भूगोल / Geography

अधिवास के प्रकार | ग्रामीण अधिवास प्रकार | ग्रामीण अधिवासों के मुख्य लक्षण | विभिन्न प्रकार के ग्रामीण अधिवासों की उत्पत्ति और विकास

अधिवास के प्रकार | ग्रामीण अधिवास प्रकार | ग्रामीण अधिवासों के मुख्य लक्षण | विभिन्न प्रकार के ग्रामीण अधिवासों की उत्पत्ति और विकास

अधिवास के प्रकार

भोजन और वस्त्र के पश्चात् आवास (गृह) मानव की तीसरी प्रमुख आवश्यकता है। मनुष्य भूमि पर जिस स्थान को आवास के लिए चुन लेता है और आश्रय के लिए घर, मकान, निवास, भवन तथा झोपड़ी आदि का निर्माण करता है, इन्हीं एक से अधिक आवासों या मकानों के समूह को अधिवास या बस्ती कहते हैं। अधिवास में सभी प्रकार के आश्रयों (Shelters) को सम्मिलित किया जाता है, चाहे वह घास-फूस, लकड़ी और मिट्टी का बना मकान हो अथवा अत्याधुनिक सामग्रियों से निर्मित भवन या किला हो। मानव एक सामाजिक प्राणी है, जो प्राकृतिक वातावरण के साथ सामंजस्य करके एक सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण करता है। अतः निवास के लिए निर्मित मकानों के अतिरिक्त कल-कारखानों की इमारतें, सरकारी, शैक्षणिक संस्थाओं की इमारतें, धार्मिक भवन आदि सभी अधिवास के अन्तर्गत आते हैं।

अधिवास के प्रकार (Types of Settlements)

अधिवासों के आकार, स्वरूप, कार्यों तथा मकानों अथवा झोंपड़ियों आदि की पारस्परिक दूरी को ध्यान में रखकर इनको दो वर्गों में रखा जा सकता है-

(1) प्रकीर्ण अधिवास या बिखरे अधिवास (Dispersal or Scattered Type of Settlement),

(2) सघन या अभिपिण्डन अधिवास (Compact or Agglomerated Type of Settlement)।

डॉ. कौशिक ने अधिवासों को निम्नलिखित चार वर्गों में रखा है-

(1) प्रकीर्ण (Dispersed) या एकांकी (Isolated) अधिवास,

(2) संहत (Compact) या अभिपिण्डन (Agglomerated) अधिवास,

(3) संयुक्त (Composite) अधिवास,

(4) अपखण्डित (Fragmented) अधिवास।

(1) प्रकीर्ण अधिवास- प्रकीर्ण अधिवास में मकान अलग-अलग एक-दूसरे के बीच में कृषि भूमि को छोड़कर बने होते हैं। इनमें प्रत्येक घर में एक-एक परिवार निवास करता है। संयुक्त राज्य अमरीका के कृषि-फार्मों में ऐसे एकांकी मकान अधिक मिलते हैं। सं.रा.अमरीका तथा कनाडा में ऐसे अधिवास कृषि-गृह (Farmstead) अथवा वास-गृह (Homestead) कहे जाते हैं।

(2) संहत अधिवास- संहत या सघन अधिवास में मकान या झोंपड़ियों एक-दूसरे से कटे हुए पास-पास बने होते हैं। इस प्रकार के अधिवास को संकेन्द्रित (concentrated), केन्द्रिकित (Nucleated), संहत (Clustered) आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है।

सघन अधिवास प्रकीर्ण अथवा एकाकी अधिवासों से आकार, स्वरूप, कार्यों आदि में भिन्न होते हैं। इनमें मकानों के पास-पास बने होने के कारण सम्पूर्ण अधिवास एक सामाजिक इकाई के रूप में होता है, जबकि एकाकी या प्रकीर्ण अधिवास या अकेलापन लिये हुए होता है।

कार्यों एवं गुणों की दृष्टि से संहत अधिवास को भी दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-

(क) ग्रामीण अधिवास (Rural Settlement),

(ख) नगरीय अधिवास (Urban Settlement)।

(क) ग्रामीण अधिवास- जिन अधिवासों में अधिकतर कृषक वर्ग निवास करते हैं और अपना जीविकोपार्जन कृषि पशुपालन से करते हैं, उन्हें ग्रामीण अधिवास कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, ग्रामीण अधिवास कृषि प्रधान होते हैं। लकड़ी काटने, खान खोदने, शिकार तथा जंगलों और पर्वतों पर रहने वाली जातियों के अधिवास भी ग्रामीण कहे जाते हैं। नगरीय अधिवासों में रहने वाले लोगों का मुख्य व्यवसाय वस्तु निर्माण, उद्योग, व्यापार, वितरण आदि होता है। नगरीय अधिवास के निवासी कृषि प्रधान न होकर उद्योग प्रधान होते है और कृषि पर अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं। वस्तुतः नगर और गाँव प्रत्यक्षतः अथवा अप्रत्यक्षातः एक-दूसरे के पूरक होते हैं। गाँव में उत्पन्न खाद्यात्रों तथा कृषिगत कच्चे मालों एवं पशु-जन्य पदार्थों पर नगर आश्रित करते हैं तथा जीवनोपयोगी विभिन्न तैयार माल नगर से गाँवों को उपलब्ध कराये जाते हैं।

(ख) नगरीय अधिवास- नगरीय अधिवास ग्रामीण अधिवासों की अपेक्षा आकार में बडत्रे होते हैं तथा नगरों में जनसंख्या का घनत्व भी अधिक होता है, परन्तु केवल जनसंख्या की अधिकता से ही कोई गाँव नगरीय नहीं कहा जा सकता, जब तक कि उसमें नगरीय अधिवास के गुण-निर्माण-उद्योग, व्यापार, परिवहन तथा सेवा आदि न हों। बहुत-से कृषक जनसंख्या वाले अधिवास बड़े होते हैं और उनमतें कम जनसंख्या के अधिवासी जिनके निवासी कृषि तथा पशुपालन के कार्यों में न लगकर उद्योग, व्यापार तथा परिवहन आदि कार्यों में लगे होते हैं, वे नगरीय अधिवास कहे जाते हैं।

ग्रामीण अधिवास प्रकार (Types of Rural settlement)

ग्रामीण अधिवासों के भी आकार एवं स्वरूप की दृष्टि से निम्नलिखित प्रकार होते हैं-

(1) कृषि फार्मगृह (Farmstead),

(2) पुरवा या नगला (Hamlet),

(3) बाजारी गाँव (Market Village),

(4) गाँव (Village)।

(1) कृषि-फार्मगृह- कृषक अपने-अपने फार्मों के निकट ही जब अपना आवास बना लेते हैं और अपने परिवार के सदस्यों के साथ रहकर कृषि कार्य भी करते रहते हैं तो ऐसे अधिवासों को कृषि फार्मगृह कहते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में बड़े पैमाने पर कृषि फार्मों पर ही निवास स्थान बने हैं, जो कृषिगृह के नाम से प्रचलित हैं।

(2) पुरवा या नगला- पुरवा या नगला कुछ घरों या झोंपड़ियों के समूह होते हैं। ये आकार में गाँवों की अपेक्षा छोटे होते हैं। इनमें प्रायः एक ही विरादरी के लोग अथवा एक ही परिवार के लोग रहते है। नगले या पुरवे में बने मकानों की योजना नहीं होती तथा इसमें कोई स्पष्ट मार्ग और गलियाँ भी नहीं होती है। नगलों या पुरवों में कुछ गुण प्रकीर्ण अधिवास के मिलते हैं, जैसे अलग-अलग स्थिति, एकान्त तथा छोटा आकार आदि, परन्तु कुछ गुण इसमें सामूहिक अधिवास के भी मिलते हैं, जैसे घरों या झोपड़ियों का पास-पास सटा होना, बीच-बीच में गलियों या मार्गों का पाया जाना आदि।

(3) बाजारी गाँव- गाँवों में जब बाजार के गुण आ जाते हैं तब वे बाजारी गाँव कहे जाने लगते हैं, जैसे गाँव में एक-दो आवश्यकीय वस्तुओं की दुकानों का प्रादुर्भाव, विद्यालय, डाकखाना और पुस्तकालय आदि की सुविधा की प्राप्ति तथा गाँव के आस-पास की उपजों के क्रय-विक्रय के लिए सप्ताह में एक या दो दिन हाट आदि लगना ऐसे ही गाँव जब सड़क मार्गों से नगरों से जुड़ जाते हैं तब विकसित होकर कस्बे (Town) का रूप ले लेते हैं।

(4) गाँव- गाँव में मुख्यतया कृषक वर्ग निवास करता है। कृषि कार्य में सहायता पहुँचाने वाले अन्य लोग, जैसे लुहार, बढ़ई तथा किसानों के ऊपर आरित नाई, धोबी, जुलाहे,  चमार  आदि लोग भी गाँवों में रहते हैं। गांवों में मकानों की संख्या अधिक होती है तथा गलियों और मार्गों से एक गाँव से जुड़े होते हैं।

ग्रामीण अधिवासों के मुख्य लक्षण

(Salient Fetors of Rural Settlements)

ग्रामीण अधिवास के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-

(1) ग्रामीण अधिवास में निवास करने वाले लोगों की आजीविका का मुख्य आधार कृषि होता है। इन अधिवासों में अधिकांश कृषक निवास करते हैं, जिनका भूमि से सीधा सम्बन्ध होता है, इसीलिए ग्रामीण अधिवासों का वितरण नदियों के उपजाऊ मैदानों में ही मिलता है।

(2) ग्रामीण अधिवास के निवासियों में सहकारिता एवं सहयोग की भावना अधिक मिलती है।

(3) ग्रामीण अधिवास के मकान प्रायः छोटे तथा स्थानीय सामग्रियों-मिट्टी की दीवारों पर घास-फूस, बाँस, लकड़ी तथा खपरैल की छतों से निर्मित होते हैं। इनमें एक आवास में प्रायः एक ही परिवार की गुजर होती हैं।

(4) ग्रामीण अधिवास के मकानों को दो खण्डों में बनाया जाता है। एक परिवार के सदस्यों के निवास के लिए तथा दूसरा पशुओं को बाँधने, चारा रखने तथा कृषि औजारों आदि के रखने के लिए होता है। मुख्य मकान से अलग एक दालान या बैठक बनाया जाता है, जिसमें पुरुष वर्ग के सोने-बैठने तथा आगन्तुकों को ठहराने की व्यवस्था होती है।

(5) ग्रामीण अधिवास में मकानों के निर्माण के लिए कोई योजना नहीं होती, बल्कि भूमि की उपलब्धि तथा सुविधानुसार ही मकान बना लिये जाते हैं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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