बुशमैन जनजाति | ‘बुशमैन’ जनजाति की प्रजातीय विशेषताएँ | बुशमैन के निवास्य क्षेत्र | बुशमैन के अर्थव्यवस्था एवं समाज का वर्णन

बुशमैन जनजाति | ‘बुशमैन’ जनजाति की प्रजातीय विशेषताएँ | बुशमैन के निवास्य क्षेत्र | बुशमैन के अर्थव्यवस्था एवं समाज का वर्णन

बुशमैन जनजाति

बुशमैन का अधिवास-  कालाहारी मरुस्थल अफ्रीका महाद्वीप में दक्षिण की ओर  पश्चिमी तट पर व्यापारिक हवाओं की पेटियों में फैला हुआ है। यहाँ पर सभी मरुस्थलीय  जलवायु सम्बन्धी विशेषताएँ पाई जाती है। उष्ण ताप, शुष्कता, वनस्पति हीनता तथा निर्जनता  इस महा मरुस्थल की मुख्य विशेषताएँ हैं। सामान्य घास तथा कंटीली झाड़ियाँ यहाँ की मुख्य वनस्पति है, परन्तु घास भी ग्रीश्म ऋतु के भयंकर ताप से झुलस कर सूख जाती है। समस्त  मरुस्थल में बालू का एकछत्र राज्य है तथा तीव्र हवा के कटाव से पथरीली चट्टानें अनेक भागों में  नंगी हो गई हैं। वर्तमान में इनकी जनसंख्या लगभग 10 हजार है जो कालाहारी रेगिस्तान में निवास करती हैं।

प्रजातीय विशेषताएँ-

इस प्रकार के वातावरण में अफ्रीका की मूल जाति बुशमैन निवास करती है। इसकी प्रजातीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. ये लोग नीग्रायाड जाति के मूल निवासियों से समानता रखते हैं।
  2. जबड़ा बाहर को निकला हुआ।
  3. आँखें-चौड़ी।
  4. उदर बहुत बड़ा तथा विस्तृत
  5. बाल-बिखरे हुए तथा लहरदार
  6. शरीर की ऊंचाई 1.5 मीटर।

उपर्युक्त जैविक विशेषताओं के अतिरिक्त इन लोगों की कुछ चारित्रिक विशेषताएँ भी हैं। ये चारित्रिक विशेषताएँ यहाँ के पर्यावरण की देन हैं-

  1. ये लोग शिकारी होते हैं।
  2. बड़े आलसी, सुस्त तथा जाहिल होते हैं।
  3. पुरुष केवल शिकार मात्र करते हैं और शेष सब कार्य स्त्रियाँ करती हैं। स्त्रियाँ घर के काम के अतिरिक्त झोपड़े तैयार करना, पेड़ों की जड़े खोदकर एकत्रित करना तथा बच्चों को संभालने का कार्य करती हैं।
  4. ये लोग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं तथा भूत-प्रेतों पर विश्वास करते हैं। ये अंधविश्वासी बहुत अधिक है।

अफ्रीका में यूरोपवासियों की पहुँच के पश्चात् इन लोगों का जीवन बहुत कठोर तथा सीमित हो गया है। यूरोपवासियों ने इनकी मारना प्रारम्भ किया और कैद करके गुलाम बनाना तथा बेचना प्रारम्भ कर दिया था। अतः इनके भय से ये लोग इतने आंतरिक भागों में जा बसे, जहाँ पर यूरोपवासी न पहुंच सकें। ये प्रदेश अत्यन्त कठोर जलवायु तथा विषम परिस्थितियों वाले भाग हैं।

जीवनयापन-

बुशमैन का जीवन निम्निलिखित प्रकार से व्यतीत होता है-

  1. ये लोग अस्थाई जीवन व्यतीत करते हैं। अपने संक्षिप्त तथा सीमित पशुओं को साथ लिये तथा शिकार की खोज में ये लोग स्थान-स्थान पर भटकते रहते हैं।
  2. पत्थर की गुफाएँ, झाड़ियाँ अथवा घास-फूस के छप्पर इनके शरण-स्थान होते हैं, परन्तु सोते ये सदा भूमि पर ही हैं।
  3. घर परिवर्तनशील होते हैं, अतः न तो ये लोग स्थाई सम्पत्ति ही संचित कर सकते हैं और न स्थाई मकान ही।
  4. हिंसक पशुओं से बचाव के लिए लोग कुत्तों की भांति के भूमि में खोदे गए गड्ढों में रहते हैं।
  5. परन्तु झील के क्षेत्रों में जहाँ सरकंडे पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, वहाँ पर ये लोग झोपड़ी बनाकर रहते हैं।

आर्थिक व्यवस्था

  1. बर्तन तथा औजार- इन लोगों के वर्तनों में मुख्यतः शुतुरमुर्ग के अण्डों के खोखलों का विशेष महत्त्व है। अण्डों के खोखलों को दो भागों में काटकर ये लोग प्याले वना लेते हैं और उसमें अपने भोजन की सामग्री रखते हैं। पूरे खोखले में पानी रखते हैं।

इनके औजारों तथा अस्त्र-शस्त्रों में धनुष-बाण, छड़ी, चाकू तथा अग्निदण्ड मुख्य हैं। धनुष भी ये कठोर लकड़ी से बनाते हैं और उसकी डोरी। मीटर तक होती है। बाण का निर्माण सरकंडे से करते हैं, परन्तु उसकी नोक पर पत्थर, हङ्गी तथा लोहा लगा देते हैं। इसके अतिरिक्त लम्बी जड़ वाली झाड़ी से “ब्रोइंग स्टिक” बनाते हैं, एक पत्थर का चाकू भी ये अपने साथ रखते हैं। इन हथियारों का प्रयोग ये लोग शिकार के समय करते हैं।

  1. आखेट- कालाहारी मरुस्थल प्रधानतः आखेट प्रधान क्षेत्र है। वहाँ पर शिकारी क्षेत्रगामी झील तथा ओकावंगी नदी के समीपवर्ती भागों में नमी वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं। वर्षा के पश्चात् जब पानी से भूमि गीली हो जाती है तो यहाँ पर बहुत सी वनस्पति उग जाती है और इस वनस्पति के लालच में यहाँ पर विभिन्न प्रकार के अनेकों पशु एकत्रित हो जाते हैं। बुशमैन इन पशुओं का शिकार करते हैं। इनमें मुख्यतः जेम्सवाक, जेब्रा, जिराफ पशुओं के रूप में, खरगोश, चूहे, चुहियाँ, चमगादड़ तथा चिड़ियाँ पक्षियों एवं जीवों के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहाँ पर दीमक बहुत पाई जाती है। यह यहाँ के लोगों का मुख्य भोजन है और इसे “बुशमैनों का चावल” कहा जाता है।
  2. भोजन- इनके भोजन में मुख्यतः निम्नलिखित पदार्थों की बहुतायत पाई जाती है-

(1) आखेट से प्राप्त माँस।

(2) जलाशयों से प्राप्त मछलियाँ।

(3) पौधों से प्राप्त जड़ें तथा फल।

(4) झाड़ियों से एकत्र किया गया शहद

(5) पशुओं से प्राप्त दूध, मांस व दही आदि।

भोजन में आखेट से प्राप्त पदार्थों का विशेष महत्त्व होने के कारण बुशमैन एक कुशल इहेरी वन जाता है। शिकार के लिए ये लोग पचासों मील तक जिराफ जैसे तीव्रगामी पशु का पीछा करते हैं।

वुशमैन के भोजन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है। एक बार में ही एक बुशमैन आधी भेड़ से अधिक खा जाता है। उसके भोजन में सबसे आनन्ददायक पदार्थ निम्नलिखित हैं-

(1) दीमक वुशमैन के लिए चावल के समान है।

(2) चीटियाँ तथा उनके अण्डे स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ हैं।

(3) छोटे-छोटे कीड़े विशेष लजीज वस्तुएँ हैं।

(4) तरबूज, बेर, कन्दमूल, विशेष उत्सवों के पकवान जैसे होते हैं। ग्रीष्म ऋतु में

वातावरण की कठोरता में वृद्धि के साथ-साथ भोजन की मात्रा घट जाती है और बुशमैन का शरीर कंकाल मात्र रह जाता है।

  1. वस्त्र- बमैन बहुत कम वस्त्र रखते हैं। इनके अधिकांश वस्त्र चमड़े के बने होते हैं। दिन के समय भयंकर गर्मी से बचाव के लिए चमड़े से बने वस्त्र पहनते हैं। स्त्रियों का वस्त्र कमर से लेकर पैर तक लकबता है। ये प्रायः सिर नंगे रखते हैं। चमड़े व छाल से पैरों के लिए जूता तैयार करते हैं। रात्रि में शीत से बचने के लिए चमड़े की परतों के मिले हुए वस्त्रों का प्रयोग करते हैं। स्त्रियों की एक विचित्रता होती है कि उनका नितम्ब काफी मोटा विकसित होता है। इसे Stea To Pygmy कहा जाता है। यह इतना विकसित होता है कि मत पर एक छोटा बच्चा आराम से बैठाया जा सकता है।

बुशमैन पर अपने वातावरण की अमिट छाप है। कठोर वातावरण के कारण इन लोगों को कई-कर्ठ दिन बिना भोजन तथा पानी के व्यतीत करने पड़ते हैं। पुरुष का मुख्य कार्य आखेट करना है। वह आखेट के समय अपने हथियार, अग्निदण्ड तथा हुक्का अपने साथ रखता है और  सदैव शिकार की खोज में भ्रमणशील रहता है। इसके विपरीत स्त्रियाँ कन्द-मूल फल एकत्र करती हैं, बोझा ढोती है और बच्चों को अपनी पीठ पर लादकर चलती हैं।

वातावरण की कठोरता के कारण जनसंख्या की बहुत कमी है। लगभग 20,000 वर्ग किलोमीटर से भी कम है। पर्यावरण की कठोरता के कारण इनके मस्तिष्क का विकास भी धीरे- धीरे हो रहा है। अभी भी ये लोग देवी-देवताओं तथा भूत-प्रेतों पर विश्वास करते हैं। अन्धविश्वास बहुत अधिक बढ़े हुए हैं। इनमें स्वर्ग, नरक की कोई कल्पना नहीं की जाती तथा परमेश्वर के सम्बन्ध में इनके विचारों में कोई स्थाई भावना नहीं पाई जाती है।

सामाजिक व्यवस्था-

बुशमैन के एक दल में प्रायः 20 व्यक्ति से कम ही लोग रहते हैं। प्रत्येक परिवार अपनी झोपड़ी या डेरा अलग बनाता है। इनका कोई मुखिया या नेता नहीं होता है। ये लोग भूत-प्रेत में विश्वास करते हैं तथा शिकार की सफलता के लिए जादू-टोने का भी प्रयोग करते हैं। ये बड़े उत्साही, शक्तिशाली, परिश्रमी, तीव्र दृष्टि व स्मृति वाले होते हैं तथा कठिनाइयों को सहन करने तथा भौगोलिक तावरण के साथ संघर्ष करने में पर्याप्त रूप, से समर्थ होते हैं।

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