भारत में दूर शिक्षा का महत्व । भारत में दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता के कारण

भारत में दूर शिक्षा का महत्व । भारत में दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता के कारण
भारत में दूर शिक्षा का महत्व
भारत में दूरस्थ शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है।
- भारत के संविधान में शिक्षा को नागरिकों का मूल अधिकार माना गया है। इस अधिकार का वे सभी प्रयोग कर सकते हैं जब सबको शिक्षा सुलभ हो। औपचारिक शिक्षा द्वारा हम शिक्षा को सर्वसुलभ नहीं बना पा रहे थे, उसी की पूर्ति के लिए हमने इस शिक्षा का विधान किया है।
- हम देश के दूर दराजों में विशेषकर जहां जनसंख्या बहुत कम है, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा संस्थान नहीं स्थापित कर पा रहे हैं। इन दूर दराज के क्षेत्रों में रहने वालों की शिक्षा की व्यवस्था दूर शिक्षा द्वारा की जा रही है इसलिए इस शिक्षा प्रणाली का बड़ा महत्व है।
- काम-धन्धों में लगे स्त्री-पुरुष शिक्षण संस्थाओं में तो उपस्थित हो नहीं सकते उनकी शिक्षा की व्यवस्था दूर शिक्षा द्वारा की जाती है।
- कुछ बच्चे अपरिहार्य कारणों से बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं और इनमें से कुछ आगे की शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं परन्तु कुछ कारणों से कर नहीं पाते। दूर शिक्षा द्वारा इनकी शिक्षा व्यवस्था संभव हुई है।
- हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शैक्षिक अवसरों की समानता पर बल दिया गया है। दूर शिक्षा इसकी प्राप्ति में सहायक हो रही है।
भारत में दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता के कारण
भारत के सन्दर्भ में दूरस्थ शिक्षा अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। इसके निम्नलिखित कारण दिये जा सकते हैं-
(1) भौगोलिक कारण-
भौगोलिक रूप से भारत का क्षेत्रफल अति अव्यवस्थित है। यहाँ मैदानी, रेगिस्तानी, पर्वततीय, समुद्री आदि अनेक प्रकार की भूमि उपलब्ध है। यहां ऐसे क्षेत्र भी है जहाँ यातायात के आधुनिक साधन आज भी उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे क्षेत्रों में जो जनसंख्या निवास करती है उसकी शिक्षा हेतु ज्ञान प्राप्ति हेतु केवल संचार के साधन और विशेषकर रेडियो बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसलिए इन विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक, भौगोलिक परिस्थितियों में दूरस्थ शिक्षा उपयोगी है।
(2) जनसंख्या-
भारत की जनसंख्या आज एक अरब का ऑँकड़ा पार कर चुकी है। भारत विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है। इतनी बड़ी संख्या में शिक्षा अहम भूमिका निभा सकती है, क्योंकि जब तक शिक्षा नहीं होगी विकास नहीं होगा। शिक्षा और विकास के बीच गहरा सम्बन्ध है।
(3) आर्थिक स्थिति-
आज भारत को स्वतंत्र हुए आधी शताब्दी से अधिक व्यतीत हो चुका है। 21 वीं शताब्दी में पदार्पण कर चुके हैं लेकिन हमारे देश में आधी से अधिक जनसंख्या अशिक्षित है। जब शिक्षित लोग ही नहीं होंगे तो आर्थिक विकास का प्रश्न ही नहीं उठता। ऐसा इसलिए है कि हम सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। ऐसा संसाधनों की कमी के कारण ही है। चूँंकि परम्परागत शिक्षा पर व्यय अधिक होता है इसलिए सभी के लिए इस शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करा पाना कठिन है। दूरस्थ शिक्षा अपने विभिन्न संचार साधनों द्वारा साक्षारता की दर को शत-प्रतिशत करने में सफल सिद्ध हो सकती है।
(4) कम व्यय-
जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में स्पष्ट किया जा चुका है, दूरस्थ शिक्षा कम व्यय में अधिक कार्य करने में सक्षम है। उपयोगिता की दृष्टि से यह अधिक लाभकारी है। इसलिए भारत जैसे देश में दूरस्थ शिक्षा की उपयोगिता अधिक है।
(5) समन्वयपूर्ण-
दूरस्थ शिक्षा ऐसे नवयुवकों के लिए लाभप्रद है जो किन्हीं कारणवश शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ऐसे नवयुवक जो विभिन्न रोजगार, व्यवसाय में रहते हुए शिक्षा प्राप्त करने की चाहत रखते हैं, के लिए दूरस्थ शिक्षा बहुत उपयोगी है। वे घर बैठे बिना किसी विद्यालय में प्रवेश लिए शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।
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