आदिलकाल के विभिन्न नाम | आदिकाल के नामकरण के संबंध में विभिन्न मत | आदिकाल के नामकरण की समस्या

आदिलकाल के विभिन्न नाम | आदिकाल के नामकरण के संबंध में विभिन्न मत | आदिकाल के नामकरण की समस्या आदिलकाल के विभिन्न नाम हिंदी साहित्य का आरंभिक काल जिसे विद्वानों के आदिकाल वीरगाथा काल, चारणकाल, रासोकाल, अपभ्रंश-काल आदि अनेक नामों से संबोधित किया है हिंदी का सर्वाधिक विवादग्रस्त काल है। अतएव इसके नामकरण के प्रसंग…

गीति काव्य का स्वरूप | गीति काव्य की विशेषताएँ | गीतिकाव्य परम्परा में मीरा के स्थान का निरूपण | मीरा के गीति काव्य परम्परा की विशेषताएँ

गीति काव्य का स्वरूप | गीति काव्य की विशेषताएँ | गीतिकाव्य परम्परा में मीरा के स्थान का निरूपण | मीरा के गीति काव्य परम्परा की विशेषताएँ गीति काव्य का स्वरूप और विशेषताएँ- गीति-काव्य कवि के अन्तग्रत की वह स्वतः प्रेरित तीव्रतम भावाभिव्यक्ति है, जिसमें विशिष्ट पदावली का सौन्दर्य अनुभूति की एकता एवं संगीतात्मकता के योग…

मीरा की काव्य में प्रकृति | मीरा की काव्य में ब्रजभाषा का प्रयोग | मीरा की काव्य में अनुस्वार युक्त दीर्घ स्वरों का प्रयोग | मीरा के काव्य में मुहावरों का प्रयोग

मीरा की काव्य में प्रकृति | मीरा की काव्य में ब्रजभाषा का प्रयोग | मीरा की काव्य में अनुस्वार युक्त दीर्घ स्वरों का प्रयोग | मीरा के काव्य में मुहावरों का प्रयोग मीरा की काव्य में प्रकृति मिश्रित भाषा- मीरा के पदों का प्रचलन प्रायः समस्त उत्तरी भारत से है। अतः उनमें विभिन्न भाषाओं के…

जायसी के पद्मावत में समाज की मनोदशा | पद्मावत की प्रेम-पद्धति

जायसी के पद्मावत में समाज की मनोदशा | पद्मावत की प्रेम-पद्धति जायसी के पद्मावत में समाज की मनोदशा मलिक मोहम्मद जायसी ने अपने महाकाव्य ‘पद्मावत’ में चित्तौड़ के राजा रत्नसेन और सिंहलगढ़ की राजकुमारी ‘पद्मावती’ के विवाह का वर्णन किया है। चित्तौड़ पर अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण ऐतिहासिक घटना है। जायसी ने ‘पद्मावत’ में जिस…

जायसी के रहस्यवाद की विशेषताएँ | जायसी के रहस्यावाद की समीक्षात्मक विवेचना

जायसी के रहस्यवाद की विशेषताएँ | जायसी के रहस्यावाद की समीक्षात्मक विवेचना जायसी के रहस्यवाद की विशेषताएँ विषय-प्रवेश- प्रस्तुत प्रसंग में रहस्य’ शब्द का भी व्युत्पत्तिपरक अर्थ जान लेना उचित होगा। रह धातु में ‘यत्’ प्रत्यय लगाकर ‘रहस्’ शब्द बनता है, जिसका अर्थ है-गुप्त, प्रचछन्न रहसि भाव:यत) संस्कृत-साहित्य में रहस्य’ शब्द के पर्याय के रूप…

पद्मावत् के नागमती का विरह वर्णन | नागमती का विरह संपूर्ण भक्ति कालीन कविता में अद्वितीय है

पद्मावत् के नागमती का विरह वर्णन | नागमती का विरह संपूर्ण भक्ति कालीन कविता में अद्वितीय है पद्मावत् के नागमती का विरह वर्णन हिन्दी-साहित्य में विरह-वर्णन- सृष्टि के प्रारम्भ से ही विश्व-साहित्य में विरह का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विशेष रूप से कवि समाज में तो विरह का बहुत ही महत्त्व है। विरह ही प्रेम की…

तुलसी के काव्य में वर्णित लोक आदर्श | तुलसी के काव्य में वर्णित सामाजिक आदर्श

तुलसी के काव्य में वर्णित लोक आदर्श | तुलसी के काव्य में वर्णित सामाजिक आदर्श तुलसी के काव्य में वर्णित लोक आदर्श तुलसी-प्रणीत अमर ग्रन्थ ‘रामचरितमानस’ का लोक में जो सम्मान हुआ है, वैसा किसी भी काव्य-रचना का होना दुर्लभ हैं। आपकी दृष्टि से व्यापक और क्षेत्र विस्तृत था तथा काव्य-निर्माण का उद्देश्य अति महान्…

तुलसीदास की भाषा | तुलसीदास की शैलीगत विशषताएँ | तुलसी के काव्य की छन्द विधान की विशषताएँ

तुलसीदास की भाषा | तुलसीदास की शैलीगत विशषताएँ | तुलसी के काव्य की छन्द विधान की विशषताएँ तुलसीदास की भाषा एवं शैलीगत विशषताएँ तुलसी का कलापक्ष – तुलसीदास को भाव के क्षेत्र में जितनी सफलता प्राप्त हुई है, उतनी ही उनको कला के क्षेत्र में भी प्राप्त हुई है। कला के क्षेत्र में भी वे…

तुलसीदास के रामचरित मानस का महत्व | राम काव्य परम्परा के अन्तर्गत रामचरित मानस का महत्व

तुलसीदास के रामचरित मानस का महत्व | राम काव्य परम्परा के अन्तर्गत रामचरित मानस का महत्व तुलसीदास के रामचरित मानस का महत्व रामचरितमानस भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि हैं यह हिन्दू धर्म का महान् प्रतिपाद्य एवं पूज्य ग्रन्थ है। तुलसीदास ने इस ग्रन्थ की रचना इस प्रकार से की है कि इसमें नाना पुराण, निगमागम…