साहस पूँजी की परिभाषा | साहस पूँजी की विशेषतायें | साहस पूँजी का क्षेत्र

साहस पूँजी की परिभाषा | साहस पूँजी की विशेषतायें | साहस पूँजी का क्षेत्र | Definition of Venture Capital in Hindi | Features of venture capital in Hindi | Area of venture capital in Hindi
साहस पूँजी की परिभाषा
(Definition of Venture Capital)
प्रेट के अनुसार, “विकास महत्वाकांक्षी नव उपक्रमों के प्रारम्भिक स्तर के वित्त साधन को साहसिक पूँजी कहते हैं।”
“साहसिक पूँजी एक विनियोग है। यह समता, अर्द्धसमता और ऋण पूँजी के रूप में शर्त सहित अथवा शर्त रहित होता है, जोकि आधुनिक अथवा प्रचलित तकनीक आधारित अथवा उच्च जोखिम वाले उपक्रमों में किया जाता है।”
अतः जोखिम पूँजी वित्त प्रदान करने के साथ-साथ संस्था को प्रारम्भ करने के लिये आवश्यक कौशल भी प्रदान करती है, विपणन (Marketing) युक्ति बनाती है, इसे संगठित तथा प्रबन्धित करती है।
साहस पूँजी की विशेषतायें
(Characteristics of Venture Capital)
साहस पूँजी की मुख्य विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
(1) साहस पूँजी विनियांग समय पर ऋण चुकाने की तरह, माँग पर देय नहीं होता है।
(2) विनियोग सामान्यतः लघु तथा माध्यम उपक्रमों ही किया जाता है।
(3) विनियोक्ता द्वारा एक बार विनियोग करने के बाद व्यवससाय में सतत् समावेश बना रहता है।
(4) विनियोग केवल उच्च जोखिम वाली परियोजना में किया जाता है, जिनमें उच्च वृद्धि की भी व्यापक सम्भावना होती है।
(5) विनियोग सामान्यतः नये उपक्रमों में ही किया जाता है, जो नये उत्पादों के उत्पादन के लिये नई तकनीक का उच्च लाभ की उम्मीद में प्रयोग कर रहे हैं।
(6) साहस पूँजीपति परियोजना में उद्यमी के साथ सह-प्रवर्तक (Co-Promotes) के रूप में कार्य करते हैं तथा उपक्रम के लाभ तथा जोखिम को बाँटते हैं।
(7) यह साधारणः समता सहभागिता (equity participation) के रूप में होती है। यह दीर्घकालीन ऋण या परिवर्तनशील ऋण का रूप भी ले सकती है।
(8) जोखिम पूंजीपतियों का विनियोग प्रस्ताव बैंकर तथा अंश बाजार के विनियोक्ताओं के प्रस्तावों से पूर्ण रूप से अलग है।
(9) जोखिम पूँजी विनियोगी यद्यपि उपक्रम के प्रबन्ध में सम्मिलित हो जाते हैं, फिर भी उपक्रम के दिन-प्रतिदिन के प्रबन्धन में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। वे केवल निनियोग की सुरक्षा तथा वृद्धि के लिये प्रवर्तकों से हमेशा सम्पर्क रखते हैं।
(10) उद्यम अथवा साहस पूँजी अत्यधिक जोखिमी होती है।
(11) साहस पूंजी में तरलता का अभाव होता है।
(12) प्रायः साहस पूंजी का उपयोग नवीन उपक्रमों की शुरुआत करने के लिये बीज पूँजी (Seed Capital) के रूप में होता है।
साहस पूँजी का क्षेत्र
(Scope of Venture Capital)
परियोजना की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में साहस पूँजी के भिन्न-भिन्न रूप हो सकते हैं। परियोजना के विकास की निम्नलिखित चार क्रमबद्ध अवस्थायें होती हैं। परियोजना विचार का विकास, विचार का क्रियान्वयन, वाणिज्यिक उत्पादन एवं विपणन तथा पैमाने की बचतें तथा स्थिरता प्राप्त करने के लिये बड़े पैमाने पर विनियोग। इन चारों अवस्थाओं में सहास पूँजी द्वरा वित्त प्रबन्ध के मुख्य रूप निम्नलिखित हैं-
(1) एक विचार का विकासः बीज पूँजी (Development of an Idea Seed Capital)- परियोजना विकास की प्रारम्भिक अवस्थाओं में साहस पूँजीपति एक विचार को व्यावसायिक रूप में परिणत करने के लिये बीज पूँजी (Seed Capital) उपलब्ध है। इस अवस्था में अत्यन्त सावधानीपूर्वक अनुसन्धान किया जाता है, जिसमें एक अथवा उससे अधिक वर्ष का समय लग जाता है।
(2) क्रियान्वयन अवस्था आरम्भिक वित्त (Implementation Stage : Start-up Finance) – जब तक उत्पाद अथवा सेवा का निर्माण करने के लिये किसी फर्म का गठन किया जाता है तो उद्यमी पूँजीपति द्वारा आरम्भिक वित्त उपलब्ध कराया जाता है। पहली तथा दूसरी स्थिति की पूंजी का उपयोग समग्र पैमाने पर निर्माण करने तथा अन्य व्यावसायिक वृद्धि के लिये किया जाता है।
(3) उड़न अवस्था अतिरिक्त वित्त (Fledgling Stage : Additional Finance)- इस अवस्था में फर्म उत्पाद (Product) के निर्माण की क्रिया में तेजी से प्रवेश करती है, लेकिन उसे कुछ जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वह पर्याप्त कोषों का सृजन करने योग्य नहीं होती है, अतः विपणन अवस्थापना के विकास के लिए अतिरिक्त वित्त उपलब्ध कराया जाता है।
(4) स्थापना अवस्था; स्थापना वित्त (Establishment State Establishment Finance) – इस अवस्था में फर्म की स्थापना बाजार में हो जाती है तथा उससे तीव्र गति से विस्तार की उम्मीद की जाती है। फलस्वरूप विस्तार तथा विविधीकरण के लिये पुनः अतिरिक्त वित्त की आवश्यकता होती है, जिससे कि वह बड़े पैमाने के लाभ तथा स्थिरता को प्राप्त हो सके। स्थापना अवस्था के समाप्त होने के पश्चात् फर्म का स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीयन हो जाता है। परिणामस्वरूप साहस पूँजीपति उपलब्ध विद्यमान रास्तों के द्वारा अपने द्वारा धारित अंशों का आयोजन कर लेता है।
उद्यमिता और लघु व्यवसाय – महत्वपूर्ण लिंक
- उद्यमिता विकास कार्यक्रम को संगठित करने में सरकार की भूमिका | Role of Government in Organizing Entrepreneurial Development Programme in Hindi
- प्रवर्तन की परिभाषाएं | प्रवर्तन की मुख्य विशेषतायें अथवा तत्व | व्यवसाय के समग्र योजनाओं के प्रमुख अंग
- कीमत नियोजन | वितरण नियोजन | विक्रय सवंर्द्धन | Price Planning in Hindi | Distribution Planning in Hindi | Sales Promotion in Hindi
- साहस पूंजी से आशय | साहस पूँजी के स्रोत एवं विधियाँ | Meaning of Venture Capital in Hindi | Methods and Sources of Venture Financing in Hindi
- मानव संसाधन प्रबन्ध का अर्थ | मानव संसाधन की विशेषतायें | मानव संसाधन प्रबन्ध क्षेत्र
Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- [email protected]