शिक्षाशास्त्र / Education

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दायित्व | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कर्त्तव्य

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दायित्व | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कर्त्तव्य

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का परिचय

भारतीय संसद के द्वारा सन् 1956 में एक अधिनियम बनाकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना हुई।

संयुक्त राज्य कोष ने विश्वविद्यालय शिक्षा की वित्तीय आवश्यकताओं की जाँच पड़ताल करने के लिए तथा संसद द्वारा दिये जा सकने वाले अनुदान के उपयोग पर सरकार को मन्त्रणा देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान समिति के नाम से एक स्थाई समिति का प्रारम्भ किया। भारतीय विश्वविद्यालयं अनुदान आयोग सन् 1956 में स्थापित हुआ।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा 12 के अधीन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के कार्य इस प्रकार बताये गये हैं- “विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का यह साधारण कर्त्तव्य होगा कि विश्वविद्यालय और अन्य संस्थाओं की राय में विश्वविद्यालय शिक्षा के उन्नयन और समन्वय के लिए तथा विश्वविद्यालय शिक्षा, परीक्षा तथा अनुसन्धान के स्तरों के निर्धारण और अनुरक्षण के लिए यह ऐसे सब कार्य करें जो इसे समुचित लगे।” इस धारा के अधीन आयोग को इस प्रकार के कार्य करने जरूरी हैं जैसे भारतीय विश्वविद्यालयों की वित्तीय आवश्यकताओं का पता लगाना और उनके स्तरों के अनुरक्षण एवं विकास के लिए निधियाँ देना।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नौ सदस्य होते हैं जिसमें सरकार द्वारा मनोनीत विश्विद्यालय उपकुलपतियों की संख्या अधिकतम तीन होती है देश की विश्वविद्यालय शिक्षा के अनुभद, ज्ञान तथा निष्क्षता के आधार पर इनका चुनाव किया जाता है। सरकार का प्रतिनिधत्व दो अधिकारी, सामन्यतया वित्त सचिव और शिक्षा सचिव करते है। अन्य चार सदस्य प्रसिद्ध शिक्षाविद् और उच्च शैक्षिक योग्यता वाले व्यक्ति होते हैं इनमें से एक को आयोग का अध्यक्ष बनाया जाता है। केन्द्र या राज्य सरकार के अधिकारी अध्यक्ष नहीं बन सकते । आयोग के प्रथम अध्यक्ष डॉ० सी0 डी० देशमुख थे जो विश्वविद्यालय के उपकुलपति और भारत सरकार के वित्त मन्त्री जैसे पदों पर भी रहे। इस समय इसकी अध्यक्षा माधुरी शाह है।

उच्च शिक्षा के विकास के लिए आयोग अनेक प्रकार से कार्य करता रहा है, जैसे – उच्च अध्ययन केन्द्रों की स्थापना, विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, विशेष रूप से विज्ञान के शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए ग्रीष्मकालीन कक्षाओं का आयोजन आदि। आयोग उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए निरन्तर प्रयास कर रहा है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य क्षेत्र

  1. विश्वविद्यालय शिक्षा के विकास कार्यक्रमों पर सुझाव देना।
  2. विश्वविद्यालयों की आर्थिक आवश्यकताओं का आंकलन, आवश्यक आर्थिक सहायता प्रदान करना।
  3. पाँच साल में एक बार विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करना और उन्हें आवश्यकतानुसार सुझाव दना।

स्थापना (Establishment) – सार्जेण्ट योजना के परामर्श पर सन् 1945 में एक विश्वविद्यालय अनुदान समिति’ की स्थापना भारत सरकार द्वारा की गई। सन् 1948 के विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग की सिफारिश पर इस समिति को एक सरकारी आदेश के द्वारा बढ़ाकर सन् 1953 में एक आयोग का दर्जा दे दिया गया। तीन वर्ष बाद सन् 1956 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम के अन्तर्गत आयाग को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार को परामर्श देने तथा वित्तीय व्यवस्था देखने वाली स्वतन्त्र संस्था का वैधानिक दर्जा प्राप्त हो गया।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दायित्व

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा 12 में इसके निम्नलिखित दायित्व बताये गये हैं –

1.उनके शैक्षिक स्तर का निर्धारण करना और उस बनाये रखने के सुझाव देना।

  1. विश्वविद्यालय शिक्षा के स्तर के विकास के सम्बन्ध में उनसे तथा अन्य संस्थाओं से परामर्श लेना तथा आवश्यक कदम उठाना।
  2. विश्वविद्यालयों की परीक्षा एवं अनुसन्धान कार्यों का स्तर ऊच्चाँ उठाने और उनमें समन्वय लाने के लिए समुचित व्यवस्था करना।
  3. विश्वविद्यालय में परस्पर समन्वय एवं सहयोग बढ़ाने के लिए समुचित उपाय करना।

इस उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आयोग को निम्न अधिकार दिए गये हैं –

  1. विश्वविद्यालयों को उनकी सभी साधारण या कुछ विशेष आवश्यकताओं के लिए धनराशि प्रदान करें।
  2. प्रान्त एवं केन्द्र सरकारों को विश्वविद्यालयों को धन उपलब्ध करवाने के सम्बन्ध में सुझाव दें।
  3. उनको विकास कार्यों के लिए धन उपलब्ध करवायें ।
  4. विद्यालयों की आर्थिक आवश्यकताओं के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करें।
  5. उनको शैक्षिक विकास के लिए सुझाव दें तथा उपाय सुझायें।
  6. अन्य देशों के विश्वविद्यालयों से शिक्षा के सम्बन्ध में उपयोगी जानकारी एकत्र करें और विश्वविद्यालय के साथ आदान प्रदान करें।
  7. उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक सभी काम करें।

৪. नये विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में, माँगे जाने पर प्रदेश एवं केन्द्र सरकार को सलाह दें।

आयोग के कर्त्तव्य

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं –

  1. विश्वविद्यालयों से उनकी परीक्षाओं, पाठ्यक्रमों शोध कार्यों आदि के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त करना।
  2. केन्द्रीय सरकार एवं विश्वविद्यालयों में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देना और उनकी समस्याओं का समाधान करना।
  3. भारतीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा के स्तर में समन्वय रखने और विश्वविद्यालय शिक्षा से सम्बन्धित समस्याओं पर एक विशेष संस्था के रूप में केन्द्रीय सरकार को सलाह देना।
  4. विश्वविद्यालयों शिक्षा में सुधार करने और शिक्षण के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए विश्वविद्यालयों को परामर्श देना ।
  5. विश्वविद्यालयों को अपने कोष में से दिये जाने वाले धन का वितरण करना और इस सम्बन्ध में अपनी नीति निर्धारित करना।
  6. विश्वविद्यालय शिक्षा के विस्तार एवं विकास से सम्बन्धित कार्यों को सम्पन्न करना।
  7. विश्वविद्यालयों को आर्थिक आवश्यकताओं की जाँच करना और केन्द्रीय सरकार द्वारा उनको सहायता अनुदान में दिए जाने वाले धन के सम्बन्ध में सुझाव देना।
  8. विश्वविद्यालयों के लिए उपयुक्त समझी जाने वाली सूचनाओं को भारत तथा विदेशों से एकत्र करके विश्वविद्यालयों को प्रेषित करना।
  9. विश्वविद्यालयों द्वारा विविध सेवाओं के लिए प्रदान की गई उपाभियों के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकार को अपनी सहमति देना।
  10. नवीन विश्वविद्यालयों की स्थापना एवं पुराने विश्वविद्यालयों के कार्यक्षेत्र की वृद्धि के सम्बन्ध में अपना मत व्यक्त करना।

संस्था का संगठनात्मक स्वरूप

इसमें भारत सरकार द्वारा नियुक्त सदस्य होते हैं इनमें तीन से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति नहीं हो सकते। पदाधिकारी सरकारी प्रतिनिधित्व करने वाले होते हैं और शेष उन लोगों में से लिए जाते हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न विषयों का पूरा ज्ञान रखते हैं जो योग्य और विद्वान भी हों इसका अध्यक्ष सरकारी अफसर नहीं होता है किन्तु उसे भी भारत सरकार मान करती है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का विरोध | University Grants Commission opposes in Hindi

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख कार्य | Major Functions of University Grants Commission in Hindi

भारत सरकार इस कमीशन के द्वारा संविधान से प्रदान किए गए उत्तरदायित्वों को भली-भाँति पूरा करने में सफल हो। केवल उत्तरदायित्वों को पूरा करने में सफल होती है वरन् उच्च संस्थाओं के स्तर को उचित रूप से निर्धारित करने में भी होती है। विश्वविद्यालयी स्तर की शिक्षा सम्बन्ध में क्या नीति होनी चाहिए, इस सम्बन्ध में भी यह निर्ण लेती है और किसी शिक्षा संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करती है अपने इन कार्यों को पूरा करने के लिए यू० जी० सी० एक्ट के अनुसार विश्वविद्यालयों को न केवल आर्थिक सहायता ही करती है और न उसकी आर्थिक कठिनाइयों के सम्बन्ध में जाँच करती है। शिक्षा स्तर को ऊँचा उठाने में या उक्त करने में जो कठिनाइयाँ होती हैं उन्हें भी जानने का प्रयत्न करती हैं अपने ही कोष से यह हर विश्वविद्यालयों को अनुदान देती है। इस प्रकार विश्वविद्यालय अनुदान कमीशन अपने कार्यों की कुशलता करने में समर्थ है और आधुनिक काल में तो इसके कार्यों का क्षेत्र अब काफी विस्तृत हो गया है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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