राजनीति विज्ञान / Political Science

प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की विशेषताएँ | Features of Plato’s theory of education in Hindi

प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की विशेषताएँ | Features of Plato’s theory of education in Hindi

प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की विशेषताएँ

प्लेटो की शिक्षा पद्धति में निम्नलिखित विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं-

(1) शिक्षा पर राज्य का नियन्त्रण-

प्लेटो के शिक्षा के सिद्धान्त की सर्वप्रथम विशेषता यह है कि वह शिक्षा को पूर्णतः राज्य के नियन्त्रण में रखने के पक्ष में है। प्लेटो का मत है कि यदि शिक्षा पर राज्य का नियन्त्रण रहेगा तो उससे लोग शिक्षित बनकर आदर्श राज्य के निर्माण में सहायक सिद्ध होंगे और राज्य उनकी प्रकृति के अनुरूप उन्हें शिक्षा प्रदान करने में अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह कर सकेगा।

(2) आत्मा शिक्षा का स्रोत है-

प्लेटो के अनुसार शिक्षा का व्यक्ति की आत्मा एवं गुणा से घनिउ सम्बन्ध है। प्लेटो कहता है कि शिक्षा वह नहीं है जो अध्यापक देता है वरन् आत्म ज्ञान ही सच्ची शिक्षा है। प्लेटो यह मानकर चलता है कि मानव मस्तिष्क सदैव सक्रिय रहता है तथा यह अपने परिणाम से सम्बन्धित सभी पदार्थों की ओर आकर्षित होता है। इसका विशेष कारण यह है कि इसमें प्रत्येक पदार्थ के प्रति आकर्षण होता है। प्लेटो आत्मा और मस्तिष्क में काई अन्तर नहीं मानता। उसके अनुसार वस्तुओं के विषय में आत्मा को यह खोज की प्रवृत्ति उस अपने आस-पास के पदार्थों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये बाध्य करती है। अध्यापक इस ज्ञान को परोक्ष रीति से स्पर्श भी नहीं कर सकता। वह तो मात्र ऐसा प्रशिक्षण देता है कि आत्मा सुन्दर एवं आकर्षक वस्तुओं की ओर उन्मुख हो। बार्कर के अनुसार, “प्लेटो के रूपक में, अध्यापक तो अन्तर्द्षटि को प्रकाश की ओर उन्मुख कर सकता है। यह (आत्मा) प्रकाश की ओर केवल इसलिये उन्मुख होता है कि अध्यापक ऐसी व्यवस्था करता है कि उससे अन्तरदृष्ट्टि उन वस्तुओं पर पड़ जाय।”

प्लेटो का कहना है कि आत्मा पर स्वतः पदार्थ की प्रतिक्रिया होती है। आवश्यकता केवल इस बात की है कि उस पदार्थ पर आत्मा की दृष्टि पड जाय । प्लेटो के अनुसार आत्मा की यह बाह्य अभिव्यक्ति ही सच्चा ज्ञान है।

(3) शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है-

प्लेटो शिक्षा को एक सामाजिक प्रक्रिया के रूप में अंगीकृत करता है। सामाजिक प्रक्रिया का अभिप्राय यह है कि शिक्षा के द्वारा समाज की विभिन्न इकाइयों में सामाजिक चेतना जागृत हो तथा वे सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करना सीखें। प्लेटो की शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति में सामाजिक हितों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है। प्रोफेसर बार्कर लिखते हैं, “शिक्षा जहाँ तक सामाजिक है, सामाजिक औचित्य का माध्यम है, व कि सामाजिक सफलता का। यह केवल सामाजिक औचित्य का माध्यम ही नहीं वरन यह सत्य को प्राप्त करने का भी माध्यम है।”

(4) आत्मा के अस्तित्त्व के लिये शिक्षा आवश्यक है-

प्लेटो के अनुसार शिक्षा के बिना आत्मा का अस्तित्त्व सम्भव नहीं हैं वह शिक्षा को आध्यात्मिक अभिव्यक्ति मानता है। उसका कहना था कि जिस प्रकार भौतिक जीवन के लिये भोजन आवश्यक है उसी प्रकार आत्मा के लिये भी भोजन अपेक्षित है। यह भोजन उसे शिक्षा से मिलता है।

(5) शिक्षा का उद्देश्य मानव अनुभव की पूर्णता है-

प्लेटो अपनी शिक्षा की योजना में ऐसा पाठ्यक्रम निर्धारित करता है जिससे कि मानव आत्मा का पूर्ण विकास हो सके और वह मानव अनुभव की परिपक्वता का अनुभव कर। आत्मा जिस अनुभव को ग्रहण करती है वह निरर्थक नहीं होता तथा प्रत्येक अनुभव के पीछे ठीक उसी प्रकार कोई न कोई हेतु, होता है जिस प्रकार विश्व के संचालन के पीछे उद्देश्य होता है। बार्कर का कहना है कि-“मानव मस्तिष्क में विवेक की शक्ति होने के कारण ही एकता होती है और चूँकि इसमें क्रमबद्धता होती है; अतः वह केवल सार्वभौमिक सत्य की ओर ही अग्रसर होता है।”

(6) शिक्षा जीवन भर चलती हैं-

प्लेटो की शिक्षा जीवन भर चलती है। प्लेटो केवल वक वर्ग के ही लिए शिक्षा की व्यवस्था नहीं करता वरन् आयु के साथ-साथ शिक्षा का स्वरूप बदलता जाता है। प्राफेसर बाकर की शब्दा में, “प्लैटों के राज्य में जब नवयुवक अपनी आयु को समाप्त कर लेता है तो शिक्षा समाप्त नहीं होती। एक अवस्था हो सकती है परन्तु योग्य एवं इच्छुक व्यक्तियों के लिये शिक्षा की एक के पश्चात् दूसरी अवस्था है।” प्लेटो की शिक्षा व्यवस्था में 35 वर्ष की आयु तक शिक्षा समाप्त नहीं होती है। 15 वर्ष तक राज्य की सेवा करने के पश्चात् वृद्धावस्था के दिनों में भी प्लेटी के द्शन के अध्ययन तथा चिन्तन का सुझाव देता है; अत: प्लेटो की शिक्षा-योजना जीवन भर के लिए है।

(7) सद्गुण ही ज्ञान है-

सुकरात के वाक्य ‘सद्गुण ही ज्ञान है’ (Virtue is knowledge) को प्लेटो ने आदर्श रूप में स्वीकार किया है। ज्ञान, क्रिया एवं अस्तित्त्व सभी का लक्ष्य सत्य को प्राप्त करना है। प्लेटो का कहना है कि संसार में अपने लक्ष्य को जान लेने के पश्चात् उस पर कार्य करना भी आवश्यक है। प्रोफेसर बाक्कर ने लिखा है, “इस प्रकार शिक्षा का उद्देश्य जानना एवं उस पर आचरण करना दोनों ही है और उस सत्य के ज्ञान को प्राप्त करने का तात्पर्य होगा उसके कार्यान्वित करने की कुन्जी प्राप्त कर लेना, क्योंकि प्रत्येक कार्य उसके उद्देश्य के प्रति ज्ञान का ही प्रतिफल है और यह उद्देश्य ही सभी वस्तुओं के अस्तित्त्व का भी उद्देश्य है। प्लेटो इसी अर्थ में ‘सद्गुण ही ज्ञान’ है, का प्रयोग करता है और यही मनुष्य के जीवन का अन्तिम उद्देश्य है जिसकी कि प्लेटो ने रिपब्लिक में व्याख्या की है।”

(৪) शिक्षा न्याय का तार्किक परिणाम है-

“यदि प्लेटो का न्याय सामाजिक आचरण का वह सिद्धान्त है जो समाज को क्रमबद्धता प्रदान करता है तथा उसका अर्थ समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपना निर्धारित कर्त्तव्य पूरा करना है तो यह आवश्यक है कि समाज स्वयं अपनी क्रमबद्धता के लिए अपने सदस्यों के लिए सिद्धान्तों का निर्धारण करे तथा उन्हें कुशलता के साथ कर्तव्य-पालन के लिये उपयुक्त प्रशिक्षण दे। वह समाज के विभिन्न वर्गों को प्रशिक्षित कर समाज में सामंजस्य एवं नैतिकता की स्थापना करना चाहता है।” अतः स्पष्ट है कि प्लेटो की शिक्षा उसकी न्याय की धारणा का ता्किक परिणाम है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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