शिक्षाशास्त्र / Education

भारत में दूरवर्ती शिक्षा की वर्तमान स्थिति | Current Status of Distance Education in India in Hindi

भारत में दूरवर्ती शिक्षा की वर्तमान स्थिति | Current Status of Distance Education in India in Hindi

भारत में दूरवर्ती शिक्षा की वर्तमान स्थिति

विभिन्न देशों में दूरवर्ती शिक्षा में तीव्रता से प्रगति हो रही है। इसके प्रसार तथा लोकप्रियता का प्रमाण है कि भारत में सन् 1960 के आस-पास केवल चार विश्वविद्यालय ऐसे थे, जो आंशिक रूप में इस प्रकार की दूरवर्ती शिक्षा प्रदान कर रहे थे। आज भारत में 31 से भी अधिक विश्वविद्यालय दूरवर्ती शिक्षा की व्यवस्था कर रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से दूरवर्ती शिक्षा की अद्भुत प्रगति करते है। भारत की शिक्षा प्रणाली में दूरवर्ती शिक्षा ने अपना विशिष्ट स्थान बना लिया है।

लगभग 45 वर्ष पूर्व भारत में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा पत्राचार-शिक्षा को एक, योजना के रूप में लिया गया। इस प्रयोग की सफलता ने देश के अन्य अनेक विश्वविद्यालयों को दूरवर्ती शिक्षा की प्रणाली के माध्यम से अनुदेशन को प्रोत्साहित किया। दूरवर्ती शिक्षा के इतिहास में सर्वप्रथम सन् 1982 में ‘आन्ध्र प्रदेश मुक्त विश्वविद्यालय’ की स्थापना हुई। इस प्रकार विश्वविद्यालय के स्तर की एक स्वतंत्र स्वायत्त संस्था की स्थापना हुई। सन् 1970 से 1980 की अवधि में अनेक प्रादेशिक विश्वविद्यालय द्वारा पत्राचार-शिक्षा के संस्थान/निदेशालय प्रारम्भ किए गए, जिन्होंने दूरवर्ती शिक्षा को प्रोत्साहन प्रदान किया। इससे विभिन्न राज्यों द्वारा एक ऐसे विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रबल मांग को बल मिला, जो देश के सभी निदेशालयों के कार्यों में समन्वय कर सके। यह भी अनुभव किया गया कि इस प्रकार की दुरवर्ती शिक्षा के विकास में पूर्णतः समर्पित संलग्न उच्चतम संस्थान अत्यन्त उपयोगी होगा।

परिणामस्वरूप सितम्बर, 1985 में भारत सरकार ने इन्दिरा गाँधी ओपेन यूनिवर्सिटी (इग्नू) की स्थापना का निर्णय लिया। राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना एक प्रयास है, क्योंकि पूर्णतः दूरवर्ती शिक्षा के प्रति समर्पित विश्वविद्यालय की स्थापना परम्परागत विश्वविद्यालय संरचना के कारण दूरवर्ती शिक्षा के विकास में आने वाली बाधायें दुर हो जायेंगी। पिछले दशक में आन्ध्र प्रदेश मुक्त विश्वविद्यालय के अतिरिक्त भारत में चार अन्य मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई है, जिनके नाम है-कोटा यूनिवर्सिटी, नालन्दा यूनिवर्सिटी, यशवन्त राव चव्हाण ओपेन यूनिवर्सिटी तथा इन्दिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय का उत्तरदायित्व सम्पूर्ण देश के मुक्त विश्वविद्यालय एवं अन्य दूरवर्ती शिक्षा संस्थाओं के मानदण्डों/प्रतिमानों का निर्धारण, उनका निर्वाह करना तथा समन्वय करना है। इसके साथ-साथ यह भी वांछनीय है कि विभिन्न दूरवर्ती शिक्षा संस्थानीं द्वारा चलाये जा रहे पाठ्यक्रमों में यथा सम्भव पुनरावृत्ति को रोका जा सके, जिससे विभिन्न पाठ्यक्रमों की पाठ्यवस्तु को पुष्ट किया जा सके।

अतीत काल से औपचारिक विश्वविद्यालय के निम्नलिखित कार्य सुनिश्चित किये गये हैं –

  1. ज्ञान का सचय करना,
  2. नवीन ज्ञान का संवर्धन करना,
  3. ज्ञान का विस्तार अथवा प्रसार करना, तथा
  4. विस्तार क्रियाओं का संचालन करना

आज एक दूरवर्ती एवं मुक्त विश्वविद्यालय के कार्य ठीक प्रकार से परिभाषित नहीं किये गए हैं। इस प्रणाली का अभी विकास हो ही रहा है। भारत में दूरवर्ती शिक्षा के विकास का तीन अवस्थाओं में अवलोकन किया जा सकता है।

  1. पूर्व-टेप की अवस्था-

इस अवस्था का ज्ञान भारत में सन् 1960 के दशक में किये गए प्रयासों से होता है। उस समय में जब केवल चार पत्राचार पाठ्यक्रम संस्थानों, दिल्ली (1962), पटियाला पंजाब (1968), एवं मैसूर (1969) की स्थापना हुई। इस प्रकार 1960 के दशक का वह समय था, जबकि दूरवर्ती शिक्षा का प्रयोग किये जाने का विचार किया तथा इसने भारत भूमि में अपनी जड़ें जमानी प्रारम्भ कर दीं। इस दृष्टि से भारत में दूरवर्ती शिक्षा की क्रांति आरम्भ की गई थी तथा क्रमशः धीरे-धीरे आती गयी, जिससे यह प्री-टेप अवस्था में पहुंच गयी।

  1. टेप की अवस्था-

सन् 1970-80 के दशक में 19 विश्वविद्यालयों ने पत्राचार पाठ्यक्रम के संस्थान/निदेशालय प्रारम्भ किए और इस प्रकार दूरवर्ती शिक्षा को एक प्रोत्साहन मिला। इस अवधि के दौरान संस्थानों एवं निदेशालयों ने उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम एवं कुछ डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू किए थे।

इस दशक में कुछ दूरवर्ती-शिक्षण इकाइयाँ स्थापित की गई। पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश (1971), आन्ध्र एवं वेंकेटेश्वर (1972), हैदराबाद, पटना (1974), भोपाल, उत्कल एवं बम्बई (1975), मदुरे, कामराज, जम्मू, कश्मीर एवं राजस्थान (1976), उस्मानिया एवं केरल (1977), इलाहाबाद एवं बम्बई (1978), अन्नामलाई एवं उदयपुर (1970-79) के दशक में दूरवर्ती शिक्षा को अधिक बढ़ावा मिला। अधिकोंश विश्वविद्यालयों ने दूरवर्ती शिक्षा प्रणाली को शिक्षा की एक वैकल्पिक प्रणाली के रूप में ग्रहण किया। इससे भी अधिक जहां 1960 के दशक में प्रयोगात्मक रूप में केवल पूर्व स्नातक पाठ्यक्रम ही प्रारम्भ किये गए थे। सन् 1970 के दशक में पत्राचार पाठ्यक्रम के संस्थानों/निदेशालयों द्वारा डिग्री एवं डिप्लोमा प्रमाण-पत्र हेतु पाठ्यक्रम भी प्रारम्भ किए गये।

  1. विकासोन्मुखी अवस्था –

सन् 1970 के दशक के अन्त तक दूरवर्ती शिक्षा परम्परागत शिक्षा प्रणाली से सम्बद्ध हो गयी थी इस कारण इसे परम्परागत विश्वविद्यालय की परिधि में काम करना था। भारत में दूरवर्ती शिक्षा के इतिहास में प्रथम बार आंध्रप्रदेश सरकार ने सन् 1982 में मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस प्रकार दूरवर्ती शिक्षा के विकास के लिये एक विश्वविद्यालय स्तर की स्वायत्तशासी संस्था की स्थापना हुई। इससे भी विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग होने लगी, जिससे देश भर के निदेशालयों के कार्यों में समन्वय हो सके। इस बात का अनुभव किया गया कि इस प्रकार की दूरवर्ती शिक्षा के विकास हेतु पूर्णतः समर्पित एक सर्वोच्च संस्था अत्यन्त उपयोगी होगी।

इसके परिणामस्वरूप सितम्बर 1985 में भारत सरकार ने इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया इस विश्वविद्यालय के उद्देश्यों में मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं –

  1. मुक्त विश्वविद्यालय एवं दूरवर्ती शिक्षा प्रणाली का विकास करना।
  2. इस प्रकार की प्रणाली में, शिक्षा मूल्यांकन एवं अनुसंधान के प्रतिमान निर्धारित करना।
  3. नियमानुसार महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालय एवं उच्च अधिगम संस्थानों को अनुदान राशि प्रदान करना।

राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय वास्तव में एक महत्वपूर्ण प्रयास था, क्योंकि दूरवर्ती शिक्षा के प्रति पूर्णतः समर्पित विश्वविद्यालय की स्थापना से दूरवर्ती शिक्षा के विकास में परम्परागत विश्वविद्यालय संरचना के कारण आने वाली बाधायें समाप्त हो सकेंगी।

यहां यह बताना भी उचित होगा कि विभिन्न प्रादेशिक सरकारों ने अपने-अपने प्रदेशों में मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की दिशा में प्रयास किया। इस क्रम में महाराष्ट्र, केरल, बिहार एवं मध्य प्रदेश प्रमुख हैं। अन्य कुछ प्रदेशों में निकट भविष्य में मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रदेश की विधान सभाओं में विधेयक प्रस्तावित किए जाएंगे। राजस्थान सरकार ने कोटा में मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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