान्त | सृजनात्मकता के प्रकार | सृजनशील व्यक्यिों के गुण

सृजनात्मकता के सिद्धान्त | सृजनात्मकता के प्रकार | सृजनशील व्यक्यिों के गुण | Theories of Creativity in Hindi | Types of Creativity in Hindi | Qualities of creative people in Hindi

सृजनात्मकता के सिद्धान्त

(Theories of Creativity)

सृजनात्मकता के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-

(1) लक्षणमूलक सिद्धान्त (Trait Theory)- लक्षण व्यक्ति की विशेषतायें होती हैं तथा इनको वैयक्तिक भिन्नता के कारण समझा जा सकता है। लक्षणों के आधार पर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है। गिलफोर्ड ने सृजनात्मकता से सम्बन्धित लक्षण निम्न प्रकार बतायें हैं-

(i) समस्या के प्रति सामान्य संवेदनशीलता,

(ii) चिन्तन की सातत्यता, शब्द सातत्य, साहचर्य सातत्य, चिन्तन में लोच इत्यादि।

(iii) बौद्धिक आदर्श सामग्री, प्रकार्य तथा उत्पाद सामग्री में चित्र, प्रतीक, विचार व्यवहार इत्यादि शामिल हैं। प्रकार्य में ज्ञानात्मक, स्मरणात्मक तथा विचलित उत्पादकता को सम्मिलित किया जाता है, जबकि उत्पाद में इकाइयाँ, वर्ग, प्रणालियाँ, रूप परिवर्तन तथा व्यवहार सम्मिलित हैं।

(2) साहचर्यवाद सिद्धान्त (Associationism Theory) – रिबोट ने सृजनात्मकता को साहचर्य के साथ जोड़ने का प्रयत्न किया है। इनका विचार है कि साहचर्य वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा मानसिक स्थिति इस प्रकार जुड़ जाती है कि वह जाग्रत हो जाता है। साहचर्यवाद चिन्तन की योग्यता तथा उत्पादकता के संयोगों द्वारा उपयोगों पर विचार करता है। मेडनिक ने साहचर्य तथा सृजनात्मकता की व्याख्या करते हुये लिखा है कि “हम सृजनात्मक चिन्तन की प्रक्रिया को नवीन संगठन साहचर्य तत्वों की रचना से जोड़ते हैं। ये किसी विशेष आवश्यकता की पूर्ति करते हैं। नवीन संगठनों के तत्वों में जितनी घनिष्ठता होती है, उतनी ही सघन सृजनात्मक प्रक्रिया होती है।”

(3) मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त (Psychoanalytic theory)- इस सिद्धान्त का प्रतिपादन फ्रायड ने किया है। इनका विचार है कि जीवन की कठिनाइयों के साथ अनुकूलीकरण के लिये निम्नलिखित तीन बातें आवश्यक हैं-

रुचि का सशक्त विचलन, जो व्यक्ति की चिन्ता कम करे,

परितुष्टि के लिये प्रतिस्थापीकरण,

उत्तेजनात्मक उपादान। इनका विचार है कि सृजनात्मक व्यक्ति यथार्थ से हट जाता है, क्योंकि वह मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट नहीं कर पाता है। वह सृजनात्मक क्रियाओं के द्वारा अपनी प्रबल आकांक्षा तथा इच्छाओं को सन्तुष्ट कर सकता है। फ्रायड के अनुसार, “पूर्ण चेतना प्रणाली सृजनात्मकता का आवश्यक तत्व है। जब तक पूर्ण चेतना विकसित नहीं होगी, सृजनात्मकता विकसित नहीं होगी।”

सृजनात्मकता के प्रकार

(Type of Creativity)

सृजनात्मकता के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) प्रत्याशित सृजनात्मकता- इसमें अप्रत्याशित रूप से या अचानक किसी विचार की खोज की जाती है जिसके आधार पर लाभदायक नवप्रवर्तन करना सम्भव होता है तो इसे प्रत्याशित सृजनात्मकता कहा जाता है। कई बार अचानक ही कुछ विचार सृजनशील होते हैं जो चिन्तन प्रक्रिया के समय किसी सुखद घटना के कारण कल्पनाशील मस्तिष्क में आ जाते हैं।

(2) अन्वेषणात्मक सृजनात्मकता- यह ऐसे विचारों के सृजन से सम्बन्धित है, जो आवश्यक रूप से किन्हीं ज्ञात तथ्यों अथवा मुद्दों के लिये नहीं होते हैं, वरन् इसमें सामान्य रूप से नये विचारों की खोज की जाती है, जो हमेशा ही किसी लाभ व अवसरों के लिये प्रयुक्त नहीं किये  जाते हैं। ऐसी सृजनात्मकता आत्म-सन्तुष्टि या मनोरंजन के लिये भी हो सकती है। अनेक प्रबन्धकीय समस्याओं का इस आधार पर भी समाधान किया जा सकता है।

(3) आदर्शक सृजनात्मकता- जब किसी निर्धारित समस्या का उद्देश्य के अन्तर्गत विचारों की खोज की जाती है तो इसे आदर्शक सृजनात्मकता कहा जाता है। इसमें कर्मचारी प्रबन्धक द्वारा बतायी गयी किसी विशिष्ट समस्या को हल करने के लिये नये विचारों या तथ्यों की खोज करता है जिससे कि उस समस्या का विशिष्ट तरीके से समाधान किया जा सके। जैसे- बढ़ी हुई लागत को कम करने के लिये नये-नये विचारों की खोज करना।

सृजनशील व्यक्यिों के गुण

(Traits of Creative Peoples)

सृजनशील व्यक्तियों में कुछ मानसिक तथा शारीरिक गुण पाये जाते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-

(I) मानसिक गुण (Mental Characteristics)- सृजनात्मक व्यक्तियों के मानसिक गुण निम्नलिखित हैं-

(1) सृजनशील व्यक्ति रचनात्मक विचारों के साथ-साथ विरोधी विचारों को भी एकीकृत करने की सामर्थ्य रखता है तथा उनमें उचित समन्वय का प्रयत्न करता है।

(2) सृजनशील व्यक्ति जटिलता को प्राथमिकता देता है।

(3) सृजनशील व्यक्ति अपनी भावनाओं तथा संवेदनशीलता के प्रति अत्यधिक जागरुक होता है।

(4) सृजनशील व्यक्तियों में सत्ता के प्रति स्वाभाविक अभिवृत्ति होती है।

(5) सृजनशील व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में सम्यक् उत्तर देने तथा घटना का श्रेष्ठ विवेचन करने की क्षमता रखता है।

(6) सृजनशील व्यक्तियों में चिन्तन-मनन की व्यापक वैचारिक शक्ति होती है।

(7) सृजनशील व्यक्ति अपने संकल्प तथा निर्णय का धनी होता है तथा स्वतन्त्र निर्णय चाहता है।

(8) सृजनशील व्यक्ति दूसरों के विचारों को धैर्यपूर्वक सुनता है तथा उनका स्वागत करता है।

(9) सृजनशील व्यक्ति का प्रत्येक निर्णय स्व-विवेक, मौलिकता तथा जाँच से परिपूर्ण होता है।

(10) सृजनशील व्यक्ति सरलता से नये ढंग, सोच या प्रणाली को अपनाने के लिये तैयार रहते हैं।

(II) व्यक्ति गुण (Personality Characteristics)- सृजनशील व्यक्तियों के प्रमुख व्यक्तित्व गुण निम्नलिखित हैं-

(1) सृजनशील व्यक्ति जो जोखिम उठाकर भी कुछ उपलब्धि प्राप्त करने का प्रयत्न करता रहता है।

(2) सृजनशील व्यक्ति प्रभावशाली होता है।

(3) सृजनशील व्यक्ति सदैव सक्रिय, रचनात्मक, गतिशील वातावरण में कार्य करने वाला तथा नये परिवर्तनों में रुचि लेने वाला व्यक्ति होता है।

(4) सृजनशील व्यक्ति मनमौजी स्वभाव का होता है।

(5) सृजनशील व्यक्ति समस्याओं पर सामान्यतः तर्क संगत ढंग से विचार नहीं करता है।

(6) सृजनशील व्यक्ति समस्या को विविध आयामों से देखता है तथा विकल्पों की खोज में अधिक समय लगाता है।

(7) सृजनशील व्यक्ति प्रतिस्पर्धी प्रकृति का होता है।

(8) सृजनशील व्यक्ति स्वतन्त्र प्रकृति वाला तथा स्वयं उत्तरदायित्व लेने वाला होता है।

(9) सृजनशील व्यक्ति अन्तर्मुखी प्रकृति का होता है।

(10) सृजनशील व्यक्ति किसी जटिल समस्या का समाधान करने में अपना मार्ग तुरन्त बदल सकता है तथा ज्ञान के विविध क्षेत्रों से समस्या का समाधान करने का प्रयत्न करता है।

सृजनशील व्यक्तियों के विषय में साइमन मजारो का विचार है कि “वास्तव में सामान्य सृजनात्मकता के बारे में बात करना बहुत असम्भव है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो किसी एक क्षेत्र में अत्यधिक सृजनशील है, यह आवश्यक नहीं है कि वह दूसरे क्षेत्र में भी अपनी सृजनात्मकता सिद्ध कर सके।”

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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