उद्यमिता और लघु व्यवसाय / Entrepreneurship And Small Business

MSME की भूमिका | MSME द्वारा नवीनतम सरकारी प्रयास | देश की अर्थव्यवस्था में MSME की भूमिका

MSME की भूमिका | MSME द्वारा नवीनतम सरकारी प्रयास | देश की अर्थव्यवस्था में MSME की भूमिका | Role of MSME in Hindi | Latest Government Efforts by MSME in Hindi | Role of MSME in the country’s economy in Hindi

MSME की भूमिका:

देश की अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम (MSME) क्षेत्र की महती भूमिका है आर्थिक समीक्षा 2015-16 के अनुसार MSME क्षेत्र देश के GDP में 37.54 प्रतिशत का योगदान करता है। केयर रेटिंग रिसर्च के अनुसार देश के औद्योगिक उद्यमों में MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) का योगदान 95 प्रतिशत है। देश के औद्योगिक उत्पादन में MSME का हिस्सा लगभग 39 से 40 प्रतिशत है। केंद्रीय लघु मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2015-16 के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015-16 में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की संख्या 362991 थी।

इस समय इन उद्यमों में 1171.32 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त था। वित्तीय वर्ष 2014-15 में MSME का भारत के कुल निर्यात में हिस्सेदारी 33 प्रतिशत थी। इस प्रकार इस क्षेत्र में पूरी क्षमता है कि यह देश में व्याप्त बेराजगारी, क्षेत्रीय असंतुलन, राष्ट्रीय आय और संपत्ति के असमान वितरण जैसी ढांचागत समस्याओं का समाधान करने के लिए रामबाण का काम कर सकें। तुलनात्मक रूप से कम पूंजी लागत और अन्य क्षेत्रों के साथ विनिर्माण और विपणन से संबंध होने के चलते, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के मेक इन इण्डिया कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

MSME क्षेत्र के महत्व को स्वीकारते हुए सरकार ने नए उद्यमों के विकास के लिए अनेक स्कीम्स/कार्यक्रम शुरू किए हैं। जैसाकि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी न्यास निधि (CGTMSE), प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए, ऋण संबंधी पूंजी सब्सिडी योजना (CLCSS), परम्परागत उद्योग पुनरुद्धार निधि योजना (SFURTI; स्फूर्ति), और सूक्ष्म और लघु उद्यम-कलस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP), MSME के संवर्धन और विकास के लिए सरकार द्वारा अनेक नए उपाए किए गये हैं, जिनमें से कुछ उपायों को संक्षेप में नीचे वर्णित किया गया है।

MSME द्वारा नवीनतम सरकारी प्रयास-

(1) उद्योग आधार ज्ञापन (UAM)- यह योजना, जो MSME विकास अधिनियम, 2006 की धारा 8 के तहत सितंबर, 2015 में अधिसूचित की गई थी, MSME के लिए ‘कारोबार करने में आसानी’ को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके जरिए MSME उद्यमियों को विशिष्ट उद्योग आधार नम्बर (Unique Udyog Aadhar Number: U.A.N.) तत्काल प्राप्त करने के लिए कोई पेचीदा उद्यमी ज्ञापन दाखिल करने के बाद सिर्फ ऑनलाईन आवेदन करने की आवश्यकता होती है। मांगी गई सूचना स्वतः प्रमाणन के आधार पर होती है और इसके लिए सहायक दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होती है।

(2) उद्योगों के लिए रोजगार कार्यालय- भावी नौकरी मांगने वाले और नियोक्ता के बीच संपर्क बनाने के लिए, डिजिटल इण्डिया की तर्ज पर 15 जून, 2015 की स्थिति के अनुसार 3.42 लाख से अधिक नौकरी चाहने वालों ने इस पोर्टल पर पंजीकरण करवाया था।

(3) MSME का पुनरुद्धार और पुनर्वास हेतु फ्रेमवर्क: मई, 2015 में अधिसूचित इस फ्रेमवर्क के अन्तर्गत, सभी बैंकों को आंचलिक अथवा जिला स्तर पर संकटग्रस्त MSME उद्यमों के लिए एक समिति गठित करनी होगी, जो MSME यूनिट के लिए सुधारात्मक कार्ययोजना (Corrective Action Plan: CAP) तैयार करें।

(4) नवोन्मेष और ग्रामीण उद्यमी संवर्धन योजना (A scheme for Promoting Innovation and Rural Entrepreneurs : ASPIRE ): प्रौद्योगिकी केन्द्रों और इन्क्यूबेशन केन्द्रों का नेटवर्क स्थापित करने के उद्देश्य से 16 मार्च, 2015 को एस्पायर ( ASPIRE ) का शुभारंभ किया गया ताकि ग्रामीण और कृषि आधारित उद्योग में नवोन्मेष और उद्यमिता के लिए स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जा सके।

इसके अतिरिक्त सरकार का उद्देश्य विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में MSME क्षेत्रों को अधिक ऋण मुहैया कराना है। जिसमें कौशल विकास पर ध्यान दिया जाए, ग्रामीण युवाओं के बीच आशावादी मानसिकता के साथ उद्यमी कार्यकलापों को प्रोत्साहित किया जा सके और ग्रामीण महिलाओं के बीच नौकरी के अवसर पैदा हो सके और इस तरह उच्चस्तरीय, समावेशी और सतत औद्योगिक विकास हो सके।

(5) प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) – ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ के नाम से एक नयी योजना की शुरुआत 2008-09 से की गई है, जिसे तत्कालीन दो योजनाओं, नामतः प्रधानमंत्री रोजगार योजना और ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम का विलय करते हुये MSME मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया था।

(6) MSE कलस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP) – MSME मंत्रालय ने कम लागत पर MSME के सम्पूर्ण विकास हेतु कलस्टर अवधारणा को अपनाया है। साझा सहायता कार्यवाइयों हेतु MSME की क्षमता बढ़ाने के लिए विद्यमान कलस्टरों/नए उद्योग क्षेत्रों/संपदाओं अथवा विद्यमान औद्योगिक क्षेत्रों/ संपादाओं में हल्के हस्तक्षेप किए जाते हैं। MSE-CDP में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने और कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए, विकास आयुक्त का कार्यालय, MSME ने 1 अप्रैल, 2012 से ऑनलाइन एप्लीकेशन सिस्टम की शुरूआत की है।

(7) सरकार लघु एवं मध्यम उद्यमों को ऋण प्रवाह उपलब्ध कराने के उद्देश्य से खासकर संपार्श्विक अग्रिम/तीसरे पार्टी गारंटियों के बगैर 100 लाख रुपये तक के ऋणों के लिए गारंटी कवर उपलब्ध कराकर सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को ऋण गारंटी निधि योजना (Credit Guarantee Trust Fund for Micro and Small Enterprises: CGTMSE) का कार्यान्वयन कर रही है।

(8) लघु उद्योगों के लिए वित्तीय सहायता: लघु उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कई कदम उठाये गये। संस्थागत साख के लिए लघु उद्योगों को प्राथमिक क्षेत्र में शामिल किया गया। लघु इकाइयों को और अधिक ऋण उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से 1986 में लघु उद्योग विकास फंड (Small Industries Development Fund), 1987 में राष्ट्रीय इक्विटी फंड (National Equity fund) तथा 1988 में एक संस्थान ऋण लेने की योजना (Single Window Scheme) को लागू किया गया।

(9) क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम ( CLCSS) : MSME मंत्रालय और लघु उद्यमों के प्रौद्योगिकी उन्नयन हेतु CLCSS नामक एक योजना संचालित कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों का प्रौद्योगिकी उन्नयन को सुविधाजनक बनाना है यह योजना अक्टूबर 2000 में शुरू की गई और 29 सितम्बर, 2005 को इसे संशोधित किया गया था।

(10) भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) : लघु उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक अलग शीर्ष बैंक के रूप में सरकार ने 1989 में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) की स्थापना की। यह अन्य संस्थाओं जैसे राज्य वित्तीय निगमों, राज्य औद्योगिक विकास निगमों, वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम से लघु उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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