राजनीति विज्ञान / Political Science

तुलनात्मक राजनीति की परिभाषा | तुलनात्मक राजनीति की प्रकृति | तुलनात्मक राजनीति का क्षेत्र | तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का महत्व

तुलनात्मक राजनीति की परिभाषा | तुलनात्मक राजनीति की प्रकृति | तुलनात्मक राजनीति का क्षेत्र | तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का महत्व

तुलनात्मक राजनीति की परिभाषा

(Definition of Comparative Politics)

तुलनात्मक राजनीति एक नवीन विषय है। अतः इसके परिवर्तनीय दृष्टिकोण होने के कारण कोई सर्वमान्य परिभाषा सरलता से निश्चित नहीं की जा सकती। इस प्रकार प्रमुख लेखकों द्वारा की गई परिभाषाएँ अग्रलिखित प्रकार हैं-

फ्रोमैन के अनुसार-“तुलनात्मक राजनीति, राजनीतिक संस्थाओं एवं सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन एवं विश्लेषण है।” (“Comparative Politics is comparative analysis of the various forms of governments and diverse political institutions.”-Freeman)

एम०कर्टिस के अनुसार- “राजनीतिक संस्थाओं और राजनीतिक व्यवहार की कार्य प्रणाली में महत्वपूर्ण नियमितताओं, समानताओं और असमानताओं में तुलनात्मक राजनीति का सम्बन्ध है।”

ब्लोन्डेल के कथनानुसार-“तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।” “तुलनात्मक राजनीति सामाजिक व्यवस्था में उन तत्वों की पहचान और व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों तथा उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करते हैं।”

मैक्रीविस ने कहा है-“तुलनात्मक राजनीतिक संस्थाओं का अध्ययन अब तक केवल नाममात्र तुलनात्मक रहा है। अब तक वह केवल विदेशी सरकारों, उनके ढाँचे तथा औपचारिक संगठन का ऐतिहासिक, वर्णनात्मक और वैधानिक ढंग से अध्ययन रहा है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर तुलनात्मक राजनीति की परिभाषा का स्पष्टीकरण इस आधुनिक विचारधारा से किया जा सकता है कि राज्य के अन्तर्गत समस्त संस्थाओं तथा राज्य के बाहर स्थित शासन-पद्धतियों का तुलनात्मक अध्ययन ही तुलनात्मक राजनीति का पर्याय हैं।

तुलनात्मक राजनीति की प्रकृति

(Nature of Comparative Politics)

तुलनात्मक राजनीति की परिभाषा स्पष्ट हो जाने के पश्चात् उसकी प्रकृति सरलता से निर्धारित की जा सकती है। वास्तव में प्रारम्भ में तुलनात्मक राजनीति का सम्बन्ध केवल विभिन्न सरकारों का तुलना मात्र था। अरस्तू ने अपने समय के 108 संविधानों की तुलना की तथा उसे विभिन्न तालिकाओं में बाँटा। इसके साथ ही उस समय के अनुकूल श्रेष्ठ सरकार को समझने और पहचानने का प्रयत्न किया। यह प्रयल ही संविधानों और विभिन्न शासन-पद्धतियों के वैज्ञानिक अध्ययन का प्रारम्भ माना गया। हेरोडोटस द्वारा किये गये वर्णन में राजनीतिक विश्वासों, मूल्यों, सरकारों में पायी जाने वाली विभिन्नताएँ सरकारों की तुलना के परिणाम को बताती हैं।

मुनरो, ऑग एवं जिंक, लॉस्की तथा हरमन फाइनर आदि लेखकों ने आधुनिक युग के प्रारम्भिक प्रयलों के रूप में तुलनात्मक राजनीति से सम्बन्धित वर्णन सीमित रहा है। इन लेखकों ने विभिन्न आँकड़े राजनैतिक व्यवस्थाओं की तुलना के लिए एकत्रित नहीं किये थे। इस प्रकार इस विषय के प्रारम्भ के समय वर्तमान तथ्यों का पूर्ण अभाव था, परन्तु अब इस विषय का विस्तार हो गया है।

विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं, व्यवस्थाओं और मान्यताओं के उदय ने इस विषय को अधिक विस्तृत तथा व्यापक बनाया है। साथ ही वर्तमान राजनीतिज्ञ तथा राजनीति लेखकों ने आँकड़े एकत्रित करके तालिका में रखकर वर्गीकरण द्वारा समान तथ्यों के निरूपण आदि का साथ-साथ अध्ययन-क्षेत्र भी अनेक विकासशील देशों तक विस्तृत किया है।

आधुनिक रूप में तुलनात्मक राजनीति तुलना के साथ-साथ राजनीतिक प्रक्रियाओं के सिद्धान्तों एवं नये राजनैतिक प्रत्ययों की ओर इंगित करता है डिविस और लेविस ने इस पर और भी अधिक प्रकाश डालते हुए कहा है-“आधुनिक राजनीतिशानियों का यह दावा है कि उन्होंने राजनैतिक प्रक्रिया के सिद्धान्तों एवं प्रतिमानों की ओर प्रथम चरण के रूप में राजनैतिक विश्लेषण के नवीन प्रत्ययों के सुझाव प्रस्तुत किये हैं (“The claim or modern political scientists is that they have, first of all, suggested a new set of concepts for political analysis as the first step towards the construction of mode’s and theories of the political process.”-Dewis & Lewis)

तुलनात्मक राजनीति का क्षेत्र

(Scope of Comparative Politics)

तुलनात्मक राजनीति की उक्त परिभाषाओं तथा प्रकृति से सम्बन्धित अनेक तथ्यों से इसका क्षेत्र बहुत विवादग्रस्त हो गया है। राजनीतिशास्त्रों के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों के कारण तुलनात्मक राजनीति के क्षेत्र के सम्बन्ध में भ्रमात्मक स्थिति दृष्टिगोचर होती है। दो पृथक दृष्टिकोणों के कारण सरकार के कार्यों की व्याख्या के रूप में सम्बन्धित प्रश्न पर बहुत मतभेद है।

परम्परागत दृष्टिकोण के आधार पर राज्य के संविधानों का अध्ययन केवल सरकार के अंगों और रूपों का ही होता था। मैक्रीडिस ने इस विषय में कहा है “तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं का अध्ययन अब तक केवल नाममात्र का रहा है।”

जी० के० राईट्स के अनुसार- तुलनात्मक शासन का प्रयोग राज्यों, उनकी संस्थाओं तथा कार्यों से सम्बन्धित समूहों, राष्ट्रीय दल, दबाव के समूह के अध्ययन के उपयुक्त है। परन्तु तुलनात्मक राजनीति का शाब्दिक अर्थ अधिक व्यापक है।

सिडनी वैब का कथन है-“केवल वर्णन से आगे बढ़कर अधिक सैद्धान्तिक रूप से सम्बन्धित समस्याओं की ओर देखिए।” उक्त कथनों से स्पष्ट होता है कि तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र में सजग या सचेत तुलनाओं का विशेष महत्व है। अतः यह स्पष्ट है कि राजनीतिक संस्थाओं तथा राजनीतिक व्यवहार की कार्य-प्रणाली में महत्वपूर्ण नियमितताओं, समानताओं तथा असमानताओं से तुलनात्मक राजनीति का सम्बन्ध है।

तुलनात्मक राजनीति का आधुनिक दृष्टिकोण अमेरिकन उत्पत्ति है। इस दृष्टिकोण के अनुसार ‘अस्थिर प्रतिरूप’ के माध्यम से तुलना की जाती है। यह ढंग मूल रूप से संरचनात्मक कार्यात्मक है। यह विचारधारा नये दृष्टिकोण, राज्य के औपचारिक ढाँचे के यूरोपीय अध्ययन के विरुद्ध क्रान्ति है। आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार राजनीतिक व्यवस्था का अध्ययन किया जाता है और अन्य विषयों के परस्पर अध्ययन के आधार पर किया जाता है। नये विचारकों ने नये विषयों का गहन अध्ययन किया है।

उक्त विवरण के आधार पर कहा जा सकता है कि प्राचीन तथा परम्परागत दृष्टिकोण संकुचित तथा आधुनिक दृष्टिकोण व्यापक है।

तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का महत्व

(Importance of the study of Comparative Politics)

तुलनात्मक विश्लेषण राजनीति के अध्ययन का अभिन्न अंग है। तुलनात्मक अध्ययन से राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति अथवा राजनैतिक व्यवहार को समझने में सहायता मिलती है। प्रत्येक राजनैतिक व्यवस्था में शासन का स्वरूप एवं क्षेत्र भिन्न-भिन्न होता है। किसी भी समाज की नीतिसम्बन्धी सम्पूर्ण गतिविधियों सरकारी नहीं होती और न ही समस्त सरकारी गतिविधियाँ राजनैतिक ही होती हैं। सरकार का प्रमुख कार्य नीतियों का निर्माण करना तथा उन्हें क्रियान्वित करना होता है, किन्तु नीतियों के चुनाव में राजनीति के प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यही कारण है कि कभी-कभी एक जैसी राजनैतिक परिस्थितियों में दो देशों में भिन्न-भिन्न घटनाएँ घटती है और कभी-कभी असमान परिस्थितियों में एक-जैसी घटनाएँ घटती हैं। राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन विभिन्न प्रणालियों में विद्यमान समानताओं एवं भिन्नताओं को समझने में सहायक सिद्ध होता है।

तुलनात्मक राजनीति का प्रमुख महत्व निम्नलिखित है-

  1. किसी भी एक पद्धति का निष्पक्ष अध्ययन तभी सम्भव है, जबकि उसका अध्ययन विभिन्न राजनैतिक पद्धतियों को ध्यान में रखकर किया जाए। ज्याँ ब्लांडेल के शब्दों में-“किसी विशेष शासन पद्धति के अध्ययन से पूर्व शासन का तुलनात्मक आधार पर सामान्य अध्ययन आवश्यक है। तुलनात्मक अध्ययन के अभाव में इस बात को नहीं समझा जा सकता कि एक सरकार कैसा काम कर रही है।” हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि शासन का अनुभवसिद्ध विश्लेषण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में तुलनात्मक ही होता है। जब हम शासन की किसी एक संस्था का विश्लेषण करते हैं और यह जानना चाहते हैं कि उक्त संस्था क्या कार्य करती है, किस प्रकार करती है, अच्छी प्रकार करती है अथवा नहीं, तब हम गौण रूप में उसकी तुलना करते हैं। इस प्रकार का अध्ययन कुछ लक्ष्यों को आधार मानकर ही किया जा सकता है।
  2. तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन किसी भी राजनैतिक प्रणाली के विभिन्न सन्दर्भो को समझने में सहायक सिद्ध होता है। उदाहरणार्थ, सोवियत संघ में मार्क्सवाद इतना मजबूत क्यों है ? ब्रिटेन में संसदीय प्रणाली स्थायी क्यों है? ब्रिटेन, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया तथा कनाडा इत्यादि देशों में दो ही दल क्यों हैं ? जब कि फ्रांस, भारत इत्यादि देशों में अनेक दल हैं। इस प्रकार के अनेक प्रश्न और भी हैं। एक जैसी संस्था विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न कार्य क्यों सम्पादित करती है ? पश्चिमी और साम्यवादी देशों में प्रजातंत्र का स्वरूप भिन्न-भिन्न क्यों है? इत्यादि । तुलनात्मक विश्लेषण द्वारा हम राजनैतिक व्यवहार की समानताओं और भिन्नताओं को समझ सकते हैं तथा उनके लिए उत्तरदायी कारणों की खोज भी कर सकते हैं। उदाहरणार्थ, हम कह सकते हैं कि फ्रांस की अपेक्षा ब्रिटेन में संसदीय प्रणाली अधिकं सफल रही, क्योंकि ब्रिटेन में संसदीय प्रणाली का विकास उद्योगीकरण से पूर्व ही हो चुका था, जबकि फ्रांस में संसदीय प्रणाली का विकास उद्योगीकरण के पश्चात् हुआ। यह स्पष्टीकरण केवल एकपक्षीय है।
  3. तुलनात्मक अध्ययन राजनीति के क्षेत्र में घटित अथवा संभावित घटनाओं को समझने में सहायता करता है। उदाहरणार्थ, यदि किसी देश में संसदीय प्रणाली असफल हुई हो तो अन्य देशों में इस पद्धति के संचालन का अध्ययन करके इसकी असफलता के कारणों का पता लगाया जा सकता हैं। तुलनात्मक अध्ययन के द्वारा यह ज्ञात किया जा सकता है कि संसदीय तथा अध्यक्षीय पद्धति को सफल बनाने के लिए किन शर्तों का होना आवश्यक है। तुलनात्मक विश्लेषण द्वारा अनेक राजनैतिक प्रणालियों के विषय में आवश्यक जानकारी को एकत्रित करके उसे अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है। एक भारतीय विद्यार्थी ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमरीका, सोवियत संघ इत्यादि की शासन-प्रणालियों का अध्ययन करने के उपरान्त भारत की शासन-पद्धति के सापेक्ष महत्व को समझ सकता है।
  4. तुलनात्मक विश्लेषण द्वारा घटनाओं का वर्णन करने, उनका प्रभाव निश्चित करने तथा उनके सम्बन्ध में सामान्य सिद्धान्तों की स्थापना करने में सहायता मिलती है। फ्रांसीसी लेखक सेलिले के अनुसार तुलनात्मक प्रणाली उस ‘सामान्य बहाव’ (general current) को खोजती है जो समस्त शासन-विधानों से होकर गुजरती हो तथा जिसपर अनुभव ने अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी हो। उदाहरणार्थ, सोवियत संघ तथा फ्रांस में हुई क्रांतियों में परस्पर सम्बन्ध न होने पर भी क्रांति के विकास के कारणों, उद्देश्यों तथा उपायों के आधार पर तुलना की जा सकती है।
  5. तुलनात्मक अध्ययन उन स्थितियों को स्पष्ट करने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है जिनमें आशा के विपरीत परिणाम दिखाई पड़ते हों। उदाहरणार्थ, विभिन्न अविकसित अथवा विकासशील राज्यों के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि तकनीकी सहायता की तीव्र गति आर्थिक सहायताप्राप्त अविकसित राज्य में अस्थिरता ला सकती है।
  6. तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर कुछ स्थितियों का पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है। उदाहरणार्थ, यह कहा जा सकता है कि कठोर दंड की व्यवस्था ज्यूरी व्यवस्था के विरुद्ध सिद्ध होगी। ज्यूरी कठोर दण्ड की अपेक्षा कानून की उपेक्षा करना अधिक पसन्द करेगी। इसी प्रकार और भी सामान्य बातें कही जा सकती हैं। तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का उद्देश्य केवल समानताओं एवं भिन्नताओं का विवरण करना ही नहीं है अपितु उनके लिए उत्तरदायी कारणों की खोज करना तथा परिकल्पनाओं (hypothescs) का निर्धारण करना भी है ताकि विभिन्न राजनैतिक पद्धतियों की जाँच की जा सके।
  7. तुलनात्मक पद्धति का महत्व केवल अध्ययन की दृष्टि से ही नहीं अपितु सामान्य हित के लिए भी है। प्रश्न उठता है कि विश्व के कुछ भागों में कोई एक विशेष प्रकार की व्यवस्था ही क्यों है? कहीं पर उदारवादी प्रजातंत्र है तो कहीं पर अधिनायकतंत्र । अधिनायकतंत्र के भी अनेक भेद देखने को मिलते हैं;-जैसे कि राजतंत्र, एकदलीय शासन पद्धति तथा सैनिक तानाशाही इत्यादि । इसके लिए कारण की खोज करना आवश्यक है। तानाशाही का रूप चाहे कैसा भी क्यों न हो, यह स्वयंसिद्ध है कि तानाशाही प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से नागरिकों को प्रभावित करती है। यही कारण है कि प्राचीन तथा आधुनिक युग में तानाशाही के अध्ययन के साथ-साथ उसे रोकने के सुझाव भी दिये गये हैं। इस प्रकार तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन केवल राजनीति-विशेषज्ञों के लिए ही लाभप्रद नहीं है अपितु राजनैतिक संस्थाओं को समझने तथा उनमें सुधार लाने में भी तुलनात्मक अध्ययन महत्वपूर्ण है।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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