भूगोल / Geography

भारत में बाक्साइट का वितरण | भारत में बाक्साइट के उत्पादन का वितरण

भारत में बाक्साइट का वितरण | भारत में बाक्साइट के उत्पादन का वितरण

भारत में बाक्साइट का वितरण

यह खनिज एल्मुनियम धातु तेयार करने के लिए कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है। यह ऐसी लेटराइट मिट्टी में पाया जाता है जिसमें एल्मुनियम एवं लौह घुलित अवस्था में अधिक मात्रा में होता है उच्चकोटि के बाक्साइट खनिज में एल्मुनियम आक्साइड का अंश 50-60 प्रतिशत तक पाया जाता है। बाक्साइड को खदानों से निकालने के पश्चात बारीक ढंग  से पीसा जाता है पुनः उसमें कास्टिक सोडा मिलाकर इसमें विद्यमान लोहा, सिलिका तथा अन्य अनावश्यक वस्तुओं को अलग कर दिया जाता है इसके पश्चात् एल्युमिना पाठडर तैयार होता है। साधारणतया एक टन एल्यूमिना तैयार करने के लिए दो टन बाक्साइट, एक टन कोयला, दो टन कास्टिक सोडा और दो टन चूना प्रस्तर की आवश्यकता होती है।

वितरण- भारवतर्ष के कई क्षेत्रों में बाक्साइट प्राप्त होता है। दक्कन लावा का पठार इसका प्रमुख क्षेत्र है। अपक्षरण (मौसमी) के फलस्वरूप लावा का रूपांतरण बाक्साइट में हो जाता है। इसके उत्पादक राज्यों में बिहार एवं मध्य प्रदेश का स्थान अग्रगण्य है जहाँ से देश के संपूर्ण बाक्साइट का लगभग 50 प्रतिशत प्राप्त होता है। अन्य राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, उड़ीसा एवं कर्नाटक उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर में भी बाक्साइट के भंडार मिले हैं।

बिहार- यहाँ राची के लोहारडांगा के बागरू पठार पर लगभग 52 लाख टन बाक्साइट के भंडार का अनुमान है। इसके निकट ही दुधाघाट, गढ़पाठ, जोगीपाट, कोलारपाट, मटियापाट आदि पठारों पर भी बाक्साइट पाया जाता है। यहाँ पाए जाने वाले बाक्साइट में शुद्ध धातु का अंश 60-70 प्रतिशत तक पाया जाता है। पालामऊ के नेत्रहाट में भी बाक्साइट प्राप्त होता है। भारत का लगभग 30 प्रतिशत उत्पादन इसी राज्य से प्राप्त होता है। बिहार में बाक्साइट के संचित भंडार का अनुमान लगभग 5.9 करोड़ टन है।

मध्य प्रदेश- यहाँ बालाघाट, बिलासपुर, सरगुजा, माण्डला, रायगढ़, शहडोल तथा जबलपुर आदि जनपदों में उच्चकोटि का बाक्साइड पाया जाता है। इस राज्य में बाक्साइड के संचित भंडार का अनुमान भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 14.5 करोड़ टन है। यहाँ से देश का लगभग 20 प्रतिशत बाक्साइड प्राप्त होता है।

महाराष्ट्र- इस राज्य में कोल्हापुर, थाना, कोलाबा, रत्नागिरि, सतारा तथा राजपीपला (बीड) में बाक्साइड के भंडार हैं। इस राज्य में बाक्साइड के संचित भंडार का अनुमान लगभग 9 करोड़ टन है जिसमें से कोल्हापुर का भंडार लगीग 1.25 करोड़ टन है। इस जनपद की धागरवाड़ी पहाड़ी में बाक्साइड पाया जाता है। इस राज्य से देश के कुल बाक्साइड उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत उत्पादन होता है।

गुजरात- यहाँ के खेड़ा तथा बड़ोदरा जनपदों में बाक्साइड पाया जाता है। खेड़ा जनपद का मुख्य उत्पादन केंद्र कच्छ है। कच्छ के माँडवी तालुके में बाक्साइड के संचित भंडार का अनुमान लगभग 1.40 करोड़ मीट्रिक टन  है। जिसमें शुद्ध धातु का अंश लगभग 56 प्रतिशत होता है।

तमिलनाडु- यहाँ सलेम जनपद की शिवराय पहाड़ी में कई स्थानों पर बाक्साइड के भंडार पाए गए हैं। यहाँ के बाक्साइड के संचित भंडार का अनुमान लगभग 130 लाख टन है। जिसमें शुद्ध धातु का अनुमान लगभग 50-60 प्रतिशत है।

अभी तक भारतवर्ष में बाक्साइट से अल्युमिनियम तैयार करने के पाँच कारखाने कार्यरत हैं जिसमें उड़ीसा के हीराकुंड, केरल के अलवाय, पश्चिम बंगाल के जायका नगर, उत्तर प्रदेश के रेणुकूट एवं तमिलनाडु के मैटूर हैं। इन सभी की वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 118 लाख टन एल्युमिनियम है।

भारतीय एल्युमिनियम कंपनी ने हाल में 30 हजार टन एल्युमिनियम बनाने की क्षमता वाला एक कारखाना बेलगाँव में लगाया है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र में दो कारखाने महाराष्ट्र के कोयना तथा मध्य प्रदेश के कोरबा में शुरू किये गये हैं। कोयना की उत्पादन क्षमता 50 हजार टन तथा कोरबा की उत्पादन क्षमता एक लाख टन की है।

संचित भंडार- भारतरीय भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार भारत में बाक्साइट का अनुमानित भंडार 252.53 करोड़ टन है जिसका प्रादेशिक वितरण निम्न प्रकार है-

प्रदेश

भंडार (लाख टन)

मध्य प्रदेश

1450.0

उड़ीसा

1334.0

बिहार

590.0

महाराष्ट्र

920.0

आंध्र प्रदेश

585.0

तमिलनाडु

130.0

काश्मीर

20.0

कर्नाटक

280.0

गुजरात

770.0

गोवा

280.0

विदेशी व्यापार- इस खनिज का विविध उपयोग होने के कारण इसकी माँग देश के भीतर एवं विदेशों में साथ-साथ बढ़ती जा रही है। यहाँ का कुछ बाक्साइट विदेशों को विशेष रूप से यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता है। वस्तुतः इस खनिज के उपयोग के लिए विद्युत की आवश्यकता होती है। इसलिए देश के भीतर विद्युत उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ इससे संबंधित उद्योग में बराबर प्रगति होती जाने की संभावना है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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