ब्रिटिश कालीन शिक्षा के उद्देश्य

ब्रिटिश कालीन शिक्षा के उद्देश्य | ब्रिटिश कालीन शिक्षा के गुण | ब्रिटिश कालीन शिक्षा के दोष

ब्रिटिश कालीन शिक्षा के उद्देश्य | ब्रिटिश कालीन शिक्षा के गुण | ब्रिटिश कालीन शिक्षा के दोष

ब्रिटिश कालीन शिक्षा के उद्देश्य

(Aims of British Education Period)

ब्रिटिश काल में भारतवर्ष की शिक्षा के उद्देश्यों में बहुत से परिवर्तन आये। अंग्रेजों ने अपने शासन को सुदृढ़ करने के लिए शिक्षा का सुहारा लिया। ब्रिटिश कालीन शिक्षा के उद्देश्यों को संक्षेप में अग्र प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है-

(1) भारत में यूरोपियन साहित्य और विज्ञान का प्रसार करना-

मैकाले तथा कुछ अंग्रेज अधिकारियों के अनुसार प्राचीन शिक्षा अत्यन्त अविकसित थी और उनमें साहित्य तथा वैज्ञानिक ज्ञान का अभाव था। इसी कारण ब्रिटिश काल में अंग्रेजी शिक्षा का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य भारत में यूरोपियन साहित्य और विज्ञान का प्रसार करना था।

(2) भारतीयों का बौद्धिक और नैतिक विकास करना-

ब्रिटिश कालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य भारतीयों का बौद्धिक तथा नैतिक विकास करना था। लॉर्ड मैकाले के द्वारा 1835 में जारी विवरण पत्र और चाल्लर्स वुड के 1854 के घोषणा-पत्र से स्पष्ट है कि अंग्रेजी शिक्षा द्वारा भारत में रहने वाले व्यक्तियों को बौद्धिक और नैतिक दृष्टि से शिक्षा प्रदान करना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण माना गया।

(3) भारतीयों को ब्रिटिश शासन की सहायता के लिये प्रशिक्षित करना-मैकाले के अनुसार-

“ब्रिटिश शिक्षा का उद्देश्य भारत में लाखों व्यक्तियों के बीच मध्यस्थ का कार्य कर सकें। एक ऐसा वर्ग जो रुचि, नैतिकता और बुद्धि में तो अंग्रेज हो, परन्तु रूप-रंग में भारतीय हो।”

इस प्रकार मैकाले पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त भारतीयों की सहायता से भारत पर अंग्रेजों के शासन को सुदृढ़ एक वर्ग तैयार करना था जो उनके तथा उनके द्वारा शासित करना चाहता था।

(4) भारतीयों का आर्थिक विकास करना-

19वीं शताब्दी में हुई औद्योगिक क्रांति से सम्पूर्ण विश्व की आर्थिक व्यवस्था में परिवर्तन हो गया था। औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप अंग्रेजों ने भारत में अनेक उद्योग-धंधों की स्थापना की और भारत से कच्चे माल को भी इंग्लैण्ड ले जाने लगे। इससे भारत में आर्थिक विकास हुआ। लेकिन आर्थिक विकास के लिये शिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता थी। इसलिए ब्रिटिश कालीन शिक्षा का उह्देश्य भारतीयों का आर्थिक विकास करना था।

ब्रिटिश कालीन शिक्षा के गुण एवं दोष

(Merit and Demerits of British Period Education)

ब्रिटिश कालीन शिक्षा के गुण

(1) ब्रिटिश कालीन शिक्षा से भारतीयों का पाश्चात्य ज्ञान व विज्ञान से सम्पर्क स्थापित हुआ।

(2) ब्रिटिश कालीन शिक्षा के द्वारा भारतीय साहित्य और संस्कृति में नव-जागृति तथा नव चेतना का विकास हुआ।

(3) ब्रिटिश कालीन शिक्षा के द्वारा भारतीय ललित कलाओं का पुनरुत्थान हुआ।

(4) भारतीयों का पुनर्जागरण ब्रिटिश कालीन शिक्षा से ही संभव हो सका।

(5) आज शिक्षा प्रसार के नवीन साधन ब्रिटिश कालीन शिक्षा की ही देन है।

(6) ब्रिटिश कालीन शिक्षा में ही भारत में नवजागरण का प्रारंभ हुआ।

(7) ब्रिटिश कालीन शिक्षा से ही भारतीय समाज का आधुनिकीकरण संभव हो सका है।

ब्रिटिश कालीन शिक्षा के दोष

(1) ब्रिटिश कालीन शिक्षा पद्धति भारतीय वातावरण के अनुकूल नहीं थी।

(2) ब्रिटिश कालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य भारतीय विशेषताओं को समाप्त करना था।

(3) इस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को अंग्रेजी कार्यालय में कार्य करने के लिए लिपिक बनाना था।

(4) शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा होने के कारण भारतीय भाषाओं का विकास रुक गया।

(5) इस शिक्षा पद्धति ने हिन्दू-धर्म की हमेशा उपेक्षा की।

(6) इस शिक्षा पद्धति में भारतीयों के लिए धर्म की शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी।

ब्रिटिश कालीन शिक्षा की उपरोक्त व्यवस्था का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि ब्रिटिश शिक्षा पद्धति के जहाँ एक ओर अनेक महत्त्वपूर्ण प्रभाव हुए वहीं दूसरी ओर कई दृष्टियों से दोषपूर्ण सिद्ध हुई। ब्रिटिश कालीन शिक्षा भारत में एक स्वस्थ भारतीय संस्कृति और धर्म का विकास करने में असफल रही। इसके द्वारा शिक्षित भारतीय समाज आज भी अंग्रेजी सभ्यता के रंग में रंगे है।

शिक्षाशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *