चार्ल्स डार्विन | Charles Darwin in Hindi
चार्ल्स डार्विन | Charles Darwin in Hindi
विकास वाद का जनक चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) | इस संसार में अनेक वर्षों तक धर्म आचार्यों का दबदबा रहा है और उन्हीं के भाई के कारण बहुत दिन तक विज्ञान की प्रगति भी रुकी रही परंतु दिल और दिमाग से खुले व्यक्ति सत्य को उघाड़ने में भी लगे रहे | डार्विन भी ऐसा ही एक प्रमुख विचारक और वैज्ञानिक था | उसी ने सबसे पहले यह बात कही कि संसार के वृक्ष, पशु – पक्षी, मनुष्य तथा अन्य वस्तुएं एकाएक नहीं बन गई, वे बहुत धीरे-धीरे शताब्दियों के परिवर्तन के बाद इस रूप में आई हैं | उन पर वातावरण और परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है और जो उनके अनुरूप अपने को ढाल लेते हैं और उनका सामना करने में समर्थ होते हैं वे ही जीवित रहते हैं | इसी धीमी और सुनिश्चित प्रक्रिया को उन्होंने ‘विकासवाद’ का नाम दिया |
डार्विन का जन्म 12 फरवरी, 1809 को इंग्लैंड के अजबेरी नामक स्थान पर हुआ था | डार्विन के पिता डॉक्टर थे और बेटे को भी डॉक्टर बनाना चाहते थे, परंतु वह डॉक्टर न बन सका | पादरी बनना भी उसे स्वीकार न था, पिता जो चाहते थे, वह बेटा नहीं चाहता था इसलिए पिता ने एक बार अकड़कर कह दिया – चूहे बिल्लियां पकड़ने के सिवा तुझे काम ही क्या है | अपने और परिवार के लिए लानत है पर वह बना प्रकृति विज्ञान का महान पंडित | पिता ने बहुत देर में पहचाना |
डार्विन को आरंभ से ही इस बात का शौक था कि जो भी विचित्र पक्षी, फूल – पत्तियां, पौधे, कीड़े, सीप, घोंघे, गूंगे और पथराए हुए कंकाल दिखाई देते, इकट्ठे कर लेते | कैंब्रिज से पढ़ाई के बाद उन्हें सरकार द्वारा ‘बीगल’ नामक जहाज पर प्रकृति विज्ञान के रूप में यात्रा का अवसर मिला | आशा थी कि यह जहाज अपना काम करके जल्दी लौट आएगा परंतु उसे 5 वर्ष लग गए | इस काल में डार्विन ने प्रकृति का बहुत निकट से अध्ययन किया और विभिन्न वस्तुओं के ढेरों नमूने इकट्ठे किए | दक्षिण अमेरिका के टापुओं के पक्षियों और विभिन्न आदिवासी जातियों ने उन्हें सोचने पर विवश किया कि मूल रूप से एक जैसे होने पर भी उनमें रूप, शक्ल और स्वभाव में अंतर क्यों है | उत्तर यही था कि परिस्थितियां, जलवायु और प्राप्त भोजन के अनुरूप ही उनमें परिवर्तन होते हैं।
5 वर्ष यात्रा के बाद डार्विन ने विवाह किया और अपने विचारों पर चिंतन और उन्हें क्रमबद्ध रूप देने के लिए एकांत जीवन बिताना शुरू किया | वह इंग्लैंड के कैंट प्रांत के डाउन गांव में आ बसे | अंतिम दिनों तक वहीं रहे और उन्होंने संसार को आश्चर्य में डाल देने वाले सिद्धांतों का प्रतिपादन किया |
1859 में उन्होंने अपनी प्रथम पुस्तक ‘आरिजिन आफ स्पेशीज़’ का प्रकाशन किया | इससे बाइबिल की इस मान्यता का खंडन होता था कि ईश्वर ने संसार केवल 1 सप्ताह में बनाया | उनकी दूसरी पुस्तक थी ‘मनुष्य का प्रादुर्भाव’ (डिसेंट आफ मैन) उसमें उन्होंने बताया कि आदमी का विकास भी बंदर जैसे किसी पुरखा से हुआ है | इस पर भयंकर तूफान मचा और बहुत से लोग उनके विरोधी हो गए | चर्च ने इस सिद्धांत के प्रचार पर रोक लगा दी | परंतु आज प्रायः सभी वैज्ञानिक डार्विन के सिद्धांत को सही मानते हैं | 1882 में डार्विन का देहांत हुआ |
प्रसिद्ध वैज्ञानिक – महत्वपूर्ण लिंक
- सुनीता विलियम्स (Sunita Williams)
- कल्पना चावला प्रथम भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री (Kalpana Chawla became the first Indian American astronaut)
- परमाणु रिएक्टर का निर्माता एनरिको फर्मी (Enrico Fermi)
- ग्रेगर जॉन मेंडल (Gregor Mendel)
- अर्नेस्ट रदरफोर्ड (Ernest Rutherford)
- अलबर्ट आइन्स्टाइन (Albert Einstein)
- गुल्येल्मो मार्कोनी (Guglielmo Marconi)
- जोजेफ प्रीस्टले (Joseph Priestley)
- मेरी क्यूरी (Marie Curie)
- होमी जहांगीर भाभा (Homi J. Bhabha)
- विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन (Wilhelm Conrad Rontgen)
- डॉ० शान्ति स्वरूप भटनागर Shanti Swaroop Bhatnagar
- एडवर्ड जेनर Edward Jenner
- हेनरी फॉक्स टालबोट Henry Fox Talbot
- डॉ० मेघनाद साहा Meghnad Saha
- दिमित्री मेंडेलीव Dmitri Mendeleev
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