चुनाव सुधार हेतु निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव | चुनाव सुधार हेतु निर्वाचन आयोग का दृष्टिकोण जिन पर राजनीतिक दलों के साथ चर्चा जारी है | निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए अन्य प्रस्ताव
चुनाव सुधार हेतु निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव | चुनाव सुधार हेतु निर्वाचन आयोग का दृष्टिकोण जिन पर राजनीतिक दलों के साथ चर्चा जारी है | निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए अन्य प्रस्ताव
चुनाव सुधार हेतु निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव
(चुनाव सुधार हेतु निर्वाचन आयोग का दृष्टिकोण जिन पर राजनीतिक दलों के साथ चर्चा जारी है, का वर्णन)
सरकार द्वारा राजनीतिक दलो क साथ चचा के लिए अंकित चुनावसुधार सम्बन्धी प्रस्तावों के समूह पर निर्वाचन आयोग के विचार
- निर्वाचन आयोग संसद और राज्य विधानमण्डल की सदस्यता के लिए उम्र की योग्यता घटाने के पक्ष में नहीं है।
- निर्वाचन आयोग एक प्रत्याशी द्वारा एक ही वर्ग के दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की निर्धारित वर्तमान सीमा का समर्थन करता है और इसे आगे केवल एक निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित करने का समर्थन नहीं करता है।
- निर्वाचन आयोग लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (क) को वर्ष 1975 की पुरानी अवस्था में वापस लाने का समर्थन नहीं करता है। तथापि, वह इस बात का समर्थन करता है कि उसको धारा 8 (क) के अधीन अयोग्यता के मामले अपनी सलाह सहित राष्ट्रपति को प्रस्तुत करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
- निर्वाचन आयोग जमानत राशि बचाने के लिए डाले गए वैध वोटों की अपेक्षित न्यूनतम संख्या को “एक बटा छः’ को बढ़ाकर “एक बटे चार’ करने का समर्थन करता है।
- निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों द्वारा लेखों का अनिवार्य रख-रखाव और उसके द्वारा विनिर्दिष्ट एजेन्सियों द्वारा लेखों की परीक्षा कराने का समर्थन करता है।
- निर्वाचन आयोग कम्पनियों द्वारा राजनीतिक पार्टियों को चन्दा देने पर पूरा प्रतिबन्ध लगाने के पक्ष में नहीं है। तथापि, एक यथोचित स्तर तक ऐसे योगदान देने को सीमित करने तथा पारदर्शी कार्यवाही द्वारा चन्दा देने का समर्थन करता है।
- निर्वाचन आयोग ने सुझाव दिया है कि उसे राजनीतिक दलों का पंजीकरण करने और उसे रद्द करने सम्बन्धी आवश्यक आदेशों को जारी करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
- निर्वाचन आयोग संसद के एक कानून द्वारा चुनाव चिह्न के आवण्टन एवं आरक्षण का नियमन करने का समर्थन नहीं करता है।
- निर्वाचन आयोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति प्रत्याशियों के लिए आरक्षित सीटों को क्रमवार (रोटेशन) बनाने के पक्ष में है। उसने यह भी सुझाव दिया है कि निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का कार्य उसे सौंप दिया जाए।
- निर्वाचन आयोग इस प्रस्ताव का समर्थन करता है कि युनाव खर्च की सीमा में प्रत्याशी के चुनाव खर्च में राजनीतिक दल द्वारा किए गए खर्चों को शामिल कर लिया जाए।
- निर्वाचन आयोग प्रत्येक आम चुनाव से पहले चुनाव खर्च की सीमा निर्धरित करने का अधिकार उसे दिए जाने का समर्थन करता है।
- निर्वाचन आयोग वर्तमान चुनाव प्रणाली में परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बहस शुरू कराने का समर्थन करता है ताकि इस मुद्दे पर एक व्यापक राष्ट्रीय जनाधार तैयार किया जा सके।
- निर्वाचन आयोग मतदान को अनिवार्य करने के प्रस्त का समर्थन नहीं करता है।
- निर्वाचन आयोग आदर्श आचार संहिता के उपबन्धों को सांविधिक समर्थन देने के पक्ष में नहीं है।
- आयोग इस बात का समर्थन करता है कि संविधान की दसवीं अनुसूची के अधीन अयोग्यता के मामलों पर उसी प्रकार विचार किया जाए जिस प्रकार संविधान के अनुच्छेद 103(1) और 191(1) में उल्लिखित आधार पर चुनाव पश्चात् के अन्य अयोग्यता के मामलों पर विचार किया जाता है।
- निर्वाचन आयोग इस बात का समर्थन करता है कि उसे रिटर्निंग अधिकारी/पर्यवेक्षक से रिपोर्ट मिलने के अलावा भी चुनाव रद्द करने का अधिकार मिलना चाहिए।
- निर्वाचन आयोग इस प्रस्ताव का समर्थन करता है कि उसे चुनावों के संचालन के सम्बन्ध में किसी भी अधिकारी को अनुदेश जारी करने का अधिकार दिया जाना चाहिए तथा किसी भी मामले की जाँच-पड़ताल किसी भी एजेन्सी से करवाने के लिए कुछ सिफारिश करने की शक्ति दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त वह इन सिफारिशों को मानना अनिवार्य करने के पक्ष में भी है।
- निर्वाचन आयोग अपने एक निश्चित संगठन का समर्थन करता है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त शामिल होंगे। आयोग इस बात का भी समर्थन करता है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की प्रणाली और नियुक्ति के पश्चात् संवैधानिक संरक्षण एकसमान होना चाहिए।
- निर्वाचन आयोग अपने लिए एक स्वतन्त्र सचिवालय का समर्थन करता है।
- निर्वाचन आयोग मुख्य चुनाव अधिकारी को केवल चुनाव कार्य के लिए ही रखने के पक्ष में नहीं है।
निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए अन्य प्रस्ताव
- जो किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो और उसे छ: महीने अथवा अधिक के लिए कारावास की सजा सुनाई गई हो, उसे सजा की अवधि अतिरिक्त और छ: वर्ष की अवधि के लिए चुनाव लड़ने से वर्जित करके प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 को और सुबड बनाया जाए। आयोग ने आगे यह भी सुझाव दिया है कि कोई भी व्यक्ति जिस पर किसी भी ऐसे अपराध का अभियोग लगा हो जिसमें पाँच वर्ष अथवा अधिक के लिए कारावास की सजा सुनाई जा सकती है तो सक्षम न्यायालय द्वारा उसके विरुद्ध आरोप तैयार कर लिए जाने के पश्चात् उसे अयोग्य करार दिया जाए।
- निर्वाचन आयोग को चुनाव ड्यूटी पर तैनात व्यक्तियों के सम्बन्ध में अनुशासित नियमों को तैयार करने का अधिकार होना चाहिए।
- चुनावों के अवसर पर चुनाव अधिकारियों के स्थानान्तरण पर सांविधिक रोक लगाना।
- सेवा मतदाताओं का प्रतिपत्र (प्रोक्सी) मतदान।
- चुनाव पंजीकरण अधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध जिलों में एक अपीली प्राधिकरण की नियुक्ति।
- चुनावों के दौरान पुलिस व्यवस्था के लिए चुनाव अधिकारियों के साथ परामर्श लेना आवश्यक करना।
- चुनावों के सम्बन्ध में गलत घोषणा करना एक अपराध माना जाए।
- निर्वाचन आयोग को नियम बनाने वाला प्राधिकरण माना जाए।
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