भूगोल / Geography

जल संसाधन क्या है? | What is water resource in Hindi

जल संसाधन क्या है? | What is water resource in Hindi

जल संसाधन क्या है?

जल एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। यह तीन रूपों में पाया जाता है- ठोस, द्रव तथा गैस। वायुमण्डल का जल पृथ्वी की सतह पर अवक्षेपण (precipitation) द्वारा पहुँचता है और पृथ्वी की सतह से यह वायुमण्डल में वाष्पीकरण (evaporation ) तथा वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) द्वारा पहुँचता है। पृथ्वी से वायुमण्डल में तथा वायुमण्डल से वापिस पृथ्वी परु जल का यह सतत् संचरण प्रकृति द्वारा संचालित होता है। यह जल चक्र (water cycle) कहलाता है। महासागर जल के प्रमुख भण्डार हैं। पृथ्वी की सतह के लगभग तीन चौथाई भाग में महासागर फैले हुए हैं। शेष 2.5 प्रतिशत ताजा जल है और यह समस्त ताजा जल सीधे मानव द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है। अधिकांश जल ध्रुवीय अथवा हिमनद बर्फ (glacial ice) (1.97 प्रतिशत) के रूप में जमा हुआ है। बचा हुआ ताजा जल भौम जल (ground water) (0.5 प्रतिशत) के रूप में जमा हुआ है। बचा हुआ ताजा जल भौम जल (ground water) (0.5 प्रतिशत) के रूप में तता तालों और नदियों के जल (0.02 प्रतिशत) मृदा जल (0.01 प्रतिशत) तथा वायुमण्डल जल (0.01 प्रतिशत) के रूप में उपलब्ध है। अतः ताजे जल का मात्र एक छोटा सा अंश मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है।

जल उपयोग (WATER USE)-

जल सजीव जीवों जैसे पादपों, जन्तुओं मानव के जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। मानव कुछ दिनों तक बिना भोजन के रह सकता है। लेकिन जल के बिना जीवित नहीं रह सकता है।

मानव को जीवित रहने के लिए तथा अनेकों अन्य व्यावसायिक कार्यों के लिए जल की आवश्यकता होती है। यह पीने के लिए, खेती, धुलाई, सफाई, आग बुझाने तथा शौचालय आदि के लिए आवश्यक है। यह बिजली उद्योग का भी सबसे महत्त्वपूर्ण घटक है। विश्व स्तर पर जल का उपयोग 1950 से 4-8 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ा है तथा उपभोग की दर विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न है। विश्व कते कुल जल उपयोग का लगभग 70 प्रतिशत तो केवल खेती पर ही खर्च होता है, लगभग 1.1प्रतिशत घरेलू एवं नगरपालिका आपूर्ति के लिए तथा शेष विभिन्न उद्योगों जैसे दवा, सीमेन्ट, खुदाई, साबुन तथा चमड़ा उद्योग आदि द्वारा उपभोग किया जाता है।

सतह तथा भौमजल का अति उपयोग

तालाबों, तालों, नदियों आदि में पाया जाने वाला जल सतह जल (surface water) कहलाता है। पृथ्वी की सतह के नीचे संतृप्त क्षेत्र में पाया जाने वाला जल भौमजल (ground water) कहलाता है। जल की उपलब्धता एक स्थान से दूसरे स्थान पर समय के साथ बदलती रहती है। मानसूनी क्षेत्र में होने के कारण यहाँ अधिकतम वर्षा 3-4 महीने (जुलाई-अक्टूबर) के संक्षिप्त काल तक ही सीमित होती है। इस कारण देश के एक बड़े भाग में वर्ष के अधिकांश भाग में सतह तक ही सीमित होती है। इस कारण देश के एक बड़े भाग में वर्ष के अधिकांश भाग में सतह जल की आपूर्ति नहीं होती है। हमारे भौमजल संसाधन भी सिर्फ उत्तरी तथा तटीय मैदानों में ही प्रचुर मात्रा में हैं। अन्य भागों में इनकी आपूर्ति पर्याप्त नहीं है।

विश्व की जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत भाग शुष्क (arid) अथवा अर्द्धेशुष्क (seini arid) क्षेत्रों में रहता है। ये लेग अपना काफी समय, ऊर्जा तथा परिश्रम अपने घरेलू तथा कृषि उपयोगों के लिए जल प्राप्त करने में लगा देते हैं। विशाल जनसंख्या की आवशयकताओं को पूरा करने के लिए सतह जल ( तालाबों, तालों, नदियों आदि) का अत्यधिक दोहन किया जा चुका है। सतह जल के अति उपयोग के कारण, आस-पास के नम क्षेत्र भी सूख सकते हैं। जब मानव उपयोग के लिए अधिक भौमजल को निकाल लिया जाता है और वर्षा या बर्फ के पिघलने से भी उसकी पूर्ति नहीं हो पाती है दो भौमजल के भी सुख जाने की सम्भावना रहती है। तटीय क्षेत्रों में निरन्तर भौमजल के स्तर में कमी होते जाने से बहुधा ताजे जल के कुँओं में से समुद्र का खारा जल आने लगता है, जिसेस कुँओं के जल की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है। जब सतह जल को अत्यधिक निकाल लिया जाता है तो ज्वारनद प्रभावित हो जाती है। जब सतह जल को अत्यधिक निकाल लिया जाता तो ज्वारनद (estuaries) अधिक खारे तथा कम उत्पादक हो जाते हैं।

बाढ़-

बाढ़ अत्यधिक वर्षा तथा जल के असमान वितरण का परिणाम होती है। मानव ने बाढ के कारण होने वाले नुकसानों से भारी क्षति उठाई है। बाढ़ के कारण मैदान, कीचड़ तथा बालू से भर जाते हैं अतः कृष्य थल क्षेत्र प्रभावित हो जाते हैं। ऊपरी सतह की उर्वर मृदा बह कर लुप्त हो जाती है, इसलिए कृषि अर्थव्यवस्था कु-प्रभावित हो जाती है। कुछ तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के कारण जीवनयापन कठिन हो जाता है।

बाढ़ पर राष्ट्रीय आयोग (National Commission on Floods) ने यह गणना की है कि बाढ़ की प्रवृत्ति वला थल क्षेत्र 1971 के 2 करोड़ हैक्टेयर से बढ़कर 1980 में 4 करोड़ हैक्टेयर हो गया है। बाढ़ के कारण से देश को भारी आर्थिक क्षति भी होती है। सबसे अधिक पीड़ित राज्यों में आसाम, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल हैं। बाढ़ को नियन्त्रित करना कठिन है लेकिन कुछ सीमा तक इसे रोका जा सकता है। जल संभर को रोक कर, बाँधों का निर्माण करके तथा बाढ़ पीड़ित मैदानों पर मानव द्वारा किये गये अतिक्रमण को रोकर बाढ़ को नियन्त्रित किया जा सकता है।

सूखा-

यह आकलन किया गया है कि, वर्षा द्वारा जल का वार्षिक उत्पादन लगभग 3,70,000 घन किलोमीटर है तथा वार्षिक रूप से जल की खपत लगभग 10,000 घन किलोमीटर है। फिर भी जल की कमी हो जाती है क्योंकि वर्षा सभी क्षेत्रों में समान रूप से नहीं होती है। कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होती है जबकि कुछ क्षेत्र सूखे ही रह जाते हैं। पर्याप्त अवधि तक वर्षा न होने के कारण तथा अत्यधिक शुष्क स्थितियों के कारण सूखा उत्पन्न हो जाता है। यह फसलों को बहुत अधिक क्षति पहुँचाता है। अधिक गम्भीर सूखे से भौमजल स्तर भी कम हो जाता है। जलीय तथा वन्य जीवन को बहुत क्षति पहुँचती है; घास्सों, चरागाहों तथा फसलों का भयंकर विनाश हो जाता है। उपरिमृदा (top soil) सूख जाती है जिसके कारण मृदा अपरदन हो जाता है। सूखे के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएँ भी बढ़ जाती हैं।

जल पर विवाद, बाँध-लाभ तथा समस्याएँ-

वर्षा के द्वारा जल का वार्षिक उत्पादन लगभग 3,70,000 घन किलोमीटर है लेकिन फिर भी जल की कमी रहती है क्योंकि जल का उचित उपयोग तथा वितरण नहीं हो पाता है। उच्च गुणवत्ता के जल की समुचित आपूर्ति प्रदान करने के लिए एक प्रमुख जल प्रबन्धन का तरीका बांधों तथा जलाशयों का निर्माण करना है, जिससे वर्ष भर जल की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके, इसके अतिरिक्त ये बाढ़ों को नियन्त्रित करने तथा बिजली उत्पन्न करने में भी सहायक होते है।

विभिन्न नदी घाटी परियोजना के अन्तर्गत अनेक बड़े, मझोले तथा छोटे बाँधों का निर्माण किया गया है। इन बाँधों को हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू द्वारा आधुनिक भारत के मंदिर (Temples of Modern India) कहा गया था। इन बाँधों ने कृषि उत्पादन तथा बिजली के उत्पादन को बढ़ा दिया एवं विदेशी आयातों पर निर्भरता को कम कर दिया।

लेकिन कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, इन बाँधों का सामाजिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक मूल्य भी उनके लाभों से कहीं अधिक है।

बड़े बाँधों के निर्माण के सामाजिक परिणामस्वरूप लाखों जनजातीय लोग अपने घरों से विस्तापित हो जाते हैं और वे लगभग शरणार्थियों की तरह शहरी क्षेत्रों में आ जाते हैं। बड़े बाँधों के निर्माण के पर्यावरणीय परिणाम हैं-

(a) सैकड़ों गांव डूब जाएँगे।

(b) वनों का विनाश।

(c) जैव विविदता की हानि।

चार प्रमुख परियोजनाएँ जिनके कारण काफी विवाद हुआ है, वे हैं-

(i) सरदार सरोवर परियोजना, गुजरात

(ii) नर्मदा सागर परिरयोजना, म.प्र.

(iii) बोधघाट परियोजना, म.प्र. तथा

(iv) टिहरी बाँध परियोजना, उत्तरांचल

सरदार सरोवर (एस.एस.) परियोजना में, लगभग 245 गांव निमग्न हो जाएँगे और 75,000 से अधिक लोगों को वहाँ से निष्कासित कर दिया जाएगा। नर्मदा घाटी परियोजना दस लाख से अधिक लोगों को विस्थापित कर देगी, जिनमें से अधिकांश जनजातीय लोग हैं, साथ ही इससे 56,000 है. उर्वर कृषि भूमि नगम्न हो जाएँगी तथा पक्षियों की लगभग 25 प्रजातियाँ अपने आवासों से वंचित हो जाएँगी। बोधघाट परियोजना से टीका तथा साल के वन नष्ट हो जाएँगें और इससे अन्तिम जीवित जंगली भैंसे बर्बाद हो जाएँगे। टिहरी बाँध 85,000 से अधिक लोगों को विस्थापित कर देगा और टिहरी जिले को पूर्णतः डुबो देगा तथा लगभग 100 गाँवों को पूरी तरह से अथवा आंशिक रूप से निमग्न कर देगा। इस विनाश के कारण देवप्रयाग, हरिद्वार तथा ऋषिकेश धार्मिक जिले नष्ट हो जाएँगे। बड़े बाँधों के निर्माण के आर्थिक परिणाम हैं-

(i) इन बाँधों का निर्माण मूल्य अधिक है। टिहरी बाँध के निर्माण पर आने वाली लागत लगभग 3,000 करोड़ रुपये. है।

(ii) उर्वर कृषि भूमि तथा वनों का हजारों हैक्टेयर क्षेत्र नष्ट हो जाता है।

(i) विस्थापितों के पुनर्वास के लिए हजारों हैक्टेयर भूमि तथा आर्थिक सहायता की आवश्यकता होगी। आधिकारिक रूप से यह मान लिया गया है कि सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों के पुनर्वास के लिए लगभग 43,000 है. भूमि की आवश्यकता होगी।

भूगोल –महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!